बिहार राज्य के वैशाली जिले के रहने वाले राजकुमार सिंह ऑर्गेनिक खेती से मोटी कमाई कर रहे हैं. साथ ही अन्य लोगों को भी खेती के लिए जागरूक कर रहे हैं. 24 साल से सब्जी की खेती से नाता रखने वाले सिंह दो साल से ऑर्गेनिक सब्जी की खेती कर रहे हैं. कम खर्च में स्वास्थ्यवर्धक सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं. वह कहते हैं कि केमिकल युक्त सब्जियों की तुलना में ऑर्गेनिक सब्जी की खेती में लागत का 70 से 80 प्रतिशत शुद्ध कमाई है. आज ऑर्गेनिक खेती की कमाई दिख रही है. वहीं पहले खेती का सारा पैसा खेती में लग जाया करता था.
राजकुमार सिंह 2 साल से आधुनिक तकनीक की मदद से ऑर्गेनिक तरीके से शिमला मिर्च और एक साल से टमाटर की खेती कर रहे हैं. इन्होंने करीब आधा एकड़ में सरकारी मदद से शेडनेट हाउस लगवाया है, जिसमें शिमला मिर्च की खेती करते हैं. इसके साथ ही आधा एकड़ में टमाटर सहित अन्य सब्जियों की खेती कर रहे हैं. सालाना 4 से 5 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं.
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किसान तक से बातचीत में राजकुमार सिंह ने बताया कि साल 2021 तक वह अपने खेतों में रासायनिक खादों का उपयोग ज्यादा करते थे,जिसकी वजह से पौधों की life ज्यादा दिन तक की नहीं होती थी. वहीं पहले की तरह दवा भी काम नहीं करती थी, जिसके बाद उन्होंने आर्गेनिक खेती की ओर रुख किया. वह बताते हैं कि जहां एक कट्ठा में शेडनेट हाउस में शिमला मिर्च की खेती पर रासायनिक खाद व मजदूरी मिलाकर 3 हजार रुपये खर्च आता था. वहीं ऑर्गेनिक तरीके से शिमला मिर्च की खेती पर खर्च करीब एक हजार रुपए तक आ गया है. इसके साथ ही पौधों की लाइफ ज्यादा है. साथ ही उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है. एक सप्ताह के दौरान करीब 10 क्विंटल तक शिमला मिर्च का उत्पादन हो जाता है.
मौसम के बदलते मिजाज और जलवायु परिवर्तन की वजह से खेती पर असर देखा जा रहा है, लेकिन राजकुमार सिंह अपने अनुभव के आधार पर कहते हैं कि मौसम में बदलाव के बीच रासायनिक खाद के उपयोग के दौरान 35 डिग्री से कम तापमान पर फल गिरने लगते हैं, जबकि ऑर्गेनिक विधि से खेती करने से शिमला मिर्च और टमाटर के फल नहीं गिरते हैं. साथ ही फंगस की समस्या पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है.
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राजकुमार सिंह का खेती से नाता 1998 से है, लेकिन वह पिछले चार से पांच सालों से पूरी तरह खेती से जुड़ गए हैं. इस खेती से चार से पांच लाख रुपये तक की शुद्ध कमाई कर रहे हैं. वह कहते हैं कि खेती में पूरी तरह से आने से पहले पंप सेट रिपेयरिंग का काम करते थे. मगर समय के साथ आधुनिक तकनीक ने कृषि के क्षेत्र में कदम रखा. उसके बाद से पंप सेट बनाने का काम चौपट हो गया. जिसके बाद अन्य लोगों की तरह रासायनिक दवा की मदद से सब्जी की खेती करना शुरू किया, लेकिन लागत का चौथाई भी नहीं निकल पाता था. किंतु अब एक साल से ऑर्गेनिक विधि से सब्जी की खेती से लागत का 70 से 80 प्रतिशत शुद्ध कमाई हो जाया करती है. साथ ही रासायनिक सब्जी खाने से परिवार के लोग काफी बीमार पड़ते थे. उसमें बीमारी में लगने वाले खर्च में भी कमी आई है.