बेंगलुरु के डोड्डाबल्लापुरा के रहने वाले श्रीकांत बोलापल्ली दृढ़ संकल्प और नए आविष्कारों का एक जीता-जागता उदाहरण हैं. उन्होंने सिर्फ 10वीं कक्षा तक शिक्षा हासिल की है. कई चुनौतियों के बाद भी वह इस बात का सबूत हैं कि खेती में सफल होने का सपना देखने वालों के लिए गरीबी कोई रुकावट नहीं है. श्रीकांत ओम श्री साईं फ्लावर्स के मालिक हैं. उनका यह बिजनेस फूलों की खेती से जुड़ा है और हर साल उनका यह कारोबार 60-70 करोड़ रुपये का होता है. अभी उनके पास 50 एकड़ जमीन है. यहां वह पिछले 25 सालों से बागवानी कर रहे हैं.
50 एकड़ की जमीन पर वह 10 एकड़ शिमला मिर्च की खेती के लिए रखते हैं. जबकि बाकी 40 एकड़ की जमीन को श्रीकांत गुलाब और कारनेशन जैसे कई तरह के फूलों की खेती से सजाते हैं. श्रीकांत को आज भी याद है कि कैसे उन्हें अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए तीन साल के लिए पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. उस समय, वह अपने परिवार को कर्ज से मुक्त करने के लिए जरूरी आय हासिल करने में सक्षम नहीं थे.
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जल्द ही उनके लिए आशा की एक किरण उभरी. सन् 1995 में, उन्हें बेंगलुरु जाने का मौका मिला. यहां उन्होंने अपने पैतृक गांव के सांसद की तरफ से आयोजित फूलों की खेती को जाना. यहां से उनका जीवन बदल गया. श्रीकांत ने खेती के हाईटेक तरीकों को सीखा और उनके सामने सफलता के नए दरवाजे खुल गए. इसके बाद उन्होंने पारंपरिक खेती की जगह मॉर्डन और हाईटेक खेती को अपनाया. वर्तमान में उनके खेत पर कई तरह की टेक्नोलॉजी हैं जिन्हें समझा जा सकता है.
श्रीकांत कहते हैं, 'फार्म में पॉली हाउस, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली और सौर पैनल हैं. इन आधुनिक तकनीकों ने मेरे खेती के कामों दक्षता और उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.' इसके बाद भी श्रीकांत अपनी शुरुआत को नहीं भूले हैं. श्रीकांत बताते हैं, 'मुझे पहले दिन से इन तकनीकों के बारे में जानकारी नहीं थी. यह सब तभी संभव हुआ जब मुझे बैंगलोर में फूलों की खेती के फार्म में काम करने की पेशकश की गई. शुरुआत में मैं थोड़ा परेशान था.' मुश्किल समय भी श्रीकांत के जज्बे को डिगा नहीं सका. उन्होंने रोजाना 18 घंटे तक काम किया और उन्हें बस 1000 रुपये ही मिलते थे.
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श्रीकांत इतनी मामूली आय से अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ थे. फिर उन्होंने सन् 1997 में फूलों के बिजनेस में उतरने का साहसिक निर्णय लिया. सिर्फ 18000 रुपये के शुरुआती निवेश के साथ श्रीकांत इस बिजनेस में उतर गए. पहले वर्ष में ही श्रीकांत को पांच लाख का फायदा हुआ. समय के साथ, उनकी दृढ़ता और समर्पण ने उन्हें 50 करोड़ का कारोबारी लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित किया. श्रीकांत बताते हैं, 'किसान परिवार से आने के वजह से मैं हमेशा अपनी जमीन पर फूलों की खेती करने की इच्छा रखता था.'
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साल 2010 में बिजनेस से हुई कमाई को जमीन खरीदने में निवेश किया गया. इससे उन्हें फूल उगाने का अपना सपना पूरा करने का मौका मिला. दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से उन्होंने अपनी खेती को 10 एकड़ से बढ़ाकर 50 एकड़ तक कर लिया. श्रीकांत खेती में जुनून और समर्पण पर जोर देते हैं. उनकी मानें तो आप जो भी करें, उसे करने में आपकी रुचि होनी चाहिए. यह नहीं होना चाहिए कि आप बस आर्थिक फायदे पर ही ध्यान केंद्रित रहे.