मौसम को लेकर प्रसिद्ध कवि घाघ की कहावत बुंदेलखंड के लोगों को याद आने लगी है. उनकी कहावत 'बोले लोमड़ी, फूली कांस , अब ना ही वर्षा की आस' के लक्षण बांदा के लोगों को डराने लगे हैं. कवि घाघ की कहावत के अनुसार कांच में अगर फूल आने लगे और लोमड़ी की चीख सुनाई देने लगी तो यह लक्षण बारिश की विदाई के संकेत हैं. बुंदेलखंड में इस बार कम बारिश हुई है. ऐसे में किसानों को अपने फसलों की चिंता भी अब सताने लगी है. पिछले 5 सालों में इस वर्ष जुलाई में सबसे कम बारिश हुई है जिसके चलते किसानों की उम्मीद भी अब टूटने लगी है. कम बारिश के चलते बुंदेलखंड के 18 बांध भी खाली पड़े है. सूखे के चलते खरीफ ( Kharif crop) की बुवाई भी प्रभावित हुई है. वही किसानों की मानें तो अगर 1 सप्ताह और बारिश नहीं हुई तो उनकी फसल सूख जाएंगी.
पिछले 5 सालों के बारिश के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2023 के जुलाई माह में सबसे कम बारिश हुई है जिसके चलते खरीफ की बुवाई ही नहीं बल्कि धान की रोपाई भी प्रभावित हुई है. किसान प्रेम सिंह का कहना है कि बीते बीते 15 दिनों से उनके इलाके में बारिश की स्थिति चिंताजनक है. अगर एक पखवारे के भीतर बारिश नहीं हुई तो धान की फसल चौपट हो जाएगी. जिले के 80 फीसद किसान की खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचा है. जनपद में 20 फ़ीसदी फसल ही सिंचित है जबकि जिले में खरीफ का कुल रकबा 416059 हेक्टेयर है जिसमें अब तक केवल 334861 हेक्टेयर भूमि पर ही बुवाई हो सकी है. कम बारिश के चलते 15000 हेक्टेयर धान की फसल प्रभावित हुई है. इसके अलावा किसानों की उड़द की फसल भी काली पड़ने लगी है.
वर्ष बारिश (मिमी)
2018 288
2019 279
2020 106
2021 263
2022 119
2023 75
बांदा जनपद के जिला कृषि अधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि किसान कम पानी के उपयोग वाली फसलों की बुवाई करें. इसके अलावा खेतों में चारा प्रबंधन ,मेड़बंदी, पशुपालन की तरफ भी ध्यान दें जिससे खेती के साथ-साथ अन्य स्रोत भी तैयार हो सके और उनकी आय प्रभावित ना हो.
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उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड में 2 जनपदों में ही कुल 26 बांध है. 13 बांध ललितपुर में जबकि 13 बांध झांसी में स्थित है. मानसूनी सीजन के दौरान हुई कम बारिश के चलते 18 बांध में 50 फीसदी तक खाली है. झांसी के 8 बांध और ललितपुर के 10 बांध में 50 फ़ीसदी से भी कम पानी है. इन सभी बांधों में बेतवा, केन, धसान ,पहुंज जैसी नदियों से पानी आता है लेकिन इस बार बुंदेलखंड में मानसून के रूठने की वजह से खेती किसानी पर भी संकट मंडराने लगा है. बुंदेलखंड के लाखों किसानों को न सिर्फ सिंचाई के लिए पानी मिलता है बल्कि प्याज भी बुझती है. सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बांध के ना भरने से सिंचाई के लिए पानी दे पाना मुश्किल हो जाएगा. वहीं कई इलाकों में पानी का संकट भी पैदा होगा.