भारतीय कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) ने फसल बीमा में कथित अनियमितताओं के मामले में जांच शुरू कर दी है, जिसमें महाराष्ट्र के बीड शहर में करीब 180 लोगों ने कारखाने की जमीन पर फसल बीमा के लिए अपना नामांकन कराया था. वहीं कुछ किसानों ने गैर-कृषि भूमि पर फसलों के लिए फसल बीमा हासिल किया था. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने यह जानकारी दी. एक एआईसी के अधिकारी ने कहा कि उन्होंने जिलाधिकारी दीपा मुधोल मुंडे के संज्ञान में मामले को लाया है कि कुछ लोगों ने अतिरिक्त फसल बीमा के लिए नामांकन कराया है. अधिकारी ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि इन दिनों किसानों के पास सीमित भूमि है. लेकिन कुछ किसानों ने 100 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर फसल बीमा के लिए नामांकन कराया. कुछ लोगों ने एमआईडीसी, गैर-मौजूद और गैर-कृषि भूमि आदि पर फसल बीमा के लिए नामांकन कराया. हमें नहीं पता कि ये लोग असली किसान हैं या नहीं. हमारी जांच जारी है."
कथित अनियमितताएं सामने आने के बाद ‘रिमोट सेंसिंग’ के आधार पर ग्राउंड ट्रुथिंग यानी उस स्थान पर जाकर वास्तविक जानकारी एकत्र करने का आदेश दिया गया था. अधिकारी ने कहा कि बीमा कंपनी द्वारा 15 दिनों की अवधि में किए गए निरीक्षण से पता चला कि कुछ किसानों ने वित्तीय लाभ लेने के लिए जहां पर फसल नहीं थी वहां का भी बीमा कराया था.
एआईसी और कृषि विभाग के पास उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार बीड शहर के महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) क्षेत्र में 188 हेक्टेयर जमीन को कृषि-भूमि बताकर 180 लोगों ने फसल बीमा का लाभ लिया है. अधिकारी ने कहा कि कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) चलाने वाले कुछ लोगों ने किसानों के लिए फसल बीमा फॉर्म ऑनलाइन भरे. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिक जांच के अनुसार हमें संदेह है कि सीएससी संचालक और कुछ अन्य लोग इस अनियमितता में शामिल थे.’’
दस्तावेजों के अनुसार, बीड जिले के अंबाजोगई तालुका के एक गांव के तीन किसानों ने गैर-कृषि भूमि पर फसल बीमा के लिए नामांकन कराया है. दस्तावेजों के अनुसार, उनमें से एक ने 458 हेक्टेयर पर सोयाबीन की फसल का बीमा कराया है, दूसरे ने 212 हेक्टेयर पर और तीसरे किसान ने 1,130 हेक्टेयर भूमि पर फसल का बीमा कराया है. इन तीनों किसानों ने अब तालुका कृषि अधिकारी से संपर्क कर अपनी फसल बीमा रद्द करने की मांग की है और कहा है कि आवेदन उनकी लापरवाही के कारण भरा गया था.
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दस्तावेजों के अनुसार, बीड के आष्टी तालुका के एक डॉक्टर और उनके भाई ने 988 एकड़ भूमि पर सोयाबीन और अरहर की फसल के लिए बीमा के लिए नामांकन कराया था. जब एआईसी अधिकारियों ने उनसे इसके बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी अतिरिक्त फसल बीमा के लिए नामांकन नहीं कराया है और उनके पास केवल 11 एकड़ जमीन है. इसके अलावा, जेधेवाड़ी और मोरजालवाड़ी गांवों के दो किसानों ने 90 हेक्टेयर भूमि पर फसल के लिए नामांकन कराया था. हालांकि, जांच के दौरान पता चला कि दस्तावेजों के मुताबिक उनकी जमीन राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है.