खेती में किसानों की मेहनत और संसाधनों की बचत के लिए अब नई कृषि तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है. इन्हीं में से एक तकनीक है मल्चिंग तकनीक जिसकी मदद से बागवानी फसलों से काफी बेहतर उत्पादन मिल रहा है. इतना ही नहीं, पानी की कमी वाले राज्यों में यह तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इन्हीं फायदों को देखते हुए बिहार सरकार राज्य में बागवानी फसलों को बढ़ावा देने और उसकी खेती में सुविधा के लिए किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है. ऐसे में इस स्कीम का लाभ लेने के लिए किसानों को आवेदन करना होगा. पूरी खबर जानने के लिए नीचे दी गई डिटेल्स को पढ़ें.
बिहार कृषि विभाग की ओर से किए गए ट्वीट के मुताबिक, बिहार सरकार राज्य में मल्चिंग तकनीक को बढ़ावा देने के लिए 50 फीसदी सब्सिडी दे रही है. इसके तहत किसानों को मल्चिंग तकनीक लगाने पर इकाई लागत का 50 फीसदी राशि दी जाएगी. ये राशि किसानों के खाते में सीधे ट्रांसफर की जाएगी. इससे किसानों को खेती करने में आसानी होगी.
1. पौधों की जड़ों का विकास सुचारू रूप से होता है
2. खरपतवार रोकने में मदद मिलती है
3. इससे खेती में नमी की मात्रा बनी रहती है
4. तापमान नियंत्रण रहता है
5. मल्चिंग द्वारा मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है
1. खेतों में सीधा प्लास्टिक मल्चिंग बिछाने के बजाय बैड बनाकर ही प्लास्टिक को बिछाएं. इसके लिए सुबह या शाम का समय ही सही रहता है.
2. हमेशा अच्छी क्वालिटी की प्लास्टिक मल्चिंग का ही इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे प्लास्टिक के नैनो कण मिट्टी में ना मिल पाएं और मिट्टी प्रदूषण को रोका सकें.
3. हमेशा प्लास्टिक मल्चिंग के छेदों के हिसाब से ही ड्रिप सिंचाई की पाइप में छेद बनाना चाहिए, जिससे पानी की बर्बादी ना हो और बूंद-बूंद पानी सीधा फसल की जड़ों तक पहुंच सके.
4. प्लास्टिक मल्चिंग को फटने या उड़ने से बचाने के लिए चारों तरफ से मिट्टी की कवरेज देनी चाहिए. इस तकनीक का प्रयोग करने पर बागवानी फसलों में कीट-रोगों का खतरा भी कम ही रहता है.
यदि आप भी बिहार के किसान हैं और मल्चिंग तकनीक से खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए सरकार आपके लिए सब्सिडी मुहैया करा रही है. इसके लिए किसान ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. इस सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए किसान सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के लिंक horticulture.bihar.gov.in पर विजिट कर सकते हैं. इसके अलावा किसान अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि या बागवानी विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं.