Kisan Registry: यूपी में 1 जुलाई से शुरू होगी किसान रजिस्ट्री, नहीं बनवाया कार्ड तो रुक जाएगा पीएम किसान का पैसा

Kisan Registry: यूपी में 1 जुलाई से शुरू होगी किसान रजिस्ट्री, नहीं बनवाया कार्ड तो रुक जाएगा पीएम किसान का पैसा

कृषि निदेशक डॉ जितेन्द्र कुमार तोमर ने आगे बताया कि हर किसान के परिवार की जानकारी दर्ज होगी. जिससे किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसानों को कभी कोई वेरिफिकेशन नहीं करवाना होगा.

यूपी में किसान रजिस्ट्री को एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पूरा किया जाएगा.यूपी में किसान रजिस्ट्री को एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पूरा किया जाएगा.
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Jun 13, 2024,
  • Updated Jun 13, 2024, 3:27 PM IST

UP Farmers News: उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को मंच पर सभी सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए नई-नई तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं. इसके लिए किसान के हर खेत को तकनीक के माध्यम से जोड़ने के लिए किसान रजिस्ट्री अभियान 1 जुलाई से पूरे प्रदेश में चलाने जा रही है. मामले में कृषि निदेशक डॉ जितेन्द्र कुमार तोमर ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि 'किसान रजिस्ट्री' चलाने का अभियान पूरे प्रदेश में 1 जुलाई से चलाया जाएगा. यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की तरफ से जीओ जारी हो गया है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में कैंप लगाकर किसानों को एक यूनिक आईडी बनाई जाएगी. इसके तहत जिस प्रकार स्वामित्व योजना में किसानों को उनके घर, मकान, खेत आदि की डिजिटल घरौनी दी जा रही है, उसी तरह अब हर किसान के खेतों का ब्योरा भी Digital Format में दर्ज होगा. इसमें सभी किसानों के हर खेत की एक आईडी बनेगी. इस आईडी के माध्यम से किसानों के खेत का रकबा, मिट्टी का प्रकार और सिंचाई के साधन सहित अन्य जरूरी जानकारियां दर्ज होंगी.  

अब हर खेत की बनेगी यूनिक आईडी

कृषि निदेशक डॉ जितेन्द्र कुमार तोमर ने आगे बताया कि हर किसान के परिवार की जानकारी दर्ज होगी. जिससे किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसानों को कभी कोई वेरिफिकेशन नहीं करवाना होगा. उन्होंने बताया कि अगर कोई भी किसान और उसके परिवार का नाम दर्ज नहीं होगा, उसे पीएम किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त से वंचित रहना पड़ सकता है. कृषि निदेशक बताते हैं कि इसमें खसरा खतौनी में दर्ज अभिलेख के आधार पर हर खेत का ब्योरा दर्ज कर उसकी यूनिक आईडी बनाई जाएगी. किसान रजिस्ट्री के आधार पर सरकार को यह भी पता रहेगा कि किस किसान के कौन से खेत में फसल नहीं बोई गई है. इसके आधार पर फसल बीमा सहित अन्य योजनाओं का लाभ वास्तविक लाभा‍र्थी को देने में सरकार को मदद मिलेगी.

किसान रजिस्ट्री की कई फायदे

इसके माध्यम से सरकार के डिजिटल तंत्र में यह दर्ज होगा कि किस सीजन में किस किसान ने अपने कौन से खेत में कब कौन सी फसल कितने रकबे में बोई है. इससे किसान कभी भी सरकार के माध्यम से कृषि वैज्ञानिकों से यह जानकारी ले सकेंगे कि उन्हें फसल में कब कितना खाद, पानी और दवा आदि देनी है. इसकी मदद से हर खेत की उत्पादन क्षमता का रिकॉर्ड भी दर्ज हो सकेगा. जिससे सरकार को किसी गांव में विभ‍िन्न फसलों के संभावित उत्पादन एवं वास्तविक उत्पादन के सटीक आंकड़ें मिल सकेंगे.

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मौजूदा व्यवस्था में कृष‍ि उपजों के उत्पादन को लेकर अनुमान परक आंकड़ों से ही काम चलाया जा रहा है. किसान रजिस्ट्री के माध्यम से सरकार के पास हर खेत में बोई गई फसलों की जानकारी के अलावा किसानों द्वारा उपयोग में लाई गई खाद एवं दवाओं की मात्रा के भी सटीक आंकड़े होंगे. इससे कृषि‍ क्षेत्र से जुड़ी विभिन्न वस्तुओं की मांग और सप्लाई का संतुलन बनाने में सरकार को मदद मिलेगी.

 

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