मार्च के महीने में सुमित्रा के दरवाजे पर जब कृषि ड्रोन पहुंचा, तो उनको भी यकीन नहीं हुआ. उन्हें भरोसा नहीं था कि यह ड्रोन उन्हें आर्थिक ही नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी एक पहचान दिलाने का काम करेगा. सुमित्रा किसान तक को बताती हैं कि पहले ससुराल में पति के नाम से पहचान हुआ करती था. लेकिन जीविका से जुड़ने के बाद खुद के नाम से पहचान होने लगी. 2016 से पहले घर के अंदर ही एक दुनिया थी. लेकिन अब जिस तरह से आधुनिक युग में कृषि के क्षेत्र में ड्रोन को किसी परिचय की जरूरत नहीं है. कुछ उसी तरह सुमित्रा ड्रोन दीदी किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. वे कृषि उद्यम से जुड़कर महीने का चालीस से पचास हजार रुपये की कमाई कर रही हैं. वहीं उन्होंने कृषि ड्रोन का प्रशिक्षण डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर से लिया है.
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के मेहसी ब्लॉक के छिटकहियां गांव की रहने वाली सुमित्रा कहती हैं कि ड्रोन मिले बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ है. इसकी वजह से अभी तक चार एकड़ खेत में ही उसका इस्तेमाल कर पाई हैं. लेकिन खरीफ सीजन में मांग बढ़ेगी क्योंकि किसानों ने कृषि ड्रोन के महत्व को समझा है और हर रोज एक दो किसान संपर्क करते हैं.
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सुमित्रा कहती हैं कि अभी मार्च महीने में ही ड्रोन मिला है. लेकिन इतने कम समय में ड्रोन से दवा छिड़काव करने के लिए हर रोज किसान संपर्क कर रहे हैं. वहीं कृषि ड्रोन से दवा छिड़काव करने के लिए विभिन्न फसलों के अलग-अलग दाम तय किए हैं. मक्का, गन्ना जैसे बड़े फसलों के लिए एक एकड़ पर चार सौ रुपये लेती हैं. वहीं छोटे साइज के फसलों का प्रति एकड़ 300 रुपये चार्ज करती हैं. आम, लीची के पेड़ों पर दवा छिड़काव के लिए 50 रुपये प्रति पेड़ लेती हैं. आगे वह कहती हैं कि ऑर्डर तो हर रोज आता है, लेकिन ड्रोन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने और आने में काफी दिक्कत है. वहीं इसकी बैट्री क्षमता कम होने से थोड़ी दिक्कत आ रही है. वे कहती हैं कि इन सब बातों पर सरकार को सोचने की जरूरत है.
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41 वर्षीय सुमित्रा कहती हैं कि 2016 से पहले घर का खर्च चलाना काफी मुश्किल था. लेकिन 2017 में जीविका से जुड़ने के बाद घर की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में काफी बदलाव आया है. वहीं जीविका की मदद से साल 2021 में कृषि उद्यम के तहत खाद बीज दुकान खोलने का लाइसेंस मिला. इसके बाद जीवन में काफी बदलाव आया है. कभी महीने के दस हजार रुपये कमाना अपने आप में बहुत बड़ी बात थी. लेकिन आज महीने के चालीस हजार से पचास हजार रुपये आसानी से कमा लेती हैं. वहीं इसी दुकान और कृषि ड्रोन की बदौलत एक बेटा पटना में बी फार्मा की पढ़ाई कर रहा है. वहीं अन्य दो बच्चे अच्छे कॉलेज में पढ़ रहे हैं.