यह खबर आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले से है जहां 45 दिनों में लगभग 4 लाख मुर्गियों की मौत हो गई है. इस घटना के बाद पशुपालन विभाग में हड़कंप मच गया. अब मामले की तह तक जाने के लिए मुर्गियों के सैंपल को जांच के लिए लैब में भेजा गया है. पशुपालन विभाग के निदेशक दामोदर नायडू ने कहा कि मुर्गियों के सैंपल को भोपाल में हाई सिक्योरिटी लैब को भेजा गया है. रिपोर्ट आने के बाद ही असली वजह का पता चल पाएगा.
नायडू ने PTI से कहा, "मौतों की दर (मुर्गियों की) तो है, लेकिन किसानों के बताए गए स्तर तक नहीं. किसान बायो सिक्योरिटी उपायों की भी अनदेखी कर रहे हैं, जो बीमारियों के फैलने का मुख्य कारण है." उन्होंने कहा कि कुछ किसानों ने मरे हुए पक्षियों को नहरों और सड़कों पर कूड़े के ढेर में फेंक दिया, जिससे इन्फेक्शन फैल गया. उन्होंने कहा कि बुनियादी एहतियात की अनदेखी की गई, जिसके चलते मुर्गियों की मौत हो गई.
पशुपालन अधिकारी के मुताबिक, आमतौर पर यह घटना मौसमी होती है और हर साल सामने आती है, लेकिन प्रवासी पक्षियों की अधिक संख्या और पोल्ट्री किसानों की लापरवाही के कारण मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है.
नायडू ने कहा, "हम किसानों को बायो सिक्योरिटी के महत्व के बारे में जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं. वेटनरी डॉक्टर भी किसानों को स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में सलाह देने के लिए खेतों का दौरा कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि इस सप्ताह के अंत तक घटनाओं में कमी आएगी."
अन्य कारणों के अलावा, पशुपालन अधिकारी एवियन इन्फ्लूएंजा फैलने को लेकर संदेह कर रहे हैं, जिसकी पुष्टि भोपाल लैब से होनी है जहां सैंपल भेजे गए हैं. एवियन इन्फ्लूएंजा का संक्रमण कम हो तो उसके लिए तो वैक्सीन है, लेकिन इसका स्तर खतरनाक या ज्यादा हो तो उसके लिए कोई वैक्सीन नहीं है. जब पक्षी झुड में रहें और संख्या ज्यादा हो तो ऐसी बीमारी फैलने का खतरा और भी ज्यादा होता है.
मुर्गियों के बाड़े में उनकी मृत्यु दर 0.5 परसेंट रहनी चाहिए, लेकिन हालिया मामले में यह 4 परसेंट तक बढ़ गई है. गर्मी और ठंड के दिनों में मृत्यु दर 2 परसेंट तक जा सकती है, लेकिन यह रेट दोगुना हो जाए तो सावधान रहने की हिदायत दी जाती है. इसे लेकर पश्चिमी गोदावरी जिले के वेटनरी डॉक्टर्स को अलर्ट किया गया है और उन्हें किसानों को गाइड करने का निर्देश दिया गया है.
मुर्गियों की मौत के संकट को देखते हुए पोल्ट्री किसान सरकार से मुआवजे और लोन को एडजस्ट करने की मांग कर रहे हैं. पशुपालन विभाग के अनुमान के अनुसार, दक्षिणी राज्य में पोल्ट्री फार्मों में आठ करोड़ कमर्शियल मुर्गियां और घरों में दो करोड़ घरेलू मुर्गियां पाली जाती हैं.
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