तेलंगाना में लीज पर खेती करने वाले किसान काफी परेशानियों से गुजर रहे हैं, राज्य के 22 लाख किसान अब भी रायथू भरोसा योजना के तहत मिलने वाले लाभ का इंतजार कर रहे हैं. पर फिलहाल उन्हें राहत मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. परेशानियों से रहे किसानों के पास अब खेती छोड़ने का ही विकल्प बचा है पर इसके बावजूद वो खेती नहीं छोड़ पा रहे है क्योंकि इसके अलावा उनके पास अब रोजगार का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. इसलिए किसान सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि जल्द से जल्द उन्हें रायथू भरोसा योजना के तहत दी जाने वाली राशि दी जाए, जिससे उन्हें खेती करने में आसानी हो. वो खरीफ सीजन में अच्छे से खेती कर पाएं.
द हिंदू बिजनेसलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार हैदरावाद के विकाराबाद के पास रहने वाली एक महिला किसान मंजुला कपास की खेती करती हैं. 35 वर्षीय इस महिला किसान के पति ने कुछ साल पहले आत्महत्या कर ली थी. पर यह महिला अब भी खेती को छोड़ना नहीं चाहती है. हालांकि महिला के पास मुसिबतें कम नहीं है क्योंकि वह अभी भी बुरी तरह से कर्ज में डूबी हुई है और उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. महिला बताती है कि पति की आत्महत्या के बाद भी वह उन खेतों में खेती करना चाहती है जिसे उन्होंने लीज पर लिया था. यह फैसला महिला किसान के लिए परेशानी बन गया है क्योंकि हर साल घाटा बढ़ता जा रहा है. हर फसल सीजन में उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
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तेलंगाना सरकार की तरफ से किसानों के जारी किए गए शिकायत विंडो प्रजावाणी में अपनी शिकायत दर्ज कराने के बाद मंजुला ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि उन्हें जल्द से जल्द रायथू भरोसा योजना के तहत लाभ दिया जाए. योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ 15 हजार रुपये की राशि दी जाती है. यदाद्री-भुवनागिरी के 35 वर्षीय किसान चैतन्य के अलावा अन्य और 50 किसानों ने भी प्रजावाणी में जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराई.
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सभी किसान राज्य की कांग्रेस सरकार को उसका चुनावी वादा याद दिलाना चाह रहे थे. कांग्रेस पार्टी से राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान यह घोषणा की थी कि वो रायथू भरोसा योजना के तहत दिए जाने वाले राशि 10,000 रुपये को बढ़ाकर 15,000 रुपये करेंगे. उन्होंने यह भी वादा किया था कि इसका लाभ राज्य के उन 22 लाख किसानों को भी मिलेगा जो जमीन लीज पर लेकर खेती करते हैं. इस योजना के तहत सरकार को 20,000 करोड़ रुपये का अतिरक्त बोझ आएगा. हालांकि इस वादे के साथ सरकार सत्ता में तो आ गई पर अब तक सरकार इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं और किसान इंतजार कर रहे हैं.