फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने वाले किसानों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है. दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नॉन कॉलेबल यानी समय से पहले निकासी की सुविधा नहीं देने वाली एफडी नियमों को बदलकर कुछ शर्तों के साथ इस सुविधा को लागू करने के आदेश दिए हैं. इसका मतलब है कि अब पैसे की जरूरत पर किसान एफडी को मेच्योरिटी से पहले ही तोड़ सकेंगे और जमा रकम निकाल सकेंगे. आरबीआई ने कहा है कि सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों पर यह व्यवस्था लागू होगी.
बैंक दो तरह से फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम्स पेश करते हैं एक नॉन कॉलेबल और दूसरी कॉलेबल. नॉन कॉलेबल एफडी में टेन्योर पूरा होने से पहले प्रिमेच्योर विड्रॉल यानी समयपूर्व निकासी का विकल्प नहीं मिलता है. एक बार जब आप इस तरह डिपॉजिट स्कीम में निवेश करते हैं तो आपका पैसा पूरे टेन्योर के लिए लॉक हो जाता है. ऐसे में आपकी एफडी मेच्योर होने के बाद ही आप पैसे को निकाल सकते हैं. जबकि, कॉलेबल एफडी स्कीम में जरूरत पर मेच्योरिटी से पहले रकम निकाली जा सकती है. हालांकि, इसके लिए बैंक चार्ज वसूल करते हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों के लिए नॉन कॉलेबल फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम्स की पेशकश के लिए न्यूनतम मौजूदा राशि 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी है. केंद्रीय बैंक के इस फैसले से सभी ग्राहकों को 1 करोड़ रुपये तक की सावधि जमा (एफडी) की मेच्योरिटी से पहले पैसा निकालने का विकल्प मिलेगा.
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आरबीआई ने 26 अक्टूबर 2023 को जारी नोटिफिकेशन में कहा है कि बैंकों को निकासी की सुविधा के बिना फिक्स्ड डिपॉजिट ऑफर करने की अनुमति है, लेकिन 15 लाख रुपये और उससे कम राशि की डिपॉजिट पर समय से पहले निकासी की सुविधा ग्राहक को देनी होगी. बैंकों को एफडी टेन्योर के अलावा नॉन कॉलेबल आधार पर टर्म डिपॉजिट पर ब्याज दर में अंतर की पेशकश करने की भी अनुमति दी गई है.
केंद्रीय बैंक ने रिव्यू के बाद नियमों में बदलाव का निर्णय लिया है और कहा है कि सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों पर नए निर्देश लागू होंगे. आरबीआई ने कहा कि ये निर्देश एनआरई, ऑर्डिनरी नॉन रेसिडेंट यानी एनआरओ खाताधारकों की डिपॉजिट पर भी लागू होगा.