आमतौर पर हम जानते हैं कि स्ट्रॉबेरी लाल रंग की होती है. हमने अक्सर खेतों से लेकर बाजारों तक यही रंग देखा है. लेकिन महाराष्ट्र के सतारा जिले के वाई तालुका स्थित फुलेनगर के एक युवा किसान उमेश दत्तात्रेय खामकर ने आधे एकड़ में सफेद स्ट्रॉबेरी की खेती की है. यह आसपास के लोगों और ग्राहकों दोनों के आकर्षण का केंद्र है. ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किसान ने कुछ एक्सपेरिमेंट किए गए हैं.
दावा है कि सामान्य स्ट्रॉबेरी के मुकाबले सफेद स्ट्रॉबेरी की उपज छह गुना है और यह बाजार में धूम मचा रही है. किसान की कमाई भी बढ़ा रही है. महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती होती है लेकिन उमेश दत्तात्रेय खामकर के खेत की बात कुछ अलग है.
प्रगतिशील किसान उमेश दत्तात्रेय खामकर ने कहा कि ये स्ट्रॉबेरी उपभोक्ताओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रयोग करने के इरादे से तैयार की गई है. खेत में फसल लेते समय उपभोक्ताओं की मानसिकता के अनुसार काम करना जरूरी है. जब उपभोक्ताओं को अच्छा लगेगा तभी वो अच्छे दाम में उपज को खरीदेंगे. इसी पृष्ठभूमि में पारंपरिक फसलों को प्राथमिकता देने के बजाय खामकर ने नया प्रयोग किया. नवंबर 2023 में, खामकर ने स्ट्रॉबेरी के 10,000 पौधे लगाए और आज वो बंपर कमाई कर रहे हैं.
नवंबर में लगाए पौधों से जनवरी माह में आमदनी शुरू हो गई थी. उन्होंने इन फलों को सतारा समेत अन्य जगहों पर बिक्री के लिए रखा है. जल्द ही यह सेल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी की जाएगी. खास बात यह है कि सफेद स्ट्रॉबेरी 250 रुपये प्रति किलो में बिक रही है. खामकर का दावा है कि यह सामान्य स्ट्रॉबेरी से छह गुना ज्यादा पैदावार देती है.
स्ट्रॉबेरी की फ्लोरिडा पर्ल किस्म की खेती सबसे पहले अमेरिका और ब्रिटेन में की गई थी. इसे ग्राहकों ने खूब सराहा. इसलिए अलग-अलग हिस्सों में इसकी खेती और कमाई शुरू हो गई. दावा है कि भारत में यह प्रयोग करने का पहला प्रयास उमेश खामकर ने किया. इसके लिए उन्होंने फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के रॉयल्टी अधिकार खरीदे. इसलिए, यदि आप भारत में कहीं भी इस सफेद स्ट्रॉबेरी की फसल लेना चाहते हैं तो आपको खामकर की अनुमति की आवश्यकता होगी.
वाई, महाबलेश्वर, पचगनी के बाद, कोरेगांव और पाटन तालुका में किसानों ने सफलतापूर्वक इसका प्रयोग किया. सतारा में स्ट्रॉबेरी की दो किस्मों एलियाना और स्वीट चार्ली की मांग थी. स्वीट चार्ली के बंद होने के बाद, 2017 में स्वीट सेंसेशन, 2019 में ब्रिलियंस और 2023 में फॉलसी ने स्ट्रॉबेरी की पैदावार शुरू की. अब फ्लोरिडा पर्ल किस्म ने स्ट्रॉबेरी व्यवसाय को नए आयाम दिए हैं.
अन्य स्ट्रॉबेरी किस्मों की तुलना में यह प्राकृतिक रूप से मीठी स्ट्रॉबेरी है. स्ट्रॉबेरी अपने पोषण मूल्य के कारण स्वास्थ्यवर्धक भी होती है. अपनी कम प्राकृतिक अम्लता के कारण यह स्ट्रॉबेरी लोकप्रियता हासिल कर रही है. उपभोक्ताओं की इच्छा को ध्यान में रखते हुए, वे स्ट्रॉबेरी की नई किस्मों को ला रहे हैं. खामकर ने कहा कि फ़्लोरिडा पर्ल निश्चित रूप से उन उपभोक्ताओं को पसंद आएगा जो वर्षों से लाल चुटुक स्ट्रॉबेरी खा रहे हैं. शुरू में सफेद और पकने पर हल्के गुलाबी रंग की होने वाली इस स्ट्रॉबेरी को विदेशों में कई लोगों ने पसंद किया. भारत में भी इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है.