Pangasius Fish Farming in Barabanki: किसानों के लिए मछली पालन (Fish Farming) कम लागत में ज्यादा मुनाफे वाला व्यवसाय साबित हो रहा है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में किसान मछली पालन के क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के गंगवारा के रहने वाले मोहम्मद आसिफ सिद्दीकी भी साल 2015 में मछली पालन के व्यवसाय से जुड़े. सबसे खास बात है कि आसिफ ने मछली पालन के लिए (High Density Culture) की तकनीक यानी कच्चे तालाब को अपनाया, जिससे आज उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 2.5 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है.
दरअसल मो. आसिफ सिद्दीकी का रुझान पहले खेती और पशुपालन के तरफ नहीं था. वहीं, उनके पिता किसान हैं, वो हमेशा कुछ नए-नए प्रयोग के बारे में रिसर्च करते थे. लेकिन जिस फिल्ड में उन्होंने किस्मत अजमाई उनको निराशा ही हाथ लगी. आपको बता दें कि मो. आसिफ सिद्दीकी ने सबसे पहले केले की खेती की, लेकिन कोई खास मुनाफा उनको नहीं हुआ, उसके बाद रियल एस्टेट सेक्टर में काम की शुरुआत की. वहां भी निराशा ही हाथ लगी. इस तरह उनका कोई भी बिजनेस नहीं चला. ऐसे में थक हारकर मो. आसिफ को मछली पालन करने का विचार आया.
इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से बातचीत में मो. आसिफ ने बताया कि लगातार खेती में भारी नुकसान हुआ. ऐसे में घाटे से उबरने के लिए हम नए विकल्पों की तलाश कर रहे थे. तभी सिद्दीकी अपने एक करीबी दोस्त परवेज के संपर्क में आए. परवेज आरएएस तकनीक (RAS Technology) का उपयोग करके मछली पालन कर रहा था और बेहतर कमाई कर रहा था.
अपने दोस्त के प्रॉफिटेबल मछली बिजनेस को देखते हुए, साल 2015 में आसिफ ने भी एक एकड़ में पंगेसियस मछलियों की नर्सरी तैयार की. उन्होंने बताया कि मछली पालन का बिजनेस हमारे लिए बिल्कुल नया था. इसके बारे में उन्हें बहुत कम जानकारी थी. अधिक जानकारी हासिल करने के लिए उन्होंने मत्स्य विभाग, यूपी द्वारा आयोजित अलग-अलग ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेकर नई-नई तकनीक को जाना और समझा.
आसिफ सिद्दीकी ने बताया कि उन्होंने प्रति एकड़ 1.50 लाख रुपये के स्टॉकिंग डेंसिटी के साथ एक एकड़ क्षेत्र में कच्चे तालाबों का निर्माण करके बिजनेस शुरू किया. 6 से 7 महीनों में 62 टन मछली का उत्पादन हुआ, जिससे उन्हें अपनी कृषि भूमि को तालाबों में बदलने और अपने खेत को 6 एकड़ तक विस्तार करने का मौका मिला. मो. आसिफ सिद्दीकी ने आगे बताया कि पश्चिम बंगाल से पंगेसियस मछलियों के बीज 3 रुपये प्रति की दर से खरीदे. उन्होंने बताया कि आज 6 एकड़ में 250 टन मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं, जिसकी सप्लाई बाराबंकी, लखनऊ, सीतापुर, सुल्तानपुर, उन्नाव, कानपुर, हरदोई, कन्नौज, शाहजहांपुर सहित कई जिलों में की जा रही है.
सिद्दीकी ने बताया कि वर्ष 2018 में उन्हें उत्तर प्रदेश के मत्स्य विभाग से 30 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाने, एरेटर लगाने और तालाबों में 5 एचपी का सोलर पंप लगाने के लिए 6 लाख रुपये की सब्सिडी मिली थी. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में उन्होंने मछली पालन बिजनेस में 50 लोगों को रोजगार भी दिया है. उन्होंने बताया कि पंगेसियस मछलियों का पालन कभी नॉर्थ इंडिया में नहीं होता था, सभी मछलियां आंध्र प्रदेश से आती थीं. 'High Density Culture' के जरिए मछली पालन की तकनीक वियतनाम देश में थी. वहां से हमने इस कल्चर को सिखकर मछली पालन के कारोबार को आगे बढ़ाया, जिससे हमारी कंपनी का सालाना टर्नओवर 2.5 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है. यही वजह है कि आज किसान मिश्रित मछली पालन की तकनीक अपनाकर सामान्य के मुकाबले 5 गुना ज्यादा मछलियों का उत्पादन कर बंपर मुनाफा कमा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि मछलियों के बच्चों की नर्सरी तैयार करने के लिए बहुत सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. साथ ही उनका खास खयाल भी रखना पड़ता है. तालाब में मछलियों के बच्चों को ऑक्सीजन की कमी ना हो इसके लिए वह पाइप से ऑक्सीजन की कमी को पूरा करते हैं. साथ ही अगर किसी बीमारी का खतरा रहता है तो वह मछलियों के चिकित्सकों से सलाह लेते है और इन्हें उचित इलाज भी देते हैं.
साथ ही अन्य जीवजंतुओं से मछली के बच्चों को नुकसान ना हो इसके लिए तालाब को पूरी तरह से जाल के द्वारा ढक रखा है. साथ ही वह इनके खाने के लिए इनकी उम्र के हिसाब से फिश फीड भी उपलब्ध कराते हैं. वहीं जुलाई-अगस्त महीना मछली पालन शुरू करने के लिए सबसे बेहतर होता है. मछली पालन में नया मुकाम हासिल करने आसिफ सिद्दीकी को किसान सम्मान सहित कई मंचों पर सम्मानित भी किया जा चुका हैं.
आपको बता दें कि मछली पालन के लिए यूपी सरकार की कई योजनाएं चल रहीं हैं. मछली पालन की योजनाओं का लाभ लेने के लिए अपने जिले के मत्स्य विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं.