Successful farmer: आईटी इंजीनियर ने नौकरी छोड़ शुरू की डेयरी, अब करोड़ों में कमाई, जानिए सफलता का राज

Successful farmer: आईटी इंजीनियर ने नौकरी छोड़ शुरू की डेयरी, अब करोड़ों में कमाई, जानिए सफलता का राज

जब एक अच्छी नौकरी हो, तो खेती या पशुपालन का खयाल शायद ही किसी के मन में आता है. लेकिन बदलते समय में, कुछ लोग अपने जुनून और दृढ़ संकल्प के चलते नए रास्ते पर चल पड़ते हैं. उत्तराखंड के देहरादून के हरिओम नौटियाल ने कॉर्पोरेट करियर को छोड़कर पशुपालन की राह पकड़ी. आज, 10 गायों से शुरू करके उन्होंने अपना डेयरी व्यवसाय करोड़ों में पहुंचा लिया है. पढ़ें इनकी सफलता की कहानी.

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आईटी इंजीनियर ने नौकरी छोड़ शुरू की डेयरी, अब करोड़ों में है कमाईआईटी इंजीनियर हरिओम नौटियाल बने उद्यमी किसान

अक्सर लोग सोचते हैं कि अगर नौकरी अच्छी हो तो खेती-किसानी करने का विचार भला किसे आएगा? लेकिन इस बदलते दौर में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने जिद और जुनून के कारण नई राह पकड़ रहे हैं. पिछले कुछ सालों में आपने कई ऐसी खबरें सुनी या पढ़ी होंगी, जिनमें किसी ने कॉर्पोरेट नौकरी या अच्छी पदस्थ नौकरी छोड़कर खेती-किसानी शुरू की हो. ऐसे ही एक प्रेरणादायक युवा हैं उत्तराखंड के देहरादून के हरिओम नौटियाल, जिन्होंने कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली और बेंगलुरु में चार साल तक नौकरी की, लेकिन बाद में नौकरी छोड़कर पशुपालन की राह पकड़ी. 10 गायों से शुरुआत करने वाले इस युवा ने अब अपना सालाना व्यवसाय दो करोड़ रुपये का कर लिया है.

आईटी इंजीनियर बना हाइटेक पशुपालक

हरिओम नौटियाल, जो कभी एक मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज पर नौकरी कर रहे थे, उन्होंने साल 2014 में अपने गांव लौटने का निर्णय लिया. हालांकि, यह सफर उनके लिए आसान नहीं था. जब वे शहर की नौकरी छोड़कर गांव वापस आए, तो उन्हें कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. लेकिन हरिओम ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपने घर के पास एक गौशाला बनवाई और 10 गायों से  डेयरी की शुरुआत किया.

शुरुआती दिनों में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना कर पड़ा. डेयरी व्यवसाय को आगे बढ़ाने की ठानी. शुरुआत में हरिओम को डेयरी फार्म चलाने और गायों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. दूध तो काफी होता था, लेकिन खरीदार नहीं मिलते थे. धीरे-धीरे, हरिओम को स्थानीय महिलाओं और अन्य डेयरी किसानों का समर्थन मिलने लगा. 2016 में उन्होंने एक दूध संग्रह केंद्र स्थापित किया और सरकारी सब्सिडी का भी लाभ उठाया. उन्होंने अनुसूचित जाति की महिलाओं और विधवाओं को भी विशेष रूप से प्रोत्साहित किया. यहीं से उन्हें बड़े स्तर पर डेयरी फार्मिंग का विचार आया.

हरिओम नौटियाल का दूध प्रोसेसिंग उत्पाद
हरिओम नौटियाल का दूध प्रोसेसिंग उत्पाद

10 गायों से शुरुआत, 2 करोड़ का टर्नओवर

हरिओम ने छोटे स्तर से शुरुआत की, लेकिन जैसे-जैसे उनका व्यवसाय बढ़ता गया, उन्होंने अपनी डेयरी को आधुनिक तकनीकों और मशीनों से लैस कर दिया. सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर उन्होंने दूध से जुड़े उत्पाद तैयार करने शुरू किए और गांव के लोगों को भी इससे जोड़ना शुरू किया. 10 गायों से शुरुआत करने वाले इस डेयरी व्यवसाय का सालाना टर्नओवर अब 2 करोड़ रुपये हो गया है. हरिओम ने दूध की गुणवत्ता पर खास ध्यान दिया, जैविक चारा इस्तेमाल किया और ग्राहकों को मुफ्त में लैक्टोमीटर दिए. इसका परिणाम यह हुआ कि लोग उन पर विश्वास करने लगे.

क्वालिटी दूध उत्पाद के लिए हरिओम ने अपने डेयरी फार्म को आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया है. इस फार्म में पहले ड्रम में दूध को स्टोर किया जाता है, फिर इसे पैकेजिंग के लिए मशीनों से पैक किया जाता है. ऋषिकेश के कई ग्राहक पिछले नौ साल से हरिओम से ही दूध खरीद रहे हैं क्योंकि उन्हें ताजा और शुद्ध दूध मिलता है. हरिओम के डेयरी के दूध ऋषिकेश से लेकर देहरादून तक बिकता है . उनके वेंचर का नाम 'धन्यज धेनु' है, जो ऋषिकेश के आसपास के क्षेत्रों में बहुत लोकप्रिय हो गया है. आठ साल की कड़ी मेहनत और सूझबूझ से उन्होंने डेयरी बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. उनके डेयरी से रोजाना लगभग 250 लीटर दूध  उत्पादित होता है.

समूह के किसानों को ट्रेनिग देते हुए सफल किसान नौटियाल
समूह के किसानों को ट्रेनिग देते हुए सफल किसान

दूध के प्रोसेसिंग उत्पादों में ज्यादा फायदा

हरिओम नौटियाल ने खुद और उनसे जुड़े पशुपालकों के लिए दूध और दूध से जुड़े उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के लिए एक आधुनिक प्रोसेसिंग और पैकेजिंग यूनिट स्थापित की है. इस मॉडर्न यूनिट में दूध से जुड़े कई उत्पाद जैसे दही, पनीर, खोया, आइसक्रीम आदि तैयार किए जाते हैं, जिसके लिए कई अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं. नौटियाल का मानना है कि केवल दूध बेचने से उतनी अच्छी आमदनी नहीं हो पाती, इसलिए उन्होंने नए-नए उत्पाद बनाने पर जोर दिया. उन्होंने दूध के वैल्यू एडिशन पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न उत्पाद बनाए, ताकि उन्हें और उनसे जुड़े समूह के लोगों को अधिक लाभ मिल सके.

पनीर, दही, आइसक्रीम, मावा आदि उत्पादों के लिए डब्बों की कैपिंग के लिए भी मशीनों की मदद ली जाती है. हरिओम के दूध और दूध उत्पाद स्थानीय बाजारों और व्यापार मेलों में बहुत लोकप्रिय हैं. उनका व्यवसाय अब 2 करोड़ रुपये सालाना का हो गया है. इसके अलावा, उन्होंने अपने व्यवसाय को क्षेत्र के किसानों और महिलाओं के साथ मिलकर गोट फार्मिंग और फसलों की खेती और प्रसंस्करण में शामिल किया है. उनकी सफलता ने उनके समुदाय को भी बदल दिया है. आज, हरिओम 15 गांवों के 500 लोगों को रोजगार दे रहे हैं और उनकी कहानी गांव वालों के लिए प्रेरणा बन गई है.


 

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