कोऑपरेटिव से गांवों में डेयरी उद्योग संवर रहा है. जिसका फायदा देश की ग्रामणी आबादी को हो रहा है. असल में ग्रामीण अर्थ्यव्यवस्था और बढ़ते डेयरी उत्पाद में पैदा हो रहे रोजगार को देखते हुए भारत में अगले तीन साल में ग्रामीण स्तर पर दो लाख प्राथमिक डेयरी (primary dairies) स्थापित करने की योजना सरकार द्वारा बनाई गयी है. इस योजना के तहत किसानों को श्वेत क्रांति से जोड़ा जाएगा. जिससे भारत को दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक नए मुकाम पर ले जाने की तैयारी की जा रही है. इस बात की घोषणा केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बीते दिनों की है. सरकार ने ग्रामीण अर्थ्यव्यवस्था और ग्रामीण रोजगार को ध्यान में रखते हुए इस योजना की शुरुआत करने की बात कही है.
वर्ष 1975 से 2022 तक कर्नाटक ने डेयरी क्षेत्र में अच्छी प्रगति की है. ऐसे में अमित साह ने कहा कि 1975 में 66,000 किलोलीटर दूध का प्रसंस्करण होता था और अब प्रतिदिन 82 लाख किलोलीटर दूध का प्रसंस्करण हो रहा है. उन्होंने बताया कि दुग्ध संघ का सालाना टर्नओवर 4 करोड़ रुपये होता था, जो अब बढ़कर 25 हजार करोड़ रुपये हो गया है. ऐसे में किसानों के लिए यह बड़ी बात है कि रोजगार और अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा उन पर निर्भर करता है.
ग्रामीण इलाकों में आज भी दूध उत्पादन को आय का श्रोत माना जाता है. लोग दूध और उससे बने उत्पादों को बेच कर मुनाफा कमाते आ रहे हैं. इसी कड़ी में कर्नाटक में 15,210 विलेज लेवल कोऑपरेटिव डेयरी का निर्माण किया गया है जहां हर रोज लगभग 26.22 लाख किसान गायों का दूध पहुंचाते हैं. जिसे 16 डिस्ट्रिक्ट लेवल डेयरी के माध्यम से 26 लाख किसानों के खाते में हर रोज 28 करोड़ रुपये जाते हैं. इससे ना सिर्फ किसानों को मुनाफा होता है बल्कि उनके आर्थिक स्थिति में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. इसके अलावा कई ऐसे कदम भी उठाए गए हैं जो सराहनीय हैं.
महिलाओं को सशक्त बनाने का काम ना केवल सरकार बल्कि अन्य कंपनियों के द्वारा भी किया जा रहा है. महिलाएं आत्मनिर्भर बन सके इसको लेकर कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. इसी कड़ी में अमूल ने महिलाओं को रोजगार देने का काम किया है. अमूल के माध्यम से लगभग 36 लाख महिलाओं के बैंक अकाउंट में सालाना 60 हज़ार करोड़ रुपये दिये जाते हैं ताकि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today