पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बढ़ी पराली की आग, दिवाली से पहले जहरीली हुई हवा

पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बढ़ी पराली की आग, दिवाली से पहले जहरीली हुई हवा

मध्य प्रदेश जहां अमूमन पराली जलाने की घटनाएं नहीं देखी जाती हैं, इस साल वहां एक खतरनाक ट्रेंड देखा जा रहा है. 24 अक्टूबर को 32 घटनाओं से शुरू होकर, 25 तारीख को संख्या बढ़कर 94 हो गई, 26 तारीख को 170 हो गई, 27 तारीख को थोड़ी गिरावट के साथ 130 हो गई, लेकिन 28 तारीख को फिर से 160 हो गई और 29 अक्टूबर को और बढ़कर 175 हो गई, जो हाल के दिनों में सबसे अधिक है.

Punjab has recorded 1,510 stubble burning incidents so far.Punjab has recorded 1,510 stubble burning incidents so far.
कुमार कुणाल
  • New Delhi,
  • Oct 30, 2024,
  • Updated Oct 30, 2024, 6:46 PM IST

दिवाली आने के साथ ही उत्तर भारत के कई राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ गई हैं. इन राज्यों में पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश खास हैं. पराली के धुएं से पर्यावरण के साथ-साथ इंसानों की सेहत पर गंभीर बुरा असर होता है. इसका धुआं इतना जहरीला होता है कि सेहत के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है. इस धुएं का खास असर देश की राजधानी दिल्ली में हर साल देखा जाता है. 

31 अक्टूबर को दिवाली है. ऐसे में स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक हो गई है. पंजाब जो धान की कटाई के कारण पराली जलाने के लिए जाना जाता है, वहां पराली की आग में तेजी से वृद्धि देखी गई है. 24 अक्टूबर को केवल 40 घटनाएं रिपोर्ट की गईं. लेकिन बाद के दिनों में आंकड़े काफी बढ़ गए. 25 अक्टूबर को 71 घटनाएं, 26 को 108, 27 को 138, 28 अक्टूबर को 142 और 29 अक्टूबर को 219 घटनाएं हुईं, जो कि 6 दिनों में 5 गुना से अधिक की वृद्धि है. यह तेज वृद्धि एक ऐसी चुनौती के बारे में बताती है जिसका सामना यह क्षेत्र हर साल करता है.

मध्य प्रदेश में बढ़ी घटनाएं

मध्य प्रदेश जहां अमूमन पराली जलाने की घटनाएं नहीं देखी जाती हैं, इस साल वहां एक खतरनाक ट्रेंड देखा जा रहा है. 24 अक्टूबर को 32 घटनाओं से शुरू होकर, 25 तारीख को संख्या बढ़कर 94 हो गई, 26 तारीख को 170 हो गई, 27 तारीख को थोड़ी गिरावट के साथ 130 हो गई, लेकिन 28 तारीख को फिर से 160 हो गई और 29 अक्टूबर को और बढ़कर 175 हो गई, जो हाल के दिनों में सबसे अधिक है. 

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राजस्थान में भी लगातार पराली की आग बढ़ने का रुझान देखने को मिल रहा है. राज्य में 24 अक्टूबर को केवल 11 मामले दर्ज किए गए, लेकिन 25 अक्टूबर तक यह संख्या तेज़ी से बढ़कर 49 हो गई, 28 अक्टूबर तक 65 और 29 अक्टूबर को 93 दर्ज की गई, जो पिछले दिन से 50 परसेंट की वृद्धि है. अकेले 28 अक्टूबर को जहां पूरे देश में 408 मामले दर्ज किए गए, लेकिन 29 अक्टूबर मंगलवार को बढ़कर 572 हो गए.

हाल के हफ्तों में पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, खासकर संगरूर, पटियाला, तरनतारन, फिरोजपुर, कपूरथला, बठिंडा और अमृतसर जैसे जिलों में. इसी तरह, मध्य प्रदेश के जिले गुना, अशोक नगर, दतिया, शिवपुरी और विदिशा जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं. ये घटनाएं एक गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं क्योंकि इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे न केवल स्थानीय स्तर पर पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि दिल्ली सहित दूरदराज के क्षेत्रों में एयर क्वालिटी भी प्रभावित होती है.

राजस्थान में भी धुआं-धुआं

राजधानी दिल्ली पराली की आग का खामियाजा भुगत रही है. 23 अक्टूबर को दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 16 परसेंट के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया. उसके बाद से इसमें धीरे-धीरे कमी आई है, 24 अक्टूबर को 14.5 फीसदी, 25 अक्टूबर को 14.6 फीसदी, 26 अक्टूबर को 5.5 फीसदी, 27 अक्टूबर को 3.3 फीसदी और 28 अक्टूबर को 1.81 फीसदी दर्ज किया गया. हालांकि यह गिरावट कुछ राहत देती है, लेकिन यह जानना जरूरी है कि प्रदूषण का स्तर अभी भी खतरनाक रूप से ऊंचा बना हुआ है.

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त्योहारों का मौसम आते ही दिवाली के दौरान पटाखों के इस्तेमाल को लेकर चिंता बढ़ गई है. अगर मौसम ठीक नही रहे तो पराली जलाने और पटाखों के इस्तेमाल से खतरनाक स्थितियां पैदा हो सकती हैं जिससे पूरे क्षेत्र में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को खतरा बढ़ सकता है.

 

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