हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन सुभाष बराला ने कहा कि राज्य सरकार "हरियाणा फार्मर प्रोड्यूसर्स ऑर्गेनाइजेशन" पॉलिसी का गठन करेगी, ताकि प्रदेश के किसान आर्थिक रूप से और अधिक सशक्त हो सकें. किसानों की जरूरत के अनुसार पॉलिसी के नियम एवं शर्तों को सरल किया जाएगा. बराला ने यह जानकारी आज चंडीगढ़ में हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण में "हरियाणा फार्मर प्रोड्यूसर्स ऑर्गेनाइजेशन" पॉलिसी को लेकर आयोजित विभिन्न स्टेकहोल्डर्स की बैठक में दी. वो बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. बराला हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण की कार्यकारी समिति के चेयरमैन भी हैं.
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके बराला ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल किसानों के हितों के प्रति चिंतित हैं. उनकी सोच है कि प्रदेश का किसान आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो. उन्होंने ही चाहा था कि "हरियाणा फार्मर प्रोड्यूसर्स ऑर्गेनाइजेशन" पॉलिसी को अंतिम रूप देने से पहले "हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण" के विचार लिए जाएं. बराला ने कहा कि अभी तक अधिकतर किसान परंपरागत खेती करते आ रहे हैं, जबकि समय की मांग है कि अब खेती को भी आधुनिक तरीके से किया जाए और उनकी उपज या उत्पाद को मार्केटिंग के माध्यम से बेहतर दाम दिलवाया जाए.
इसे भी पढ़ें: Rabi Crops Sowing: गेहूं, धान, चना और मूंगफली की बुवाई पिछड़ी, जानिए सरसों और मोटे अनाजों का क्या है हाल?
शुक्रवार को हुई बैठक में आए कृषि, बागवानी, मछलीपालन और पशुपालन आदि विभागों, बैंक के अधिकारियों, प्रगतिशील किसानों एवं अन्य स्टेक होल्डर्स से बराला ने विस्तार से बातचीत की और सुझाव मांगे. उन्होंने कुछ किसानों से प्रोजेक्ट लगाने में आने वाली समस्याओं के समाधान और अधिक से अधिक आमदनी लेने के भी सुझाव लिए. हरियाणा सरकार इन दिनों पारंपरिक फसलों की बजाय बागवानी की खेती को बढ़ा रही है. उधर, पशुपालन और मछलीपालन को बढ़ाने की कोशिश जारी है. इन दोनों क्षेत्रों में एफपीओ के पनपने की काफी संभावना है.
बराला ने कहा कि "हरियाणा एफपीओ" के बिजनेस मॉडल की वर्तमान में आवश्यकता तथा एफपीओ की परेशानियों के बारे में विचार-विमर्श किया गया है. उन्हें पूरी उम्मीद है कि "हरियाणा फार्मर प्रोड्यूसर्स ऑर्गेनाइजेशन" पॉलिसी के भविष्य में सुखद परिणाम आएंगे और किसानों को महसूस होगा कि राज्य सरकार किसानों के हित के काम कर रही है. बैठक में " हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण" के सीईओ भूपेंद्र सिंह और बागवानी विभाग के निदेशक अर्जुन सैनी सहित कई अधिकारी मौजूद रहे.
एफपीओ को प्रमोट करने के अलावा हरियाणा में 545 एकड़ में अंतरराष्ट्रीय बागवानी मंडी बनाई जा रही है. फलों और सब्जियों की धुलाई, ग्रेडिंग और पैकेजिंग के लिए सूबे में 400 पैक हाउस बनाने का प्लान है. इस पर करीब 2500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) ने प्रोजेक्ट के लिए 1900 करोड़ रुपये के लंबी अवधि के लोन के लिए समझौता प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया है. पैक हाउस बनने से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हरियाणा के किसानों को कृषि उत्पादों का अच्छा दाम मिलेगा और उनकी आय में इजाफा होगा.
इसे भी पढ़ें: किसानों का अर्थशास्त्र समझिए सरकार, अच्छे दाम से ही बढ़ेगी तिलहन-दलहन वाली खेती की रफ्तार