kisan tak summit 2025: 'किसान तक' लखनऊ में आलू अधिवेशन आयोजित कर रहा है. इस कार्यक्रम को पूरी तरह से आलू पर आधारित रखा गया है क्योंकि 30 मई को विश्व आलू दिवस भी है. इस खास दिवस पर 'किसान तक' के आलू अधिवेशन में खेती-किसानी के दिग्गज शामिल होंगे. इसमें किसान से लेकर कृषि अधिकारी और कृषि विशेषज्ञ तक शिरकत करेंगे और अपनी जानकारी साझा करेंगे. इस प्रोग्राम में आलू के सरताज किसानों को सम्मानित भी किया जाएगा.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की विश्वप्रसिद्ध शाही लीची ने एक नया इतिहास रचते हुए पहली बार दुबई के बाजारों की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. गुरुवार को जिले की पहली खेप को कोल्ड चेन ट्रक के माध्यम से लखनऊ एयरपोर्ट के लिए रवाना किया गया, जहां से यह खेप हवाई मार्ग से दुबई भेजी जाएगी. इस ऐतिहासिक मौके पर जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन स्वयं उपस्थित रहे और हरी झंडी दिखाकर इस पहल का शुभारंभ किया.
डीएम सुब्रत कुमार सेन ने आजतक से बातचीत में कहा, “यह पहल मुजफ्फरपुर के किसानों के लिए एक नए युग की शुरुआत है. इससे न केवल हमारी शाही लीची को अंतरराष्ट्रीय बाजार मिलेगा, बल्कि उत्पादकों को बेहतर मूल्य भी प्राप्त होगा. कोल्ड चेन तकनीक के माध्यम से अब लीची सीधे बाजार तक सुरक्षित और ताजगी के साथ पहुंचेगी, जिससे बर्बादी रुकेगी और निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ेंगी.
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में अभी बाघों की दहशत थमी भी नहीं है तो वही जंगली हाथियों का आतंक शुरू हो गया है, जिले के सिंदेवाही तहसील के गांवों में जंगली हाथियों ने दहशत मचाई है, ग्रामीणों में डर का माहौल बन गया है, किस कदर जंगली हाथी गांव में घूम रहे है इसका ग्रामीणों ने वीडियो बनाया है, लोगों के पीछे जंगली हाथी उत्पात मचाते नजर आ रहे हैं.
ओडिशा से छत्तीसगढ़ होते हुए गढ़चिरोली में दाखिल हुए जंगली हाथियों का दल एक बार फिर बुधवार को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के सावली वनपरिक्षेत्र में देखा गया. बुधवार रात के समय वैनगंगा नदी पार करते हुए ये हाथी सावली वनपरिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गावों. गेवर, डोंगरगांव, निफंद्रा और मेहा के जंगलों से होते हुए दाखिल हुए.
पांचवे सेशन में आलू के सरताज प्रतियोगिता के लिए सवाल पूछा गया कि इरान और बहरीन में बड़े साइज के आलू का निर्यात नहीं होता है? इसमें 40 लोगों ने अटेम्प्ट किया जिसमें 24 लोगों ने सही जवाब दिया और 16 लोगों ने गलत जवाब दिया. इसमें पहला पुरस्कार विनय नगरकोटी, सिधार्थ सहगल और तीसरा जितेंद्र कुमार मौर्या को दिया गया.
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किसान सत्येंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हमें आलू ने ऐसा मुकाम दिया है कि हम बड़े-बड़े के साथ फाइट कर रहे हैं. पहले हमारे यहां शादी में पूछा जाता था कि आलू की कितनी खेती करते हो. यूपी में आलू को सबसे ज्यादा नुकसान पुहंचाया है झुलसा रोग ने. यूपी की खेती को बढ़ाने में सीपीआरआई का बहुत बड़ा रोल है. सीपीआरआई ने आलू की खेती और किसानों को बचा लिया. आलू की सफलता के पीछे सीपीआरआई का ही रोल है. आलू के आला महारथी सेशन में किसान नितिन चौधरी ने कहा कि अभी हाल में तेहरान और बरहीन को आलू की खेप भेजी है. इसके पीछे भी सीपीआरआई की भूमिका है. उन्होंने कहा कि वे आगे भी आलू का एक्सपोर्ट करने वाले हैं और इस सबके पीछे सीपीआरआई की मदद मिल रही है. विदेशों में हमारे आलू की बहुत डिमांड है, वहां से हर हफ्ते कंटेनर की मांग होती है. आने वाले समय में एआई जैसी तकनीक का भी इस्तेमाल होगा जिससे फसलों के रोग आदि के बारे में पहले ही पता चल जाएगा.
