ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती का विकल्प तलाश रहे हैं. कई किसान पारंपरिक खेती छोड़कर कुछ अलग कर रहे हैं. एक ऐसे ही किसान उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के हैं. उनका नाम गुरु दयाल मौर्य है. गुरु दयाल धान-गेहूं की खेती को पीछे छोड़ दिया है. इसकी जगह वो लौकी और गोभी उगाते हैं. वो एक खेत में 2 फसल की खेती कर रहे हैं. इससे उनको अच्छा-खासा मुनाफा हो रहा है.
गुरु दयाल मौर्य गोंडा के रुपईडीह ब्लॉक के रुपईडीह गांव के रहने वाले हैं. गुरु दयाल एक खेत में एक समय में दो फसल उगा रहे हैं. गुरु दयाल लौकी और गोभी की खेती कर रहे हैं. वो 5 एकड़ में खेती कर रहे हैं. इससे उनको सालाना लाखों का टर्नओवर हो रहा है.
गुरु दयाल कई सालों से सहफसली खेती कर रहे हैं. वे लौकी के साथ आलू, फूलगोभी, बंद गोभी, मूली की खेती करते हैं.
गुरु दयाल मौर्य को बचपन से खेती-किसानी का शौक है. उनका मन पढ़ाई-लिखाई नहीं लगता था. किसी तरह से उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की. उसके बाद पढ़ाई के मुंह मोड़ लिया और खेती-किसानी में पूरे तन-मन से जुट गए. आज वो अच्छी-खासी खेती करते हैं.
हिंदी डॉट न्यूज 18 डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरु दयाल मौर्य बताते हैं कि उनको खेती करने का आइडिया यूट्यूब देखकर मिला. इस आइडिया ने उनकी जिंदगी बदल दी. उन्होंने यूट्यूब पर देखा कि एक समय में एक खेत में 2 फसल कैसे उगाई जा सकती है. इसके बाद गुरु दयाल ने भी इस विधि को अपनाया. उन्होंने बताया कि 3 महीने में लौकी और गोभी की खेती से करीब 15 से 16 लाख रुपए की सालाना कमाई हो जाती है.
गुरु दयाल का कहना है कि आजकल के किसानों को नए तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए और खेती करनी चाहिए, ताकि उनको अधिक से अधिक लाभ मिल सके.
लौकी की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना होता है. खेत में 2-3 बार जुताई करनी चाहिए. बीज बोने के लिए 5-6 फीट की दूरी पर गड्ढे बनाएं. उसमें गोबर की खाद डालें. बीज लगाने के बाद नियमित तौर पर उसमें पानी दें. लेकिन खेत में जलभराव से बचना होगा. फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए फूल आने पर पानी में घुलनशील उर्वरक का छिड़काव करें. मचान विधि से लौकी की खेती करने पर पौधे आसानी से ऊपर चढ़ सकते हैं. जिससे दवाई डालने में आसानी होती है. लौकी की फसल 50 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है.