देश के ग्रामीण अंचलों में गाय-भैंस पालने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है. इसका मुख्य कारण इससे मिलने वाला दूध है. यह हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि दूध के व्यापार से पशुपालकों को अच्छी आमदनी होती लेकिन जब गाय-भैंस गर्भवती होती हैं, तो थोड़ी सावधानी बरतनी होगी. इंडिया टुडे के किसान तक से खास बातचीत में बलिया के उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एस.डी द्विवेदी ने बताया कि जब गाय-भैंस गर्भवती होती हैं तो उसका दूध हमेशा 100 डिग्री सेल्सियस पर उबल कर पीना चाहिए. इससे सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. पशुओं को बेहतर पोषक तत्व न देने से पशु के बच्चे पर बुरा प्रभाव देखने को मिलता है. उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान गाय और भैंस का दूध विटामिन, मिनरल्स, और प्रोटीन से भरपूर होता है. यह दूध उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसमें आवश्यक फैटी एसिड और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं.
डॉ. द्विवेदी बताते हैं कि गर्भवती गाय और भैंस का दूध एंटीबॉडीज से भरपूर होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक हो सकता है. इसे पीने से बच्चों और वयस्कों दोनों की इम्यूनिटी बूस्ट हो सकती है. दरअसल, गर्भावस्था के दौरान, इन पशुओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो दूध की गुणवत्ता और उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में गाय और भैंस को ज्यादा से ज्यादा हरा चारा खिलाना चाहिए. वहीं अधिक दूध निकालने से पशु के शरीर पर दबाव बढ़ सकता है, इसलिए सीमित मात्रा में ही दूध निकाला जा सकता है.
गर्भवती पशु को विशेष पोषक आहार दिया जाना चाहिए, जिससे उसके शरीर को आवश्यक पोषण मिले और दूध की गुणवत्ता बरकरार रहे. दूध निकालने से पहले पशु चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी है. इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि दूध निकालने से पशु और उसके शिशु को कोई नुकसान न हो.
पशु विशेषज्ञ डॉ. एस.डी द्विवेदी ने आगे बताया कि गर्भावस्था के दौरान पशु के दूध में हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है, जो कुछ लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है. विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए यह हार्मोनल दूध स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है. गर्भावस्था के दौरान पशु का शरीर अपने शारीरिक विकास और बच्चे के लिए पोषण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है.
इस वजह से दूध की मात्रा कम हो सकती है, और अगर ज्यादा दूध निकाला जाता है, तो इससे पशु की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. गर्भवती पशु के लिए उसके गर्भस्थ शिशु को पोषण देना प्राथमिकता होती है. अगर इस समय अधिक दूध निकाला जाता है, तो यह शिशु के विकास और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है.
डॉ. एस.डी द्विवेदी के मुताबिक, दूध देने वाले पशुओं के आहार की बात करें तो उन्हें दलहनी चारे का मिश्रण खिलाना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि पांच लीटर दूध देने वाले पशुओं को केवल अच्छे प्रकार का हरा चारा खिलाकर दूध प्राप्त किया जा सकता है. वहीं उससे अधिक दूध देने वाले पशुओं के आहार में चारे के साथ-साथ दाना और खली खिलाना चाहिए. इसके अलावा ब्यांत से कुछ दिनों पहले सामान्य खुराक में प्रतिदिन 100 मि.ली कैल्शियम का घोल पिलाएं. वहीं पशुओं के ब्यांत के बाद आसानी से पचने वाला आहार खिलाएं, जिसमें गेहूं का चोकर, गुड़ और हरा चारा देना चाहिए. साथ ही ये भी ध्यान देना होता है कि पशुओं को उस समय ठंडा पानी नहीं पिलाना चाहिए.
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