केंद्र सरकार किसानों को कृषि गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए उनकी वित्तीय जरूरत पूरा करने के लिए कोलैटरल फ्री लोन मुहैया कराती है. इस लोन में कुछ भी गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती है और यह लोन सरकारी और निजी बैंकों से लिया जा सकता है. जबकि, किसान क्रेडिट कार्ड, मुद्रा लोन समेत कई तरह की दूसरी योजनाओं के जरिए भी किसानों को यह लोन सुविधा दी जाती है. केंद्र सरकार ने कोलैटरल फ्री एग्रीकल्चर लोन की लिमिट भी बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने कोलैटरल फ्री एग्रीकल्चर लोन की लिमिट 40 हजार रुपये बढ़ा दी है. इसके साथ ही अब किसानों को 2 लाख रुपये तक का लोन बिना कुछ गिरवी रखे मिल सकेगा. इससे पहले तक 1.6 लाख रुपये तक लोन लिमिट तय थी. आरबीआई ने कहा कि बढ़ती महंगाई दर के चलते कृषि इनपुट लागत में भी इजाफा हुआ है, जिससे किसानों को कृषि गतिविधियों को सुचारू रखने के लिए पैसे की जरूरत होती है. इसलिए कोलैटरल फ्री एग्री लोन की लिमिट बढ़ाकर 2 लाख रुपये की जा रही है. इससे पहले 2019 में एग्री लोन की लिमिट 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.6 लाख रुपये की गई थी.
टैक्स, इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट और बीपीएन फिनकैप (BPN Fincap) के डायरेक्टर एके निगम ने 'किसान तक' से बातचीत में एग्रीकल्चर सेक्टर को दिया जाने वाला कोलैटरल फ्री लोन और उसकी ब्याज दरों समेत कई बिंदुओं पर बात रखी. उन्होंने कहा कि कोलैटरल फ्री लोन वह लोन होता है, जिसमें उधारकर्ता से किसी प्रकार की संपत्ति (जैसे, सोना, घर, वाहन, जमीन आदि) गिरवी नहीं रखवाई जाती है. इसका मतलब है कि उधारकर्ता को लोन प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार की जमानत या सुरक्षा के तौर पर संपत्ति नहीं देनी पड़ती. ऐसे लोन आम तौर पर व्यक्तिगत जरूरतों के लिए होते हैं और बैंक या वित्तीय संस्थाएं इन लोन को कुछ जोखिम के साथ देती हैं क्योंकि इनमें कोई संपत्ति गिरवी नहीं होती.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रायोरिटी सेक्टर लोन (PSL) के तहत किसानों को दिए जाने वाला कोलैटरल फ्री होता है. इसका मतलब है कि अगर बैंक या वित्तीय संस्थाएं एग्रीकल्चरल लोन (कृषि ऋण) देती हैं, तो 2 लाख रुपये तक के लोन के लिए कोई भी जमानत नहीं ली जा सकती. इससे किसानों को बिना किसी संपत्ति को गिरवी रखे आसान लोन मिल जाता है.
संपत्ति की जरूरत नहीं: किसान किसी संपत्ति को गिरवी रखे बिना लोन प्राप्त कर सकते हैं.
कृषि विकास को बढ़ावा: यह लोन किसानों को अपनी खेती, कृषि उपकरण, और अन्य संसाधनों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है.
कम ब्याज दर: इस तरह के लोन पर सामान्यतः ब्याज दरें कम होती हैं, क्योंकि ये प्रायोरिटी सेक्टर लोन के तहत आते हैं.
सुविधा और जल्दी मिलना: कोलैटरल फ्री लोन की प्रक्रिया आसान और तेज होती है, जिससे किसान जल्दी से सहायता प्राप्त कर सकते हैं.
सीमित राशि: इन लोन की सीमा 1.6 लाख रुपये तक होती है, जो कि बड़े वित्तीय जरूरतों के लिए अपर्याप्त हो सकता है.
उधारी का बोझ: अगर किसान समय पर लोन चुकता नहीं कर पाते, तो यह उनके ऊपर वित्तीय बोझ बढ़ा सकता है, जिससे उनका कर्ज चुकाना मुश्किल हो सकता है.
ऋण के अन्य खर्चे: हालांकि कोलैटरल की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन लोन पर ब्याज दरें और अन्य शुल्क हो सकते हैं जो लोन की कुल लागत बढ़ा सकते हैं.
एके निगम ने कहा कि किसानों के लिए कृषि लोन पर ब्याज दरें आम तौर पर कम होती हैं और कई सरकारी योजनाओं के तहत यह और भी कम हो सकती हैं. प्रायोरिटी सेक्टर लोन (PSL) के तहत कृषि लोन में अक्सर सस्ती दरें होती हैं. उन्होंने कहा कि कोलैटरल फ्री कृषि लोन की ब्याज दर 7 फीसदी से 12 फीसदी तक हो सकती है. उन्होंने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत किसानों को दिए जाने वाले लोन पर ब्याज दर कम होती है और यह 7 फीसदी से 10 फीसदी तक हो सकती है. यह केसीसी पर सस्ती ब्याज दर सरकारी योजनाओं के तहत दी जाती है.