Horse Fair in Bareilly: एक जमाने में घोड़ों का शौक राजा और महाराजा रखते थे, जिनके पास ऐसी नस्ल के घोड़े होते थे कि लोग देखते रह जाते थे. आज भी कई रईस लोग ऐसा शौक रखते हैं, जो अपनी पसंद के किसी भी घोड़े के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं. इसी कड़ी में बरेली जिले में चौबारी मेला शुरू हो गया है. मेले में पंजाब से आया सफेद घोड़ा (तूफान) चर्चा का विषय बना हुआ है. इसकी कीमत जानकर लोग हैरान रह जाते हैं.
चौबारी मेले में अपने घोड़ों को लेकर पहुंचे दुकानदार गौरव इस बार काफी उत्साहित हैं. पंजाब, एटा, पीलीभीत, प्रयागराज से घोड़े बेचने वाले पहुंचने लगे हैं. पंजाब से 12 घोड़े लेकर चौबारी पहुंचे नईम अहमद ने बताया कि तुफान नाम का घोड़ा 1.25 लाख रुपये का है. इसका रंग सफेद और नाम तूफान है. यह नुकरा प्रजाति का घोड़ा है. इस प्रजाति के घोड़े काफी बलवान होते हैं. इनकी खुराक का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है.
बीते 15 सालों से घोड़े का व्यापार करने वाले नईम के बड़े भाई साकिर ने बताया कि हमारे पास 2.50 लाख रुपये का मारवाड़ी घोड़ा है. इस घोड़े का नाम हैं 'बादल'. साकिर बताते हैं कि ये सब कुछ घोड़ों की नस्ल पर निर्भर करता है. इनमें सिंधी, मारवाड़ी, काठियावाड़ी, नुकरा और मलाणी जैसी नस्लें शामिल हैं. इनमें कई ऐसे घोड़े भी शामिल होते हैं, जो राजा महाराजाओं के दौर में पैदा होने वाली नस्लों के ही वंशज हैं. ऐसे घोड़ों की कीमत लाखों रुपये तक होती है. अच्छी नस्ल के घोड़े रेस के लिए भी काफी पसंद किए जाते हैं.
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साकिर ने आगे बताया कि मारवाड़ी घोड़ों की खासियत यह है कि ये घोड़े अन्य घोड़ों की तुलना में दौड़ने में तेज़ होते हैं और रेगिस्तानी इलाके में आसानी से दौड़ सकते हैं. पीलीभीत के रहने वाले साकिर और नईम ने घोड़े की खासियत के बारे में बताया कि ये महज तीन साल का है और इसकी उचाई 66 इंच है. इस तरह के घोड़े पूरे प्रदेश में गिने चुने मात्र है. यह एक दिन में 5 लीटर दूध और मक्खन समेत 8 किलो चना इसका भोजन है. पूरे मेले में एक मात्र यह घोड़ा है जो लोगों की आकर्षण का कारण बना हुआ है.
आपको बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लगने वाले प्राचीन मेले में आम लोगों की भीड़ धीरे धीरे जुटने लगी है. यहां जानवरों का शौक रखने वाले दिल्ली, मुंबई, कोलकाता सहित देश के विभिन्न शहरों से लोग चौबारी मेले में मनपसंद घोड़ा खरीदने के लिए आते रहे हैं, हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो साल तक मेला नहीं लग सका था. इस साल मेले में बहुत से पशुपालक, किसान और घोड़े के शौकिन अगल-अलग नस्ल के घोड़े को खरीदने आ रहे है.
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