हरियाणा में भेड़-बकरियों में फैल सकती है नई गंभीर बीमारी, पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी

हरियाणा में भेड़-बकरियों में फैल सकती है नई गंभीर बीमारी, पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी

खुरपका बीमारी पशुओं के लिए जानलेवा बीमारी है. इस रोग से ग्रसित पशुओं के खुर खराब हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें चलने में परेशानी होती है. यह बीमारी चरवाहों और किसानों को काफी आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती है. इस बीमारी के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है और केवल सख्त जैव सुरक्षा उपाय ही इसके प्रसार को प्रभावी ढंग से रोक सकते हैं.

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हरियाणा में भेड़-बकरियों में फैल सकती है नई गंभीर बीमारी, पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरीखुरपका बीमारी पशु गाय-भैंस, भेड़-बकरी में होती है. (सांकेतिक फोटो)

हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में भेड़-बकरियों को प्रभावित करने वाली खुरपका बीमारी के किसी भी संभावित प्रकोप को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ा दी है. इसके लिए राज्य सरकार ने शुक्रवार को एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें हरियाणा में स्थिति और लागू किए जा रहे निवारक उपायों पर अपडेट दिया गया है. विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि हालांकि राज्य में कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन विभाग पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, विभाग ने विशेष रूप से हिमाचल की सीमा से लगे क्षेत्रों में अधिक सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए हैं. उप निदेशकों को राज्य भर के सभी सरकारी पशु चिकित्सालयों और सरकारी पशु औषधालयों में पोटेशियम परमैंगनेट, हाइड्रोजन पेरोक्साइड और पोविडोन आयोडीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. विभाग ने चरवाहों और किसानों को सलाह दी कि वे अपने पशुओं में लंगड़ापन, सड़ी हुई गंध या खुरों में असामान्यता के लक्षणों के लिए नियमित रूप से निरीक्षण करें और सतर्क रहें. उन्होंने पशु घरों और चरागाहों में उचित स्वच्छता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और उचित संगरोध और स्वास्थ्य जांच के बिना झुंड में नए जानवरों को शामिल करने से बचने की सिफारिश की है.

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दूध उत्पादन भी घट जाता है

दरअसल, खुरपका बीमारी पशुओं के लिए जानलेवा बीमारी है. इस रोग से ग्रसित पशुओं के खुर खराब हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें चलने में परेशानी होती है. यह बीमारी चरवाहों और किसानों को काफी आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती है. इस बीमारी के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है और केवल सख्त जैव सुरक्षा उपाय ही इसके प्रसार को प्रभावी ढंग से रोक सकते हैं. कई बार तो इस बीमारी के चलते पशुओं की मौत तो होती ही है, साथ में उनका दूध उत्पादन भी घट जाता है. 

बहुत तेज आता है बुखार

एक्सपर्ट के मुताबिक, खुरपका बीमारी पशु गाय-भैंस, भेड़-बकरी में तो होती है. साथ में घोड़े जैसे पशुओं में भी होती है. इसीलिए इसके लक्षणों की पहचान करना बहुत जरूरी है. क्योंकि जैसे ही आप लक्षण पहचान लेंगे तो उसे फैलने से रोकने के लिए जरूरी उपाय भी अपना लेंगे. ऐसे इस रोग से ग्रसित मवेशियों को 104 से 106 एफ तक तेज बुखार आएगा. साथ ही पीडि़त पशु की भूख कम हो जाएगी और ऐसे में पशु सुस्त रहने लगता है. इसके अलावा पशु के पैर में खुर के बीच वाली जगह में घाव हो जाते हैं. अगर पशु गाभिन है तो उसका गर्भपात भी हो जाता है. 

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