Medicinal Farming in Hamirpur: किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए योगी सरकार किसानों पर फोकस किया है. इसी कड़ी में यूपी सरकार ने एलोवेरा व लेमन ग्रास समेत अन्य औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए प्लान किया है. पहले चरण में घर के आंगन और किचन गार्डेन में औषधीय पौधे लगाने वालों को सरकार अनुदान देगी. जबकि पहली बार एक हेक्टेयर में औषधीय पौधों की नर्सरी लगाने वाले किसानों को 50 से 100 फीसदी तक अनुदान देने की तैयारी है. हमीरपुर के जिला उद्यान अधिकारी आशीष कटियार ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि पहले चरण में बागवानी प्रेमियों को किचन गार्डेन और घर के आंगन में कम से कम 20 औषधीय पौधे लगाने के लिए जागरूक किया जाएगा.
कटियार ने बताया कि गार्डेन लगाने के बाद किसानों को उसकी फोटो, खतौनी सहित आधार कार्ड और बैंक पासबुक की फोटो कापी जिला उद्यान विभाग में जमा करना होगा. विभाग द्वारा हर्बल गार्डेन का सत्यापन कराने के बाद अनुदान देने की कार्रवाई करेगी. जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि हमीरपुर समेत बुन्देलखंड क्षेत्र में पहली बार औषधीय खेती पर सरकार से बंफर अनुदान मिलेगा. इसकी खेती से किसानों की माली हालत में बड़ा सुधार होगा.
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जिला उद्यान अधिकारी आशीष कटियार ने बताया कि शासन ने औषधीय खेती के लिए प्रस्ताव मांगे है. प्रथम चरण में किचन गार्डेन और घर के आंगन में एलोवेरा, सत्तावर समेत अन्य औषधीय पौधे लगाने के लिए प्लान बनाया गया है. उन्होंने बताया कि स्कूल, कालेज और अस्पताल सहित सार्वजनिक भूमि पर औषधीय नर्सरी लगाने पर किसानों को उसे 100 फीसदी तक अनुदान विभाग से मिलेगा. इसके अलावा यदि कोई किसान निजी जमीन पर हर्बल नर्सरी लगाएगा तो उसे 50 फीसदी तक अनुदान दिया जाएगा. पहली बार औषधीय खेतों को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है.
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आशीष कटियार ने बताया कि लेमन ग्रास व सतावर की खेती करने वाले किसानो को न तो पानी के लिए परेशान होना पड़ता है न ही बेसहारा पशुओं से उनकी सुरक्षा करनी होती है. बताया कि पहली बार इसकी खेती करने वाले किसान छह माह में इसकी कटाई कर सकते हैं, इसके बाद यह क्रम तीन-तीन माह के लिए होता है. एक एकड़ जमीन में औषधीय खेती करने पर किसान को 50 से 60 हजार रुपये का लाभ होता है.
दरअसल, कृषि क्षेत्र में किसानों को पारंपरिक खेती से आमदनी की समस्या होती है. ऐसे में किसानों के पास आज के समय में प्रयोग करने के लिए काफी विकल्प मौजूद हैं. इन्हीं में से एक औषधीय खेती का भी विकल्प है, जिसका प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. इसके अलावा कोरोना के बाद से देश-दुनिया में हर्बल उत्पादों के मांग में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है. वहीं देश के विभिन्न क्षेत्रों में किसान परंपरागत खेती के अलावा औषधीय और जड़ी-बूटियों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इन औषधीय फसलों की खास बात यह है कि इनकी खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है.