यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री मत्स्य डॉ. संजय निषाद (Dr. Sanjay Nishad) ने रविवार को राजधानी लखनऊ में मछुआ समाज के लिए बड़ा ऐलान किया. मंत्री डॉ. संजय निषाद ने मत्स्य विभाग के पोर्टल www.fisheries.up.gov.in के माध्यम से आम जन-मानस से आवेदन प्राप्त कर समिति के गठन किए जाने हेतु ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ किया. मीडिया से बातचीत में मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद ने कहा कि ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से अब प्रस्तावित समिति के निबन्धन के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रार्थना पत्र द्वारा समिति के गठन की सम्भावनाओं तथा मत्स्य पालन, मत्स्य उत्पादन एवं मत्स्य विपणन के आधार पर गठन की प्रक्रिया होगी.
उन्होंने बताया कि पोर्टल के शुभारम्भ से समिति के निबंधन में अनावश्यक विवाद एवं विलंब से बचा जा सके.
ऑनलाइन प्रक्रिया से समिति गठन में पारदर्शिता एवं मछुआ समुदाय को स्व रोजगार प्राप्त करने में सुगमता होगी. अब तक प्रदेश में 1135 समितियां गठित है, अभियान चला कर नदी जल धारा पर 565 समितियां गठित कराई जाएंगी जिससे लगभग 16000 मछुआ समुदाय के लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. मत्स्य डॉ. संजय निषाद ने आगे कहा कि प्रत्येक न्याय पंचायत में समिति गठन की कार्यवाही की जायेगी जिससे मछुआ समुदाय के व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे एवं उनका आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान होगा.
वहीं, संशोधित प्रस्तावित समिति का कायक्षेत्र तहसील के अन्तर्गत नदी के चिन्हांकित खंड तथा तालाब पर गठित समिति को एक न्याय पंचायत तक ही सीमित रखा गया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा मछुआ समुदाय के गरीब व्यक्तियों को समिति में सदस्य बनने का अवसर मिल सके. साथ ही साथ एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का विकास होगा, जिससे राजस्व की बढ़ोतरी होगी.
यूपी के मत्स्य पालन मंत्री डॉ. निषाद ने कहा कि निबंधित समितियों को राजस्व विभाग की जल प्रणालियों के पट्टा आदि का आवंटन करने में राजस्व सहिंता 2016 का पालन किया जाएगा. बाकी जल प्रणालियों के सम्बन्ध में संबंधित विभाग के प्रचलित नियमों का पालन किया जाएगा. जबकि निबंधित मत्स्य जीवी सहकारी समितियां मत्स्य/मत्स्य उत्पादों के विपणन आदि से सम्बंधित कार्य बिना कार्यक्षेत्र की परिसीमा के सम्पूर्ण प्रदेश में स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए अधिकृत होंगी.
इस प्रकार अब मत्स्य जीवी सहकारी समितियां बहुउद्देशीय समितियों के रूप में कार्य कर सकेंगी तथा उनके सदस्यों को जीविकोपार्जन के अतिरिक्त स्त्रोत प्राप्त होंगे. आवेदन के साथ संलग्न किये जाने वाले अभिलेख और विस्तृत विवरण एवं विज्ञापन विभागीय पोर्टल पर भी देखा जा सकता है.
1- पोर्टल पर मुख्य प्रवर्तक द्वारा आवेदन हेतु पंजीकरण करना होगा.
2- पंजीकरण के उपरांत प्रस्तावित समिति के गठन हेतु क्रमशः तीन बैठको का विवरण संलग्न करना होगा.
3- समिति गठन हेतु न्यूनतम 27 सदस्य होना अनिवार्य है, अधिकतम कितने भी सदस्य समिति के सदस्य बन सकते है.
4- 27 सदस्यों में से 3 सदस्य अनुसूचित जाति के एवं 6 महिलाओं का होना अनिवार्य है.
5- समिति की साधारण सदस्यता केवल ऐसे व्यक्तियों के लिए खुली होगी, जिसका चरित्र अच्छा, मस्तिष्क स्वस्थ और आयु 18 साल से अधिक हो, समिति के कार्यक्षेत्र में रहता हो और मछली पकड़ने, पालने का कार्य सक्रिय ढंग से करता हो.
6- सभी सदस्यों का अपना आधार कार्ड एवं मोबाइल नंबर भरना अनिवार्य है.
7- एक परिवार से एक ही व्यक्ति समिति का सदस्य हो सकता है.
8- सचिव की आयु 20 साल से अधिक, सचिव की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट तथा सचिव का चरित्र उत्तम होना अनिवार्य है.
9- एक व्यक्ति मत्स्य विभाग द्वारा गठित समितियों में से किसी एक ही समिति का सदस्य हो सकता है. सदस्यों को अंशपूंजी न्यूनतम प्रति सदस्य 100 रुपये तथा प्रवेश शुल्क 10 रुपये प्रति सदस्य के दर से जमा करना अनिवार्य होगा.
10- आवेदक द्वारा ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड के 30 दिन के भीतर अधिकारियों द्वारा अग्रिम कार्यवाही के लिए भेजा जाएगा.
मत्स्य विभाग के अन्तर्गत निषादराज बोट सब्सिडी योजना के लिए पात्र मत्स्य पालकों एवं मछुआ समुदाय के लोगों तथा जीवी सहकारी समितियों को लाभ मिलेगा.
डाॅ. निषाद ने कहा कि अब यूपी में मछुआ कल्याण कोष की मदद से पहली बार मछुआरों के बच्चों को IAS, PCS Coaching कराने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि मछुआरे पढ़ेंगे तभी बढ़ेंगे. इस मामले में आज सरकार द्वारा जीओ जारी कर दिया गया है. इसी तरह मछुआरों को यूपी में अब आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा भी मिलने लगी है. इससे अब मछुआरों को समय से इलाज मिल जाता है.