गाभिन पशु अन्य पशुओं के मुकाबले काफी संवेदनशील होते हैं. इस दौरान पशुओं के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते रहते हैं. इस बीच उनके पालन पोषण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के लाइवस्टॉक फार्म कॉम्प्लेक्स विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ प्रमोद कुमार कहते हैं कि कुछ पशुपालक गाभिन पशुओं को साधारण तरीके से रखते हैं, जिसकी वजह से 4 से 5 महीने के दौरान मादा पशु का गर्भपात होने का डर बना होता है, इसकी मुख्य वजह गर्भावस्था या पहले पशुओं को संतुलित आहार नहीं मिलना है. इसलिए जब भी पशु गाभिन हो. उसके तीन चार महीने के बाद से एक संतुलित आहार के साथ विशेष देखभाल करना चाहिए. इसके लिए समय से हरा चारा, सूखा भूसा, दाना की सही मात्रा देनी चाहिए.
सामान्य दिनों की तुलना में पशु के गाभिन होने पर विशेष प्रबंध करना चाहिए. गाय गाभिन होने के 9 माह 9 दिन के आसपास एवं भैंस गाभिन होने के 10 माह 10 दिन में बच्चा देती है.
डॉ प्रमोद कहते हैं कि गर्भावस्था के समय पशुओं के आहार में दाने की मात्रा को 1.5-2 kg तक बढ़ा कर देना चाहिए. अगर किसी गाय का वजन 400 kg है. उस दौरान में 6 किलो सूखा चारा में पुआल, पुआल की कुट्टी, गेहूं का भूसा इनमें से कोई एक चारा हर रोज देना चाहिए. हरा चारा 20 से 25 किलो के आसपास देना चाहिए. 2-3 दाना तथा उसके साथ मिनरल मिक्सचर तथा नमक की समुचित मात्रा भी देना बहुत जरूरी है. रबी मौसम में बरसीम, जई, हरा चारा पशुओं के लिए प्रोटीन और ऊर्जा का अच्छा स्रोत है. लेकिन बरसीम को संतुलित मात्रा में ही देना चाहिए. ज्यादा देने पर पशुओं में गैस बनने की समस्या उत्पन्न हो जाती है. गर्मी के मौसम में बाजरा, मक्का समेत मौसमी चारा देना चाहिए. इसके अलावा हर मौसम में मिनरल मिक्सचर देना चाहिए.
डॉ कुमार कहते हैं कि पहली ब्यान के बाद पशु दूसरी बार गर्मी में नहीं आती है, इसका मुख्य वजह पशुओं के आहार में दाने, हरे चारे, मिनरल मिक्सचर तथा नमक की कमी होती है. इसके साथ-साथ दूसरी ब्यान के बाद दूध में भी कमी होने लगती है. बछड़े जन्म से अंधा या शारीरिक रूप से कमजोर भी पैदा लेते हैं. इसकी मुख्य वजह विटामिन ए की कमी हो जाती है जो कि हरे चारे में कैरटिन के रूप में प्रचूर मात्रा में उपलब्ध रहता है.
पशुओं में विटामिन ए की कमी होती है, तो उन्हें भूख कम लगती है. उनकी चमड़ी में सूखापन, खुरदुरापन आने लगता है. बाल झड़ने लगता है. अंधापन और आंखों की रोशनी कम होने लगती है. पशु गर्मी में न आना तथा उनका गर्भ नहीं ठहरना है. अगर ऐसे कुछ लक्षण पशुओं में देखने को मिलते हैं. तो उन्हें जल्द से जल्द किसी पशु डॉक्टर से दिखाना चाहिए तथा विटामिन ए का इंजेक्शन देना चाहिए.
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