एक कृषि प्रधान देश होते हुए भी भारत में कृषि को लेकर अनेक अवधारणाएँ हैं. किसानों को हो रहे नुकसान को देखकर वे खेती छोड़कर दूसरे कामों में लग जाते हैं तो जो खेती करना चाहते हैं, वे यह सोचकर पीछे हट जाते हैं कि इसमें पैसा नहीं है. लेकिन समय के साथ इसमें कई बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं. आज के समय में खेती एक सफल रोजगार के रूप में सामने आ रहा है जो काफी लोगों को अपनी ओर आकर्षित भी कर रहा है. ऐसे में जो लोग सोचते हैं कि खेती में फायदे से ज्यादा नुकसान होता है तो हम आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. ऐसे में आइए जानते हैं भारत में 5 धनी किसान के बारे में जो आपकी इस सोच को पूरी तरह से बदल सकते हैं.
प्रमोद गौतम जिन्हें आज एक सफल किसान के रूप में जाना जा रहा है, पेशे से ऑटोमोबाइल इंजीनियर थे. उन्होंने 2006 में खेती करने का फैसला किया, जिसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. प्रमोद गौतम ने पारंपरिक खेती करने के बजाय बागवानी करने की सोची और उसके लिए अलग रणनीति तैयार की. प्रमोद ने तकनीक की मदद से खेती करने का फैसला किया और 2007-08 में उन्होंने पूरी तरह से कृषि पर ध्यान केंद्रित किया. आज के समय में वो खेती कर हर साल लगभग 1 करोड़ और अपनी कृषि उपज से अतिरिक्त 10-12 लाख रुपये कमा रहे हैं.
नागपुर के मैकेनिकल इंजीनियर सचिन काले ने बिजली संयंत्र में अपना करियर शुरू किया. जिससे वह प्रति वर्ष 24 लाख रुपये का अच्छा वेतन कमा रहे थे लेकिन बाद में इस आराम की नौकरी को छोड़कर वह खेती-किसानी की और निकल गए. सचिन काले ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर काफी रिसर्च की और साल 2014 में अपनी खुद की कंपनी 'इनोवेटिव एग्रीलाइफ सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड' शुरू की. सचिन की कंपनी किसानों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने में मदद करती है. जिसके बाद सचिन ने पेशेवर रूप से कृषि सलाहकारों को काम पर रखा और उन्हें प्रशिक्षण देना शुरू किया. आज सचिन की कंपनी करीब 137 किसानों की 200 एकड़ से ज्यादा जमीन पर खेती करती है और साल में करीब 2 करोड़ का कारोबार करती है.
एक बार जब लोगों को सरकारी नौकरी मिल जाती है तो वे उसमें अपना पूरा जीवन लगा देते हैं. बहुत कम लोग होते हैं जो सरकारी नौकरी छोड़कर कुछ अलग करने की सोचते हैं. लेकिन हरीश धनदेव वो शक्स हैं जिन्होंने खेती करने के लिए सरकारी नौकरी तक छोड़ दी. हरीश ने लीक से हटकर खेती करने का फैसला किया और बीकानेर कृषि विश्वविद्यालय चले गए. वहां एलोवेरा की खेती की पूरी प्रक्रिया को समझा. आज के समय में वो एलोवेरा की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और सबसे अमीर किसान की सूची में भी शामिल हैं.
राम सरन वर्मा भारत के सबसे अमीर किसान हैं, जो आधुनिक खेती के सहारे आज सबसे अमीर किसानों की सूची में शामिल हैं. इसके अलावा, वह अपने राज्य में एकमात्र किसान हैं जो इन विधियों को छोटे भारतीय किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों तक ले जाते हैं. राम सरन वर्मा को उनके प्रयासों के लिए विभिन्न भारतीय कृषि पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है. उनकी कृषि पद्धतियों का अध्ययन किया गया है और राज्य भर में दोहराया गया है. 2019 में, उन्हें भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री पुरस्कार भी मिला है.
राजीव बिट्टू पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट होने के साथ-साथ एक पूर्णकालिक किसान भी हैं. उनके मुताबिक चार्टर्ड अकाउंटेंसी प्रैक्टिस से ज्यादा पैसा खेती में है. जिसके कारण उनकी रुचि कृषि में अधिक हो गई. 2014 के मध्य में, राजीव के पास तरबूज और खरबूजे की अच्छी फसल हुई थी. हालांकि, मुनाफा उनके निवेश जितना संतोषजनक नहीं था. नतीजतन, उन्होंने संपत्ति को छोटे भागों में विभाजित करने और प्रत्येक भाग से अपने निवेश और कमाई का आकलन करने का फैसला किया. जिसके बाद वह खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं और आज के समय में वह अमीर किसानों की लिस्ट में भी शामिल हैं.