Good News: मॉनसून पर पानी नहीं फेर पाएगा El Nino, भारत को बचाएगा इंडियन ओशन डाइपोल

Good News: मॉनसून पर पानी नहीं फेर पाएगा El Nino, भारत को बचाएगा इंडियन ओशन डाइपोल

अल नीनो (El Nino) के उभरने की आशंका के बीच कहा जा रहा है कि इंडियन ओशन डाइपोल (Indian Ocean Dipole) भारतीय मॉनसून (Indian Monsoon) को बेहतर बना सकता है. बता दें कि इंडियन ओशन डाइपोल तीन फेज में होता है. इसकी +Ve फेज भारतीय मॉनसून के लिए अच्छी स्थिति है. एक्सपर्ट का मानना है कि IOD अल नीनो के असर को कम कर सकता है. मौसम एक्सपर्ट देवेंद्र त्रिपाठी से जानें आखिर क्या है इंडियन ओशन डाइपोल और भारतीय मॉनसून के लिए कैसे है ये अच्छी खबर.

अल नीनो की आशंका के बीच भारत में मॉनसून को लेकर चिंता जताई जा रही है. ग्राफिक्स-संदीप भारद्वाजअल नीनो की आशंका के बीच भारत में मॉनसून को लेकर चिंता जताई जा रही है. ग्राफिक्स-संदीप भारद्वाज
देवेंद्र त्रिपाठी
  • Jun 30, 2023,
  • Updated Jun 30, 2023, 4:18 PM IST

इंडियन ओशन डाइपोल की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है. इसके पीछे वजह है अल नीनो का खतरा. अल नीनो के उभरने की आशंकाओं के बीच यह माना जा रहा है कि अगर वह हमारे मॉनसून के लिए दानव है, तो इंडियन ओशन डाइपोल (Indian Ocean Dipole) हमारे लिए देव बनकर आएगा. यह कहीं ना कहीं इस साल के मॉनसून को बचाएगा, मॉनसून की बारिश को बेहतर करेगा. देश भर में ऐसा माना जाता है कि हर 3 से 5 साल के बीच अल नीनो और हर 3 से 5 साल के बीच में IOD के तीन चरण होते हैं. एक होता है पॉजिटिव दूसरा नेगेटिव और तीसरा न्यूट्रल. इन तीन चरणों में हर 3 से 5 वर्ष के बाद अंतराल आता है. अब यह होता क्या है? इसकी भी बात करेंगे और साथ ही साथ इस साल अब तक क्या स्टेटस है और क्या संभावना है? इसकी भी बात करेंगे.

जुलाई, अगस्त और सितंबर के तीन महीने बचे हैं. मॉनसून सीजन 2023 के दौरान इसका क्या अनुमान है, किस स्टेज में रहेगा और यह किस तरह से इंपैक्ट करेगा. भारतीय मौसम की सबसे पहले बात कर लेते हैं. 

इंडियन ओशन डाइपोल का पॉजिटिव फेज मदद करता है

भारत के निकट अगर यह निगेटिव फेज में होता है, तो भारत के मॉनसून को यह किसी तरह से मदद नहीं करता है. समुद्र की सतह का जो तापमान होता है, उसमें उतार-चढ़ाव आता है और उसी से इंडियन ओशन डाइपोल का नेगेटिव, पॉजिटिव या न्यूट्रल फेज आता है. भूमध्य रेखा के पास का हिस्सा, जिसमें हिंद महासागर के क्षेत्र शामिल हैं, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से सटा हुआ है. समुद्र की सतह का जितना औसत तापमान होना चाहिए, उससे ऊपर बढ़ना आमतौर पर पॉजिटिव होता है और उससे नीचे जाना निगेटिव होता है. इंडियन ओसेन डाइपोल जब निगेटिव फेज में आता है, तब हवाएं भूमध्य रेखा के ऊपर घूमती हैं और इनकी वजह से ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशिया की तरफ बारिश बढ़ जाती है. जबकि अफ्रीका और भारत के दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्रों की तरफ बारिश का प्रभाव कम हो जाता है. सीधे शब्दों में कहें तो इंडियन ओशन डाइपोल का निगेटिव होना भारत के लिए निगेटिव है.

अब इसका पॉजिटिव क्या होता है, इसे समझिए. जब IOD पॉजिटिव फेज में पहुंचता है तो भू-मध्य रेखा पर समुद्र की सतह का तापमान बढ़ता है. यहां पर जब समुद्र की सतह का तापमान बढ़ जाता है, तब समुद्र की सतह से जो नमी उठती है, वह लगातार अफ्रीका की तरफ बढ़ती रहती है. अफ्रीका और अरब सागर के भागों की तरफ जब नमी ज्यादा हो जाती है, तब वह भारत की तरफ पश्चिमी और दक्षिणी पश्चिमी हवाओं के साथ पहुंचती है. इससे यहां पर मानसून का असर बढ़ जाता है.

अल नीनो इफेक्ट पर भारी पड़ेगा IOD

तो IOD का पॉजिटिव होना भारत के मॉनसून के लिए पॉजिटिव स्थिति है. कई बार यह अल नीनो जैसे स्ट्रांग फेनोमेना को भी पीछे धकेल देता है. उसके असर को बिल्कुल कम कर देता है और यह माना जाता है कि इंडियन ओशन डाइपोल पॉजिटिव स्थिति में आता है तो निश्चित तौर पर भारत के मॉनसून पर इसका सकारात्मक असर पड़ता है. इस समय वेदर मॉडल्स जो IOD को लेकर जो प्रेडिक्शन दे रहे हैं, जुलाई, अगस्त और सितंबर में इसकी स्थिति भारत के लिए सकारात्मक है. जुलाई का जो प्रोजेक्शन मिड जून से पॉजिटिव फेज में दिखाया जा रहा है. 

इस बार अरब सागर का जो समुद्र की सतह का तापमान है, जनवरी से लेकर अब तक जितना होता है, उससे लगभग डेढ़ डिग्री ऊपर बना हुआ है. यह भी एक सिग्नल है कि IOD पॉजिटिव हो सकता है. जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने में यह पॉजिटिव होगा. अगस्त में और उसके बाद सितंबर में आते आते थोड़ा सा डाउन होगा. लेकिन अक्टूबर-नवंबर में भी इंडियन ओशन डाइपोल पॉजिटिव रहेगा. यानी कि भारत के मॉनसून को बचाने में, मॉनसून को बेहतर करने में इसकी भूमिका रहेगी.

MORE NEWS

Read more!