Sugarcane Variety: गन्ने की इस प्रजाति ने किसानों की बदल दी तकदीर, देश ही नहीं दुनिया में बनाया रिकॉर्ड

Sugarcane Variety: गन्ने की इस प्रजाति ने किसानों की बदल दी तकदीर, देश ही नहीं दुनिया में बनाया रिकॉर्ड

सीओ-0238 गन्ने की एक ऐसी प्रजाति थी जिसने देश के भीतर गन्ने के क्षेत्रफल में 55 फ़ीसदी हिस्सेदारी बनाई. पूरे विश्व में गन्ने की एक ऐसी प्रजाति के रूप में स्थापित हुई जिसने 275 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल पर यह किस्म बोई गई जिसकी वजह से इसने विश्व रिकॉर्ड भी बनाया. भारत की यह किस्म ने अपना परचम विश्व के क्षितिज पर खूब लहराया जिसकी वजह से देश का भी मान बढ़ा।

धर्मेंद्र सिंह
  • Lucknow ,
  • Jan 08, 2024,
  • Updated Jan 08, 2024, 5:18 PM IST

गन्ने की वजह से आज लोगों के जीवन में मिठास घुल रही है. वहीं गन्ने की क्रांति के लिए डॉ. बख्शी राम का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. करनाल के गन्ना प्रजनन संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र में रहकर डॉ. बख्शी राम ने गन्ने की 24 नई किस्म को विकसित करने का काम किया, जिनमें से सीओ-0238 भी शामिल थी. गन्ने की इस प्रजाति ने किसानों के खेतों में एक दशक तक अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी. इस प्रजाति के दम पर न सिर्फ पंजाब, हरियाणा, यूपी और बिहार जैसे राज्यों में किसान खुशहाल बने, बल्कि विश्व स्तर पर भी इस प्रजाति ने एक विश्व रिकॉर्ड कायम किया.

फिलहाल यह प्रजाति भले ही समस्या ग्रस्त हो चुकी है, लेकिन डॉ. बख्शी राम का नाम आज भी किसानों के बीच गन्ना क्रांति के पुरोधा के रूप में लिया जाता है. 2023 में उनके इस योगदान के लिए पद्मश्री से भी नवाजा गया. उन्होंने किसान तक से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि उनकी दूसरी प्रजाति सीओ- 0118 को किसान अब सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. फिलहाल इस प्रजाति का यूपी के भीतर 16 फ़ीसदी क्षेत्रफल हो चुका है. जल्द ही यह प्रजाति 0238 की जगह ले लेगी.

डॉ. बक्शी कैसे बने गन्ना किसानों के मसीहा

पद्मश्री से सम्मानित डॉ बक्शी राम को गन्ना क्रांति का पुरोधा माना जाता है. उन्होंने विदेश और किसानों के लिए गन्ने के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है. दिल्ली के नजफगढ़ के रहने वाले डॉ. बख्शी राम भले ही 2021 में सेवानिवृत हो चुके हैं लेकिन आज भी वह किसानों की आय बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. डॉक्टर बख्शी राम ने करनाल अनुसंधान केंद्र में 24 सालों तक रहकर काम किया. इस दौरान उन्होंने 24 नई किस्मों को ईजाद किया. उनकी अगुवाई में टीम ने देश को गन्ने की एक ऐसी किस्म दी जिसके चलते लाखों किसानों की तकदीर बदल गई.

सीओ-0238 ऐसी ही एक प्रजाति है जिसकी वजह से न सिर्फ चीनी का उत्पादन बढ़ा, बल्कि प्रति हेक्टेयर 20 टन तक गन्ने का उत्पादन भी बढ़ गया. इस बढ़े हुए उत्पादन से गन्ना किसानों को बहुत बड़ा फायदा हुआ. इसी वजह से किसान डॉ. बख्शी राम को अपने लिए किसी मसीहा से कम नहीं मानते हैं.

गन्ना क्रांति के जनक को मिला पद्मश्री

देश में गन्ना क्रांति के जनक कहे जाने वाले शुगरकेन मैन के नाम से पहचान रखने वाले वैज्ञानिक डॉ. बख्शी राम को 2023 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पद्मश्री सम्मान प्रदान किया. डॉ. बक्शी राम ने वर्ष 2009 के दौरान गन्ने की नई प्रजाति सीओ-0238 विकसित की. इस प्रजाति की वजह से गन्ना के क्षेत्र में नई क्रांति का संचार हुआ. इस क्रांति से न सिर्फ प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ा, बल्कि शुगर रिकवरी भी बढ़ी. इससे किसानों की तकदीर और देश की तस्वीर भी बदल गई. उनके इस योगदान के चलते ही उन्हें 2023 में पद्मश्री के सम्मान से नवाजा गया.

