भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर किसान खेती करने के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं. जहां बड़े किसान गाय-भैंस का पालन करते हैं, वहीं छोटे और सीमांत किसान मुर्गी पालन से भी अतिरिक्त कमाई करते हैं. अब तो बढ़े-लिखे युवा भी बड़े स्तर पर मुर्गी पालन कर रहे हैं. इससे उन्हें साल में लाखों रुपये की कमाई हो रही है. लेकिन कई बार लोगों को मुर्गी पालन में नुकसान भी उठाना पड़ता है. लेकिन आज हम आपको मुर्गी की एक ऐसी नस्ल के बारे में बताएंगे, जिसका पालन शुरू करने पर आपकी कमाई दोगुनी हो जाएगी. क्योंकि यह मुर्गी देसी मुर्गियों के मुकाबले दोगुना से भी अधिक अंडा देती है. साथ ही जन्म के 40 हफ्ते बाद ही अंडा देने लगती है.
दरअसल, हम मुर्गी की जिस नस्ल के बारे में बात करने जा रहे हैं, उसका नाम 'झारसिम' है. स्थानी भाषा में लोग इसे झारसिम मुर्गी भी बोलते हैं. इसकी खासियत यह है कि देसी मुर्गियां जहां साल में 60 अंडे देती हैं, वहीं ये मुर्गी 150 अंडे देती है. खास बात यह है कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) ने देसी मुर्गा और मुर्गी की नई प्रजाति 'झारसिम' विकसित की है. झारसिम मुर्गियां सामान्य देसी मुर्गियों के मुकाबले चारगुना तेजी से बढ़ती हैं. देसी मुर्गियों की तुलना में यह एक साल में ढ़ाई गुना से अधिक अंडे देती है.
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, झारसिम मुर्गी के अंडे सामान्य देसी मुर्गी के अंडे से लगभग दोगुने वजन के होते हैं. यानी इसके अंडे भी साइज में बड़े होते हैं. यही वजह है कि एक अंडे का वजन 50 से 55 ग्राम का होता है, जबकि देसी मुर्गियों के अंडे का वजन औसतन 30 ग्राम ही होता है. सबसे बड़ी बात यह है कि किसान अंडा बेचने के साथ-साथ इसका मांस बेचकर भी बंपर कमाई कर सकते हैं. इस प्रजाति के मुर्गे का वजन महज तीन महीने में ही डेढ़ किलो तक हो जाता है.
झारसिम मुर्गियों की सबसे बड़ी खासियत है कि यह आकर्षक एवं बहुरंगी होती हैं. इसका जीवन भी अधिक दिनों का होता है. इसके ऊपर दाना भी कम खर्च करने पड़ते हैं. इसके अंडे में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है. साथ ही मांस का उत्पादन भी अधिक होता है. झारसिम मुर्गी, ब्रॉयलर और सामान्य देसी मुर्गियों की तुलना में ग्रामीण परिवेश में आसानी से जीवित रह सकती हैं. ऐसे में किसान अगर झारसिम प्रजाति की मुर्गी का पालन करते हैं, तो उन्हें बंपर कमाई होगी.
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