महराष्ट्र में एक ओर जहां कर्ज के बोझ, सुखाड़ और मौसम की मार झेलने वाले किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं. वहीं, उसी राज्य में किसानों के नाम पर धोखाधड़ी का खेल सामने आया है. यहां किसानों की जानकारी के बिना ही उनके नाम पर लोन लेकर पैसे गायब कर दिए गए. शातिरों का घोटाला यहीं नहीं थमा, उन्होंने सरकार की ओर से मिलने वाली कृषि लोन माफी योजना का लाभ भी लिया. अब इस मामले में कुल दर्जनों लोगों पर केस दर्ज हुआ है. जानिए पूरा मामला…
महाराष्ट्र के बीजेपी मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल और एक चीनी मिल के निदेशकों सहित 53 अन्य लोगों के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके किसानों के नाम पर लगभग 9 करोड़ रुपये का लोन लेने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. एक अधिकारी ने कहा कि मामला सोमवार को राहाता की एक अदालत के निर्देश के बाद अहिल्यानगर जिले के लोनी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है.
आरोपियों में पद्मश्री विखे पाटिल सहकारी कारखाना (सहकारी चीनी मिल) के तत्कालीन अध्यक्ष और निदेशकों के साथ-साथ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी शामिल हैं. शिकायत गन्ना किसान और सहकारी चीनी मिल के सदस्य बालासाहेब विखे ने दर्ज कराई थी.
शिकायत के अनुसार, यह अनियमितता 2004 में हुई थी. मिल के तत्कालीन अध्यक्ष और निदेशकों ने कथित तौर पर सदस्य-किसानों के नाम पर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके लोन प्रस्ताव तैयार किए. बैंक अधिकारियों की मदद से उन्होंने कथित तौर पर 3.11 करोड़ रुपये और 5.74 करोड़ रुपये का लोन हासिल किया.
शिकायत में कहा गया कि जिन किसानों के नाम पर प्रस्ताव पेश किए गए थे, उनके खातों में लोन राशि कभी जमा नहीं की गई. इसके बजाय, चीनी मिल अधिकारियों और बैंक कर्मचारियों ने पैसे हड़प लिए थे. आरोपी ने कथित तौर पर सरकार की कृषि लोन माफी योजना का भी लाभ उठाया.
अधिकारी ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए मजिस्ट्रेट की अदालत ने पुलिस को कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया. यह धारा मजिस्ट्रेट को संज्ञेय अपराध की पुलिस जांच का आदेश देने का अधिकार देती है.
एफआईआर दर्ज किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (यूबीटी) की प्रवक्ता सुषमा अंधारे ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को तुरंत विखे पाटिल का इस्तीफा मांगना चाहिए. उन्होंने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि यह महायुति सरकार के लिए शर्म की बात है.