गन्ने की विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली किस्म-0238

डॉ. बक्शी राम ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि सीओ-0238 एक ऐसी प्रजाति थी जिसने देश के भीतर गन्ने के क्षेत्रफल में 55 फ़ीसदी हिस्सेदारी बनाई. पूरे विश्व में गन्ने की एक ऐसी प्रजाति के रूप में स्थापित हुई जिसने 275 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल पर यह किस्म बोई गई. इसकी वजह से इसने विश्व रिकॉर्ड भी बनाया. भारत की इस किस्म ने अपना परचम विश्व के क्षितिज पर खूब लहराया, जिसकी वजह से देश का भी मान बढ़ा. डॉ. बक्शी राम कहते हैं कि गन्ने के लिए पहले किसानों को दक्षिण भारत की तरफ देखना पड़ता था, लेकिन सीओ-0238 ने पूरा नजरिया ही बदल दिया. इस वैरायटी के बाद दक्षिण के लोग उत्तर की ओर देखने लगे.

87 फीसद भूमि पर सीओ-0238 का कब्जा

डॉ. बक्शी राम ने बताया कि 2021 तक हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, यूपी, बिहार जैसे राज्यों में गन्ने की सीओ-0238 वैरायटी का सबसे ज्यादा भू-भाग पर कब्जा था. 2020-21 के डेटा के अनुसार पूरे भारत की 54 परसेंट भूभाग पर इस वैरायटी का कब्जा था. वहीं यूपी के 87 प्रतिशत भू-भाग पर इस प्रजाति ने अपनी पकड़ बनाई. उन्होंने बताया कि इस प्रजाति की वजह से एक नहीं बल्कि लाखों की संख्या में किसान की तकदीर बदल गई क्योंकि उनके द्वारा विकसित गन्ने की इस प्रजाति से प्रति हेक्टेयर 20 टन तक उत्पादन बढ़ा. वही 2.5 प्रतिशत शुगर की रिकवरी भी बढ़ी जिसकी वजह से किसानों को बहुत बड़ा फायदा हुआ.

सीओ-0238 की वजह से यूपी बना नंबर वन

सीओ-0238 वैरायटी के जनक डॉ. बक्शी राम ने किसान तक को बताया कि गन्ने की इस किस्म की वजह से प्रति हेक्टेयर 20 टन उत्पादन बढ़ा. इस 20 टन उत्पादन बढ़ने से किसानों को प्रति हेक्टेयर 70000 रुपये तक फायदा होने लगा. पहले किसान के खेत में प्रति हेक्टेयर 61 टन उत्पादन होता था जो इस प्रजाति के चलते बढ़कर 81 टन हो गया. इस प्रजाति की वजह से पंजाब, यूपी, हरियाणा, उत्तराखंड और बिहार जैसे राज्यों में बड़े किसानों को हर साल करोड़ों रुपये का फायदा होने लगा. इससे उनकी हालत में काफी ज्यादा सुधार हुआ. गन्ने की इस प्रजाति की वजह से उत्तर प्रदेश प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य बना. वहीं चीनी के उत्पादन में भी यह राज्य सबसे अग्रणी बन गया.

अब सीओ-0118 किस्म ने बनाई पकड़

डॉ. बक्शी राम ने सीओ-0238 के साथ ही सीओ-0118 किस्म को भी विकसित किया था, लेकिन किसानों के बीच सीओ-0238 किस्म ने मजबूत पकड़ बनाई. इस किस्म का जहां उत्पादन ज्यादा था. वहीं शुगर रिकवरी भी काफी अच्छी थी. फिलहाल सीओ-0238 किस्म बीमारी ग्रस्त हो चुकी है. इस वजह से अब खुद डॉ. बख्शी राम किसानों को सीओ-0118 किस्म को अपने खेतों में लगाने की सलाह दे रहे हैं. इस किस्म में भी शुगर रिकवरी अच्छी है, लेकिन उत्पादन कम है. वहीं उन्होंने अपने फार्म पर इसका ट्रायल भी किया था कि अगर किसान कुछ इस तरीके से सीओ-0118 को लगाएंगे तो यह किस्म भी सीओ 0238 से कम नहीं है. फिलहाल किसानों के बीच सीओ-0118 किस्म अपनी जगह तेजी से बना रही है जिसकी वजह से यूपी के कुल गन्ना क्षेत्रफल में 16 फ़ीसदी पर इस किस्म का कब्जा हो चुका है.

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