जम्मू-कश्मीर में महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, गेंदे के फूल की खेती से ऐसे कर रही हैं बंपर कमाई

जम्मू-कश्मीर में महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, गेंदे के फूल की खेती से ऐसे कर रही हैं बंपर कमाई

एक किसान ने कहा कि मैं एक फूल उत्पादक हूं. यह आंखों को बहुत सुकून देने वाला है. इसके साथ काम करना आसान है. हम बहुत मेहनत से मक्का की खेती करते थे. हमें इसकी खेती में दिक्कतें आ रही थीं. अब आसानी है. उन्होंने कहा कि हम जम्मू और कटरा में फूल बेचते हैं, क्योंकि हमारे पास मंदिर हैं.

गेंदा फूल की खेती (सांकेतिक तस्वीर)गेंदा फूल की खेती (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 18, 2024,
  • Updated Aug 18, 2024, 11:28 AM IST

जम्मू-कश्मीर में महिलाओं के बीच फूलों की खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है. यहां के रामबन जिले में बड़ी संख्या में महिलाएं फूलों की खेती कर रही हैं. कई महिलाओं ने तो फूलों की खेती को ही अपनी आजीविका का मुख्य साधन बना लिया है. इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है. महिलाओं का कहना है कि वे गेंदे के फूल की खेती से आत्मनिर्भर बन रही हैं. अब वे घर का खर्च चलाने के लिए किसी दूसरे पर निर्भर नहीं हैं. वहीं, स्थानीय प्रशासन भी महिलाओं को फूल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत वैज्ञानिक औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की ‘मिशन फ्लोरीकल्चर’ योजना से  जिले की महिलाओं और किसानों को प्रोत्साहन मिल रहा है. इसके तहत महिलाओं और किसानों को फूल की खेती करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है. साथ ही मुफ्त में संकर बीज भी वितरित किए जा रहे हैं. डॉ. इकरा के अनुसार, गेंदे के फूल की खेती मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी है. साथ ही गेंदे के फूल को बंदर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इसलिए बंदरों के आतंक से प्रभावित क्षेत्रों में इसे प्राथमिकता दी जाती है.

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इतनी महिलाएं कर रहीं फूल की खेती

फ्लोरीकल्चर विशेषज्ञ तेजिंदर सिंह ने कहा कि यह एक संयुक्त अभ्यास था. गेंदा एक अच्छी कृषि जगह बटोट की क्षमता का दोहन करने के लिए काम कर सकता है. उन्होंने कहा कि पिछली बार 100-150 किसानों ने गेंदे के फूल की खेती की थी. इस बार, ऐसा लगता है कि यह आंकड़ा बढ़ रहा है. यहां महिलाएं मक्का आदि की पारंपरिक खेती से दूर हो रही हैं और गेंदा की खेती में गहरी दिलचस्पी ले रही हैं, क्योंकि यह सुविधाजनक, आकर्षक, कम समय लेने वाली फसल है.

जल्दी तैयार होती है गेंदे की फसल

तेजिंदर सिंह ने कहा कि गेंदे के फूल की फसल मक्का और अन्य पारंपरिक फसलों की तुलना में जल्दी तैयार हो जाती है और विपणन की कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा कि कटरा में  प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर के चलते फूल जल्दी बिक जाते हैं. साथ ही जम्मू शहर को 'मंदिरों का शहर' कहा जाता है. इसलिए यहां पर भी फूलों की मांग है. उन्होंने कहा कि बटोटे तहसील में सभी महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर गेंदे की खेती कर रही हैं. साथ ही यहां की महिलाएं अन्य महिलाओं को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं.

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क्या कहते हैं किसान

एक किसान ने कहा कि मैं एक फूल उत्पादक हूं. यह आंखों को बहुत सुकून देने वाला है. इसके साथ काम करना आसान है. हम बहुत मेहनत से मक्का की खेती करते थे. हमें इसकी खेती में दिक्कतें आ रही थीं. अब आसानी है. उन्होंने कहा कि हम जम्मू और कटरा में फूल बेचते हैं, क्योंकि हमारे पास मंदिर हैं. कृषि विभाग हमें मुफ्त में बीज उपलब्ध करा रहा है और इसके अधिकारी हमें प्रशिक्षण देते हैं और अक्सर मौके पर आते हैं. रामबन में कृषि विभाग के अधिकारी और धलवास, रामबन में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक इन महिलाओं को गेंदा की फसल उगाने और अपनी उपज से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन कर रहे हैं. 

 

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