सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी हरियाणा के करनाल और कैथल जिले में किसान पीएम फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत अपनी रबी फसलों का बीमा कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. पीएमएफबीवाई यानी कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान प्रीमियम की राशि चुका कर अपनी फसलों का बीमा कराते हैं ताकि प्राकृतिक आपदा की सूरत में फसल नुकसान की भरपाई हो सके. इसमें बीमा कंपनी की ओर से किसानों को फसल खराबे का क्लेम यानी कि मुआवजा दिया जाता है. करनाल और कैथल जिले के किसान हालांकि इस योजना में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि कैथल और करनाल के केवल कुछ ही किसानों ने इस योजना को अपनाया है. किसानों ने PMFBY में जुड़ने से अपनी हिचकिचाहट के लिए कई कारण बताए हैं, जिनमें मुआवजे के भुगतान में देरी, रबी सीजन में कम नुकसान और योजना के तहत दावों के निपटान को लेकर किसानों फैली में नाराजगी शामिल है.
किसान जितेंद्र कुमार ने कहा कि फसल बीमा का विचार अच्छा है, लेकिन वास्तव में दावों के निपटान में देरी के कारण यह असरदार नहीं है. उन्होंने कहा, "अतीत में कई किसानों को अपने दावे पाने के लिए कई मौसमों तक इंतजार करना पड़ा. फसलें खराब होने पर कई किसानों के दावे खारिज कर दिए गए थे."
विभाग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि बैंकों के स्तर पर क्लर्क की गलतियों के कारण भी किसानों को परेशान किया जाता है. उन्होंने कहा, "अतीत में हमने किसानों के कई मामले देखे हैं, जिसमें गांव और फसल का गलत नाम दर्ज करने जैसी गलतियां हुईं, जिसके कारण मामले अदालतों में लंबित रहे."
दूसरी ओर, कृषि विभाग जागरूकता अभियान चलाकर पीएमएफबीवाई का तेजी से प्रचार कर रहा है. अधिकारियों का दावा है कि यह योजना किसानों को खराब मौसम और अन्य जोखिमों से सुरक्षा देती है. करनाल के कृषि उपनिदेशक डॉ. वजीर सिंह ने कहा, "फसल बीमा के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 15 जनवरी थी. बैंक अब डेटा अपलोड कर रहे हैं. हमने ग्रामीण क्षेत्रों में कई शिविर लगाए और किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया. हमें उम्मीद है कि अगले सीजन में किसानों की संख्या और बढ़ेगी."