UP News: गणतंत्र दिवस (Republic Day 2024) की पूर्व संध्या पर गुरुवार को पद्म पुरस्कारों (Padma Awards 2024) का एलान कर दिया गया. उत्तर प्रदेश के कुल 12 लोगों को उनके काम के लिए पद्मश्री सम्मान दिया जाएगा. इनमें लखनऊ की नसीम बानो को चिकनकारी, मुरादाबाद में ब्रास बाबू के नाम से मशहूर बाबू राम यादव, गोरखपुर के डॉ. रामचेत चौधरी को काला नमक चावल में कृषि शोध के लिए पद्मश्री से नावाजा जाएगा. पूरी दुनिया में आज काला नामक चावल की महक गूंज रही है. लेकिन इसे नकदी फसल के रूप पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामचेत चौधरी इस साल पद्मश्री पुरस्कार मिलेगा. बता दें कि डॉ. चौधरी संयुक्त राज्य संघ से रिटायर होकर पूर्वांचल के किसानों को कृषि के क्षेत्र में अपने अनुभव के जरिए लाभ पहुंचा रहे हैं. विलुप्ति के कगार पर जा पहुंचे काला नमक धान को पुनर्जीवित कर इसकी खेती को 70 हजार एकड़ तक पहुंचा दिया है. गोरखपुर जनपद के शिवपुर सहबाजगंज निवासी डॉ रामचेत चौधरी पीआरडीएफ अध्यक्ष हैं.
डॉ रामचेत चौधरी बताते हैं कि, काला नमक चावल का इतिहास भगवान बुद्ध के समय का है. एक दशक पहले तक यूपी में काला नमक चावल का रकबा लगभग 2 हजार हेक्टेयर था. लेकिन, चावल को जीआई टैग मिलने और यूपी सरकार के प्रयासों के बाद काला नमक चावल का रकबा मौजूदा समय में 75 हजार हेक्टेयर के पार पहुंच गया है. सीधे तौर पर इसका फायदा किसानों को मिल रहा है.
यूपी के 11 जिलों को काला नमक चावल का जीआई टैग मिला है. इन जिलों में पूर्वांचल के महाराजगंज, गोरखपुर, सिद्धार्थ नगर, संत कबीरनगर, बलरामपुर, बहराइच, बस्ती, कुशीनगर, गोंडा, बाराबंकी, देवरिया और गोंडा शामिल हैं.
इसी क्रम में राजधानी लखनऊ की नसीम बानो चिकन जरदोजी की ऐसी कलाकार हैं, जिन्हे 1982 में राष्ट्रपति ने इस हुनर के लिए सम्मानित किया था. इनके पिता हसन मिर्जा भी जाकिर हुसैन द्वारा नेशनल अवार्डी थे, जबकि नसीमबानो को 1988 में केआर नारायणन ने सम्मानित किया था. केंद्र सरकार ने इस साल पद्मश्री सम्मान देने का एलान किया है.
मुरादाबाद जिले के रहने वाले बाबू लाल यादव को पद्म श्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. बाबू राम यादव को पीतल के बर्तनों पर नाजुक और बढ़िया डिज़ाइन उकेरने में महारत हासिल है. पीतल कारीगरी में बाबू राम यादव का योगदान छह दशक पर शामिल है. ब्रास के बाबू के नाम से प्रसिद्ध बाबू लाल यादव पिछले छह दशकों से विश्व स्तर पर पीतल मरोरी शिल्पकला को दर्शा रहे हैं. 74 वर्षीय बाबू लाल यादव 1962 से पीतल हस्तशिल्प का कार्य कर रहे हैं. इससे पहले उन्हें 1985 में राज्य पुरस्कार,1992 में राष्ट्रीय पुरस्कार और 2014 में शिल्प गुरु सम्मान मिल चुका है. बाबू राम यादव शिल्पकारों को पीतल के बर्तन पर कलाकारी की ट्रेनिंग देकर कला को जीवित रखे हुए हैं.
ये पुरस्कार कला, साहित्य, शिक्षा, खेल-कूद, चिकित्सा, समाज सेवा, विज्ञान, इंजीनियरिंग, लोक कार्य, सिविल सेवा, व्यापार और उद्योग समेत अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धि या सेवाओं के लिए दिए जाते हैं.
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