12 साल के इस बच्चे को खेती से हुआ 'प्यार'! फल-सब्जियों से बनाया अपना शानदार करियर

12 साल के इस बच्चे को खेती से हुआ 'प्यार'! फल-सब्जियों से बनाया अपना शानदार करियर

केरल के इडुक्की के इस बच्चे की उम्र 12 साल है. नाम है अमित के बिजू. अमित ने पढ़ाई के दौरान ही खेती का संग चुना. कोरोना में लॉकडाउन में जब सभी लोग घरों में कैद थे, तो अमित फलों और सब्जियों पर अपना ध्यान लगा रहा था. आज वह मेहनत रंग लाई है. पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें.

केरल में 12 साल के अमित के बिजू को मिला बेस्ट स्टुडेंट फार्मर का पुरस्कारकेरल में 12 साल के अमित के बिजू को मिला बेस्ट स्टुडेंट फार्मर का पुरस्कार
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 19, 2023,
  • Updated Aug 19, 2023, 8:35 AM IST

खेती कौन करेगा, कौन नहीं करेगा, क्या इसका कोई पैमाना है? खेती के लिए क्या उम्र का कोई तकाजा है? क्या ये जरूरी है कि एडल्ट लोग ही खेती करेंगे, लड़के या बच्चे नहीं? क्या खेती को मर्दाना और महिला में बांटेंगे? इन सभी बातों का जवाब ना है. क्योंकि खेती ही ऐसा काम है जो पूरी तरह से हमारी ललक पर निर्भर है. क्या बच्चा और क्या जवान, या क्या बुजुर्ग...अगर खेती करने का मन है तो उसे कोई नहीं रोक सकता क्योंकि सामान्यत: यह काम पुश्तैनी होता है. ऐसी ही एक रिपोर्ट केरल के इडुक्की से आ रही है जहां एक 12 साल के बच्चे ने खेती में कमाल कर दिया है. इस बच्चा किसान का नाम है अमित के बिजू.

अमित के बिजू की कहानी बताती है कि कोरोना के दौरान उसे खेती से प्यार हो गया. आपको सुनकर अजीब लगेगा क्योंकि अमूमन ऐसा होता नहीं है. प्यार-मोहब्बत तरह-तरह के होते हैं, जिसमें एक खेती से लगाव भी है. अमित ने इसी प्यार को चुना. ऐसा नहीं है कि अमित केवल खेती में ही रमा रहता था. वह सातवीं क्लास का छात्र भी था. मगर पढ़ाई के अलावा उसे भिंडी, तोरई, कद्दू, लौकी से लेकर तरह-तरह के फलों से प्यार हो गया. फिर क्या था. अपने नाजुक हाथों से उसने अपने प्यार को परवान चढ़ाया और खेती शुरू कर दी.

खेती का जुनून जो न कराए

खाली समय मिलते ही अपने पुश्तैनी तीन एकड़ के फार्म में पहुंच जाता और पौधों की देखभाल और दुलार-प्यार शुरू कर देता. अमित की यह चर्चा दूर-दूर तक फैल गई. लिहाजा बिसनवैली गांव के उसके स्कूल ने अमित को बेस्ट स्टुडेंट फार्मर के पुररस्कार से नवाजा. पुरस्कार भी उस दिन दिया गया जिस दिन पूरे केरल किसान दिवस मनाया गया. यह दिन था एक अगस्त.

अमित के बिजू की मां 'दि न्यू इंडियन एक्सप्रेस' को बताती हैं कि उनका बच्चा कोविड के लॉकडाउन के दौरान बोर होता था. स्कूल बंद था, पढ़ाई हो नहीं रही थी. लोगों से मिलना-जुलना नहीं हो पा रहा था. यहां तक के अमित के दोस्त भी घर से नहीं निकलते थे. फिर क्या था. अमित को अपने खेत और सब्जी-फलों से लगाव हो गया. अमित के पिता अपने पुश्तैनी तीन एकड़ खेत में मसाले, खासकर इलायची की खेती करते हैं. अमित अपने पिता के साथ उस खेती में हाथ बंटाने लगा.

पिता को भी साथ देना पड़ा

इलायची अपनी जगह पर, अमित ने उसकी खेती को छेड़ना उचित नहीं समझा और अपने ढंग से सब्जियों की खेती शुरू कर दी. पिता ने अपने बच्चे की इच्छा को देख तीन एकड़ खेत का एक हिस्सा अमित के हवाले कर दिया. अमित को इसी दिन का इंतजार था. पिता से मदद लिए बिना अमित ने अपने हिसाब से प्रयोग शुरू किए. बीज बोने से लेकर खाद डालने तक और फसलों की निराई-गुड़ाई से लेकर कटाई तक, अमित ने सभी काम को बाखूबी अंजाम दिया.

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अमित का प्रयास और मेहनत रंग लाई क्योंकि वह इस साल अपनी गर्मी की छुट्टियों के दौरान 15 किलो लोबिया, 6 किलो बैंगन और 4 किलो बटर बींस के अलावा प्लम, खुबानी और मैंगोस्टीन सहित अन्य बींस, सब्जियों और फलों की फसल ले सका. बाहर बेचने के बजाय, अमित ने कटी हुई सब्जियों को पड़ोसियों और रिश्तेदारों को मुफ्त में देना पसंद किया.

ऐसे हुआ खेती से प्यार

रिपोर्ट बताती है कि अमित अपनी छुट्टियों के दौरान सब्जियों और फलों की खेती करता है. पिछली बार गर्मी की छुट्टियों में अमित ने सब्जियों की कटाई की थी. अब उसने ओणम की छुट्टियों के दौरान खेती के लिए ग्रो बैग और बीज तैयार किए हैं. इससे अगले सीजन में सब्जियां उगाई जाएंगी. 

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अमित की मां सरन्या कहती हैं, अपने बेटे को बहुत कम उम्र में खेती में लगा देखकर उन्हें खुशी और गर्व होता है. वे कृषि विभाग के अधिकारियों को भी थैंक्स बोलती हैं और कहती हैं कि अमित जैसे बच्चों के लिए एक प्रेरणा है जिससे उन्हें खेती की खोई हुई परंपरा को वापस लाने में मदद मिलेगी.

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