Mango Farmer Story: मौजूदा वक्त में हमारे देश में बहुत सारे ऐसे युवा हैं जो नौकरी को छोड़कर खेती-किसानी में अपना हाथ आजमा रहे हैं और कामयाबी भी हासिल कर रहे हैं. ऐसी ही कहानी उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के खैराबाद (अवध) कस्बे में रहने वाले किसान मोहम्मद फहद फारूकी की भी है, जो आमों की कई किस्मों की सफलतापूर्वक बागवानी कर रहे हैं और लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. किसान मोहम्मद फहद फारूकी 25 एकड़ भूमि पर आम की खेती करते हैं. उन्होंने NIFT Delhi से फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई की है, और सफल किसान के साथ फैशन डिजाइनर और आम के (Exporter) भी हैं. ऐसे में आइये आज इस खबर में प्रगतिशील किसान मोहम्मद फहद फारूकी की सफलता की पूरी कहानी बताते हैं.
इंडिया टुडे के किसान तक से खास बातचीत में मोहम्मद फहद फारूकी ने बताया कि NIFT Delhi से फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएट हूं. आम की बागवानी हमारा खानदानी (पुश्तैनी) काम है. लेकिन कुछ दिनों से आम की फसल की पैदावार ठीक नहीं हो रही थी. आम का पेड़ सूख जा रहा था. आम की अति दुर्लभ प्रजातियां जो हजारा बाग में पालम पोयां हमारे सही रख-रखाव के अभाव में सूख रहे थे. इसलिए हम संरक्षण करने के लिए 5 साल पहले दिल्ली से सीतापुर आए. उन्होंने बताया कि 128 वर्षों से मेरा परिवार आम की बागवानी से जुड़ा हुआ है. हजारा आम की खास वैरायटी की पैदावार हम ज्यादा करते है. मेरे पड़ दादा जी ने मौलवी हजूर अहमद ने आम की कई अलग-अलग प्रजातियों को अपनी विशेष तकनीक ग्राफ्टिंग और क्रॉस परागण से विस्तारित किया.
पेशे से फैशन डिजाइनर मोहम्मद फहद फारूकी बताते हैं कि मेरे दादा अनीस अहमद ने आम की बागवानी को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया. जिसका नतीजा हैं कि मेरे बाग में 200 से अधिक आम की वैरायटी (प्रजातियों) का पालन हो रही है. मुख्य रूप से बंबे, दशहरी, लंगड़ा, खजरी और चौसा की पैदावार हम ज्यादा करते है.
वहीं एग्जोटिक फल की बात करें तो हजारा बाग में पाई जाने वाली प्रजातियों पर खास फोक्स रहता है. और हम 25 एकड़ में इसकी पैदावार कर रहे है. उन्होंने बताया कि जो हम सबसे सस्ता आम बेचते है वो 150 रुपये प्रति किलो के रेट से, वहीं सबसे महंगा आम की कीमत 500 रुपये प्रति किलो है. जैसे- गुलाद खास, करेला, सुनहरा लंगड़ा, लाल बहादुर, अन्नानास (अवधिहापुस), जोहरी सफेदा आदि.
सीतापुर जिले के खैराबाद (अवध) कस्बे में रहने वाले किसान मोहम्मद फहद फारूकी ने बताया कि आम की बागवानी की सबसे खास बात है कि वे अपने फसलों में रासायनिक खाद का प्रयोग कुछ खास आमों की पैदावार के लिए करते हैं. वहीं बाकी के लिए पूरी तरह से ऑर्गेनिक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं.
अपने बहुचर्चित आमों को बैग में ही सुरक्षित रखते हैं ताकि कोई रसायन उनपर न पड़े हमारा न ही कोई सताही रोग जैसे कजरी, रूजी आदमी आम को कोई चोट न पहुंचा सके. मोहम्मद फहद द्वारा आम की बागवानी में नई तकनीक की चर्चा अब सीतापुर समेत अन्य जिलों में होने लगी है.
इस साल आम की फसल की पैदावार अच्छी हुई है, पिछले 3 वर्षों के मुकाबले एक साल में 40 से 50 लाख रुपये की आमदनी हो जाती है. मोहम्मद फहद ने बताया कि दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई, भोपाल समेत कई मेट्रो सिटी में इसकी सप्लाई है. जबकि लोकल की मंडियों में आम भेजे जाते है. कुछ खास आम की बिक्री ऑनलाइन की जाती हैं. इन फलदार पौधों की खेती करने से केवल आमदनी ही नहीं बल्कि इससे पर्यावरण की भी रक्षा हो रही है. मोहम्मद फहद अपने आसपास के किसानों को भी आम की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं.