लाडकी बहिण योजना के बाद अब महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी कर दी है. राज्य सरकार ने किसानों को भरोसा देने के बाद भी एक रुपये वाली फसल बीमा योजना को बंद कर दिया है. अब राज्य में फिर से फसल बीमा पुराना सिस्टम लागू कर दिया गया है. सरकार का कहना है कि अनियमितताओं और फर्जी दावों के चलते इसे बंद किया जा रहा है. वहीं सूत्रों की मानें तो वित्तीय बोझ के चलते भी इस योजना को बंद किया गया है. एक रुपये में फसल बीमा योजना की शुरुआत दो साल पहले की गई थी. इस योजना की जगह अब पुरानी पीएम फसल बीमा योजना राज्य में लागू होगी.
जो नया फैसला सरकार ने लिया है, उसके अनुसार, अब किसान खरीफ के लिए 2 प्रतिशत, रबी के लिए 1.5 प्रतिशत और नकदी फसलों के लिए इंश्योर्ड अमाउंट का 5 प्रतिशत प्रीमियम अदा करेंगे. साल 2023 में महायुति सरकार की तरफ से 1 रुपये में फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई थी. पहले इस योजना के तहत किसानों को अपनी जेब से सिर्फ 1 रुपये का प्रीमियम देना होता था. जबकि बाकी की राशि सरकार की तरफ से दी जाती थी. इससे पिछले वर्षों की तुलना में आवेदकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ था. साल 2024-25 में 5.82 लाख से ज्यादा फर्जी दावे सामने आए.
एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल सरकार ने (राज्य और केन्द्र दोनों का हिस्सा) खरीफ सीजन के लिए प्रीमियम के तौर पर 7,539 करोड़ रुपये का भुगतान किया. इसमें केंद्र की तरफ से 3,060 करोड़ रुपये और राज्य की तरफ से 4,479 करोड़ रुपये अदा किए गए. रबी सीजन के लिए 1,684 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ. इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 643 करोड़ रुपये और राज्य की 1,040 करोड़ रुपये की थी.
आंकड़ों के मुताबिक साल 2021-22 में फसल बीमा के लिए करीब 96 लाख आवेदन आए थे. जबकि साल 2022-23 में यह संख्या 1.04 करोड़ पहुंच गई थी. एक रुपये वाली फसल बीमा योजना शुरू होने के बाद 2023-24 में आवेदकों की संख्या बढ़कर 2.42 करोड़ और 2024-25 में 2.11 करोड़ तक हो गई थी.
कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया, 'आवेदकों की संख्या में दोगुनी वृद्धि ने ही इस बात की तरफ इशारा कर दिया था कि कुछ गड़बड़ है. जांच में 2023-24 में 3.80 लाख और 2024-25 में 5.82 लाख फर्जी दावे पाए गए. इस आंकड़ें में इजाफा भी हो सकता है क्योंकि फसल बीमा के लिए कई ऐसी जमीनों को भी रजिस्टर किया गया था जो पूरी तरह से खाली पड़ी थीं. इसलिए 1 रुपये वाली योजना को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला किया गया.' एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा योजना को खत्म करने के बाद राज्य को सालाना 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है.
महाराष्ट्र में इस योजना को लेकर उस समय तेजी से चर्चा हुई जब कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने एक कार्यक्रम के दौरान हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पर एक विवादास्पद बयान दिया था. कोकाटे से जब इस योजना के बारे में सवाल किया गया तो उनका जवाब थोड़ा सा हैरान करने वाला था. कोकाटे ने कहा,'एक रुपये की भीख तो भिखारी भी नहीं लेता है ओर हम यहां पर फसल बीमा मुहैया करा रहे हैं.' कोकाटे ने कहा था कि कुछ लोग इस राशि का गलत प्रयोग कर रहे हैं. हालांकि इसी कॉन्फ्रेंस में उनसे यह भी पूछा गया कि क्या सरकार इस स्कीम को बंद करके 100 रुपये वाली फसल बीमा योजना को शुरू करने के बारे में सोच रही है. इस पर उन्होंने जवाब दिया था, 'इसे बंद करने की कोई योजना नहीं है. लेकिन दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ फैसले लिए जाएंगे.'
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