पंजाब और हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद जारी है. मंडियों में जमकर गेहूं की आवक हो रही है. कई जगहों पर मंडियों में गेहूं रखने की जगह नहीं मिल रही है क्योंकि सही तरीके से गेहूं का उठाव नहीं हो रहा है. इस बीच रुक रुक कर हो रही बारिश ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है. इतना ही नहीं, बारिश ने गेहूं खरीद को लेकर जिला प्रशासन और मंडी बोर्ड के तैयारियों के दावे की पोल खोल दी है. बारिश के कारण खुले में रखी गेहूं की बोरियां भीग चुकी हैं जबकि हरियाणा के पानीपत में किसानों के गेहूं का उठाव नहीं हो पा रहा है. इसके कारण किसानों की पेमेंट रुक गई है और किसानों को कई घंटों तक मंडी में इंतजार करना पड़ रहा है.
बठिंडा के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित गेहूं खरीद केंद्रों में शेड की कमी के कारण गेहूं की ढेर को खुले में ही छोड़ दिया गया है. गेहूं का उठाव नहीं हो पा रहा है पर इसके बाद भी मंडियों में किसान गेहूं लेकर आ रहे हैं. ऐसे में सभी गेहूं को रखने के लिए पर्याप्त शेड की व्यवस्था नहीं है और गेहूं को खुले में रखा जा रहा है. पर यहां रुक-रुक कर हो रही बारिश ने किसानों की परेशानी को बढ़ा दिया है. बारिश के कारण गेहूं खरीद एजेंसियों और आढ़ती किसानों को अपनी उपज ढकने के लिए संघर्ष करना पड़ा है. बारिश होने पर शेड से बाहर रखे गए गेहूं के ढंकने के लिए तिरपाल की व्यवस्था तक नहीं है. इसके कारण गेहूं भीग गया.
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मीडिया से बात करते हुए किसानों ने कहा कि अनाज के उठाव में देरी और खराब मौसम के कारण स्थिति और खराब हो गई है. किसानों ने कहा कि जिला प्रशासन और मंडी बोर्ड उनकी फसलों की सुरक्षा करने में असफल रहे क्योंकि जब उन्हें पता था कि उनके पास शेड की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है तो उन्हें पहले ही मंडी में बारिश के दौरान गेहूं को ढंकने के लिए तिरपाल की व्यस्था करनी चाहिए थी. मनसा जिले के एक किसान ने कहा कि खरीद मंडियों में समुचित व्यवस्था करना अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है, लेकिन इसके बाद भी वर्षों से यही स्थिति बनी हुई है.
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इधर पानीपत में भी किसान गेहूं खरीद एजेंसियों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं. मंडियों में गेहूं की खरीद होने के बाद सही समय पर उसका उठान नहीं हो पा रहा है. इसके कारण किसानों को सही समय पर भुगतान नहीं हो पा रहा है. मंडियों में किसान पेमेंट लेने के इंतजार में 72 घंटे तक इंतजार कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 71 फीसदी गेहूं का उठान हो चुका है जबकि 29 फीसदी गेहूं अभी भी मंडियों में रखा हुआ है. इसके कारण किसानों को पेमेंट नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि सभी एजेंसियों को सही समय पर गेहूं का उठान करने के लिए कहा गया है. इसके बाद भी एजेंसियां अधिकारियों के आदेश की अनदेखी कर रही हैं. नियम के अनुसार खरीद के 72 घंटे के अंदर किसानों को भुगतान किया जाना है पर किसानों को इंतजार करना पड़ रहा है.