UP News: यूपी में अब मृत पशु सार्वजनिक स्थानों पर फेंके हुए नहीं दिखेंगे और ना ही इनके सड़ने की दुर्गंध ही आएगी. इसके लिए खास इंतजाम किया जा रहा है. इसी कड़ी में रविवार शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय बैठक में निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों के प्रबंधन पर अधिकारियों को निर्देश दिए.सीएम योगी ने कहा कि राज्य सरकार पशु संवर्धन व संरक्षण के लिए सेवाभाव के साथ सतत प्रयासरत है. गोवंश सहित सभी पशुपालकों के प्रोत्साहन के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं. पात्र लोगों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित कराया जाए. योगी ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी दशा में मृत पशुओं को नदियों में प्रवाहित न किया जाए. हमें इसके लिए लोगों को व्यवस्था देनी होगी. सभी नगर निगमों में पशुओं,जानवरों के अंत्येष्टि के लिए इलेक्ट्रिक शवदाहगृह का निर्माण कराएं. चरणबद्ध रूप से इसे अन्य नगरीय निकायों में स्थापित किया जाएगा.
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि निराश्रित गोवंश संरक्षण की दिशा में सतत प्रयासों के संतोषप्रद परिणाम मिल रहे हैं. वर्तमान में 6889 निराश्रित गोवंश स्थलों में 11.89 लाख गोवंश संरक्षित हैं. हमें छोटे-छोटे निराश्रित गोवंश स्थलों के स्थान पर बड़े गोवंश स्थल उपयोगी हो सकते हैं. हमें नस्ल सुधार व गोबरधन प्लांट जैसे कार्यक्रमों को बढ़ाये जाने की जरूरत है. विकास खंड तथा जनपद स्तर पर स्थापित वृहद गो-आश्रय स्थल इस कार्य के लिए उपयोगी हो सकते हैं. इन्हें नियोजित रूप से प्रोत्साहित करें. हर विकास खंड व जनपद स्तर पर 4000-5000 गोवंश क्षमता के वृहद गोवंश स्थल के लिए स्थान चिन्हित किया जाए. प्रत्येक निराश्रित गो-आश्रय स्थलों पर केयर टेकर की तैनाती जरूर हो.
सीएम ने कहा कि गोवंश संरक्षण के लिए संचालित मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के आशातीत परिणाम मिले हैं. अब तक 01 लाख 85 हजार से अधिक गोवंश इस योजना के तहत आमजन को सुपुर्द किए गए हैं. गोवंश की सेवा कर रहे सभी परिवारों को 900 रुपया प्रतिमाह की राशि हर महीने उपलब्ध करा दी जाए. इसमें कतई विलम्ब न हो. डीबीटी के माध्यम से धनराशि सीधे परिवार को भेजी जाए.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि निराश्रित गोवंश संरक्षण का कार्य बिना समाज के सहयोग के कभी पूर्ण नहीं हो सकता. निराश्रित गोवंश के संरक्षण में आम जन को सहयोग के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए. गाय हमारी संस्कृति में पूजनीय है. बड़ी संख्या में लोग स्थानाभाव के कारण गो-सेवा नहीं कर पाते हैं. ऐसे परिवारों से एक निश्चित आर्थिक सहयोग लेकर उनके द्वारा चिन्हित गोवंश की निराश्रित गोआश्रय स्थल पर सेवा की जानी चाहिए. यदि गाय दूध दे रही है तो उसका उपयोग भी सम्बंधित परिवार को करने की अनुमति दें. इस संबंध में संबंधित विभाग द्वारा स्पष्ट नीति तैयार की जाए.
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उन्होंने कहा कि निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में आवश्यकतानुसार अतिरिक्त शेड का निर्माण कराएं. आश्रय स्थल में नंदी के लिए पृथक व्यवस्था होनी चाहिए. टूटे हुए कैटल शेड की मरम्मत कराएं. वहीं गोवंश का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण भी होना चाहिए. सीएम योगी ने आधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि निराश्रित गो आश्रय स्थलों में गोवंश के भरण पोषण की अच्छी व्यवस्था रहे. इसके लिये मॉनीटरिंग की आवश्यकता है. भूसा, हरा चारा, चोकर आदि की व्यवस्था समय से कर ली जानी चाहिए. सरकार की ओर से गो-आश्रय स्थलों को पर्याप्त धनराशि दी जा रही है.
इस धनराशि का समुचित उपयोग हो. निराश्रित गो-आश्रय स्थलों में व्यवस्था के निरीक्षण के लिए हर जनपद में नोडल अधिकारी तैनात किया जाए. ब्लॉक स्तर पर पशु चिकित्साधिकारी की जिम्मेदारी हो. जनपद स्तर पर व्यवस्था की साप्ताहिक समीक्षा करते हुए शासन को मासिक रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए. विधिवत सत्यापन के साथ ही निराश्रित गोआश्रय स्थलों के लिए धनराशि आवंटित कर दी जाए. पशुपालन, ग्राम्य विकास, पंचायती राज व नगर विकास विभाग अंतर्विभागीय समन्वय के साथ गो-आश्रय स्थलों में अच्छी सुदृढ़ व्यवस्था के लिए कार्य करें.
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