बीजेपी के 'कांग्रेस मुक्त भारत' अभियान में अब गांधी परिवार ही फंसता हुआ दिख रहा है. मसलन, लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ी हुई हैं, इसमें कांग्रेस के केंद्र में स्थापित गांधी परिवार ही 'पार्टी की परिपाटी' तोड़ते हुए दिख रहा है. असल में बीजेपी को तीसरी बार सत्ता में काबिज होने से रोकने के लिए विपक्षी दल इंडिया गठबंधन के बैनर तले चुनावी मैदान में हैं, जिसका अघोषित नेतृत्व कांग्रेस कर रही है, लेकिन इंडिया गठबंधन का ये चुनावी मैदान ही कांग्रेस के लिए चक्रव्यूह साबित होता हुआ दिख रहा है, जिसके केंद्र में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी यानी पूरा गांधी परिवार ही नजर आ रहा है.
असल में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का एक्शन ही राजनीति में प्रत्येक कांग्रेसी के लिए ध्येय वाक्य होता है, लेकिन इस चुनावी चक्रव्यूह में गांधी परिवार को कांग्रेस बचाने के लिए झाडू पर मोहर लगाने की अग्निपरीक्षा से गुजरना है. ध्यान रहे इस झाडू की सफलता की कहानी की कांग्रेस के हाथ के विराेध से शुरू होती है, 'हाथ' को 'राजनीतिक लकवाग्रस्त' करने तक की रही है. अब ये स्थिति कांग्रेस के लिए मजबूरी है या जरूरी... ये सवाल इन दिनों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच भी है.
लोकतंत्र में किसी भी राजनीतिक दल के लिए उसकी सबसे बड़ी पहचान पार्टी चुनाव चिन्ह ही होता है. मतदान के समय ये चुनाव चिन्ह ही राजनीति दल और नेता की पहचान होता है. मतलब चुनाव-मतदान के वक्त चुनाव चिन्ह ही जनता के बीच राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करता है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो चुनाव चिन्ह ही किसी भी पार्टी की सबसे बड़ी परिपाटी होती है, जिसे बचाने के लिए भारतीय लोकत्रंत में राजनीतिक संग्राम के कई किस्से कहानियां मौजूद हैं, लेकिन इस बार गांधी परिवार नई दिल्ली में कांग्रेस की इस पार्टी परिवाटी को तोडे़गा.
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असल में इंडिया गठबंधन के तहत दिल्ली में कांग्रेस और आमआदमी पार्टी (AAP)के बीच सीटों का बंंटवार हुआ है, जिसमें नई दिल्ली लोकसभा सीट AAP के खाते में गई है. AAP ने मालवीय नगर से विधायक सोमनाथ भारती को उम्मीदवार बनाया है, जिनका मुकाबला बीजेपी की बांसुरी स्वराज से है, जो सुषमा स्वराज की बेटी हैं.
वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी नई दिल्ली लोकसभा की निवासी हैं, जिसमें सोनिया गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव में निर्माण भवन के पोलिंंग बूथ 83 में अपना वोट डाला था, जबकि राहुल गांधी ने तुगलक लेन स्थित एनडीएमसी स्कूल और प्रियंका गांधी ने लोधी स्टेट स्थित पोलिंग बूथ में अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. जानकारी के अनुसार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रिहायश इस बार बदली है, लेकिन वे नई दिल्ली लोकसभा सीट के ही निवासी हैं. ऐसे में गठबंधन धर्म का पालन करते हुए इस चुनाव में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को AAP के उम्मीदवार सोमनाथ भारती को जीताने के लिए झाडू पर मुहर लगाने की अग्निपरीक्षा से गुजरना है.
मौजूदा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है. इसके लिए कांग्रेस इंडिया गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में है. मसलन, इंडिया गठबंधन की छतरी पर दिल्ली में कांग्रेस और AAP के बीच जरूरी या मजबूरी की विचारधारा के साथ नया प्यार पनपा है,लेकिन AAP और कांग्रेस के बीच पनपा ये प्यार, कांग्रेस संगठन में ही बैर कर रहा है. बीते दिनों AAP से गठबंधन का विरोध करते हुए पूर्व मंत्री अरविंंदर सिंह लवली ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद कांग्रेस के दो पूर्व विधायकों ने भी AAP से हुए गठबंधन का विरोध करते हुए कांंग्रेस से इस्तीफा दे दिया थे. बीते दिनों तीनों ने बीजेपी की सदस्यता ले ली है.
इस चुनाव गठबंधन धर्म का पालन करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को नई दिल्ली से AAP उम्मीदवार के चुनाव निशान झाडू पर मुहर लगानी होगी. गांधी परिवार का ये एक्शन जरूरी है या मजबूरी इस परिपाटी को समझने के लिए किसान तक ने कांग्रेस नेता और सरोजनी नगर मार्केट ट्रेडर्स एसोसिशन के अध्यक्ष अशोक रंधावा से बात की. रंधावा पिछले 40 सालों से निर्माण भवन स्थित पोलिंग बूथ के कांग्रेस बूथ प्रभारी हैं. ये वहीं बूथ है, जिसमें सोनिया गांधी वोट डालती हैं.
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कांग्रेस नेता अशोक रंधावा बताते हैं कि राजीव गांधी भी इसी बूथ में वोट डालते थे और वह तब से कांग्रेस की तरफ से इस बूथ के प्रभारी हैं. रंधावा बताते हैं कि उनके सामने आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि गांधी परिवार को कांग्रेस के चुनाव चिन्ह के अलावा किसी दूसरे राजनीतिक दल के चुनाव चिन्ह पर वोट डालना पड़े. इसकी वजह बताते हुए वह कहते हैं कि कांग्रेस ने इससे पहले भी देशभर में गठबंधन किया, लेकिन नई दिल्ली सीट हमेशा कांग्रेस के पास रही है.
गांधी परिवार की झाडू पर मुहर, मजबूरी है या जरूरी है, इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं कि गठबंधन ही करना था तो AAP को पंजाब में भी गठबंधन करना था. वह कहते हैं कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए ये गठबंधन मजबूरी हो गया. वह कहते हैं कि कांग्रेस को ये गठबंधन नहीं करना चाहिए था, कांग्रेस अभी तक इतनी बार हार का सामना कर चुकी है अगर एक और हार मिल जाती तो उससे गुरेज नहीं होता, लेकिन अब गठबंधन हुआ है तो ये कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए भी मजबूरी हो गया. समर्पित कार्यकर्ता कांग्रेस से दूर नहीं जा सकते हैं.