आलू के आला महारथी सेशन में मंच पर कई किसानों ने शिरकत की. इसमें देश के प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया और अपनी बात रखी. किसान भंवरपाल ने कहा, यूपीएससी की तैयारी करने इलाहाबाद गए थे, लेकिन खेती में भी रुचि थी. बाद में पढ़ाई छोड़कर आलू की खेती में लग गए. मेरा कहना है कि अगर आप प्रतिबद्ध हैं तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है. खेती के साथ भी यही बात है. किसान पुष्पेंद्र जैन ने कहा, बीएससी करने के बाद खेती में उतरा. उस समय बीज को कोई नहीं लेता था. खेती में अगर समय को देखते हुए, हरी खाद, मिट्टी की गुणवत्ता आदि का ध्यान रखते हुए करें तो कभी असफलता नहीं मिलती. खेती कभी घाटे का सौदा नहीं होती, वह घाटे में तभी जाती है जब कोई लापरवाही होती है. हमारे क्षेत्र में बीज की बहुत कमी है, कुफरी बहार की उपलब्धता बढ़ाएं ताकि यूपी का किसान संतुष्ट हो सके.
चौथे सेशन में आलू के सरताज प्रतियोगिता के लिए सवाल पूछा गया कि यूपी सरकार बंकर टाइप कोल्ड स्टोरेज को हतोत्साहित कर रही है. इसमें 52 लोगों ने अटेम्प्ट किया जिसमें 33 लोगों ने सही जवाब दिया और 19 लोगों ने गलत जवाब दिया. इसमें पहला पुरस्कार प्रमोद, दूसरा अभिनीत जैन और तीसरा नितिन चौधरी को दिया गया.
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कानपुर के किसान अभिनव शर्मा ने खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगाने के बारे में पूछा. इस बारे में राजीव वर्मा ने कहा कि इस तरह की यूनिट लगाने के लिए 35 परसेंट सब्सिडी मिलती है और यह राशि अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक है. किसान इस योजना का लाभ उठा कर खाद्य प्रसंस्करण यूनिट लगा सकते हैं. इसमें दो किस्तों में सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है.
राजीव वर्मा ने कहा कि हम किसानों को आलू पर जैविक खाद छिड़कने की सलाह देते हैं. इस पर केमिकल छिड़कने का सुझाव नहीं देते क्योंकि उसका पेस्ट हमारे अंदर भी जाता है. किसानों को जैविक खाद अपनाने के लिए यूपी सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है. सरकार कोशिश करती है कि उत्पादन से लेकर बिक्री तक किसानों को मदद की जाए. आलू के रेट गिरने पर सरकार हस्तक्षेप योजना के तहत किसानों से खरीदारी करती है.
देश में कुछ किसान काला आलू की खेती कर रहे हैं जो अंदर से भी काला है. इसके बारे में सीपीआरआई के संजय रावल ने कहा कि सीपीआरआई ने इसका बीज अभी बाहर नहीं भेजा है. इस पर काम चल रहा है, लेकिन कुछ किसान विदेश से इसका महंगा बीज मंगा कर खेती कर रहे हैं. सामान्य तौर पर इसकी खेती नहीं हो रही. कुफरी नीलकंठ किस्म पर्पल कलर का आलू है जिसका बीज किसान अक्टूबर से सीपीआरआई से ले सकते हैं.
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सीपीआरआई के संजय रावल ने भी आलू की फसल के लिए ड्रिप सिंचाई पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे आलू की फसल में क्लॉगिंग हट जाती है, पानी की बचत होती है और आलू का उत्पादन बढ़ता है. मिट्टी के बिना एरोपोनिक्स तकनीक से भी खेती कर सकते हैं. यूपी में भी इसका सेंटर लगा रहे हैं, लेकिन यह बहुत ही महंगी और स्पेशलाइज्ड तकनीक है. यह तकनीक सामान्य या खुले खेत में काम नहीं करेगी क्योंकि इसके लिए पॉलीहाउस अपनाना होता है.
पूछो, पूछो, जानो, समझो! आलू के सवाल? हमारे पास हैं जवाब सेशन में कन्नौज के किसान दिग्विजय कटियार ने पूछा कि यूपी सरकार केवल यूनिट कोल्ड स्टोरेज पर ही क्यों दिया जाता है, बंकर सिस्टम पर क्यों नहीं मिलता. इसके जवाब में राजीव कुमार वर्मा, जॉइंट डायरेक्टर, बागवानी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य मल्टीचैंबर कोल्ड स्टोरेज बनाने का है ताकि उसमें अलग-अलग उत्पाद रख सकें ताकि अलग-अलग चैंबर में अलग-अलग प्रोडक्ट रखें जाएं. सरकार बिल्कुल नहीं चाहती कि किसान बंकर टाइप कोल्ड स्टोरेज बनाएं. बंकर टाइप कोल्ड स्टोरेज उद्योगपति बनाते हैं तो उन्हें क्यों छूट दी जाती है. सरकार आम आदमी को कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए छूट देती है. सरकार का उद्देश्य नई चीजें बनाने पर है. सरकार पहले बंकर टाइप कोल्ड स्टोरेज पर सब्सिडी देती थी, लेकिन अब नए कोल्ड स्टोरेज पर सब्सिडी दे रही है. किसान बनाएं और लाभ उठाएं.
गोरखपुर के एक किसान ने पूछा कि पूर्वी यूपी में पाला की मार पड़ती है जिससे आलू नहीं लगा पाते हैं. उत्पादन घट जाता है. इसके जवाब में डॉ कौशल कुमार नीरज ने कहा कि अगर खेत में ड्रिप सिंचाई का उपाय अपनाएं तो पाले से बच सकते हैं. केमिकल से भी बचा सकते हैं, लेकिन उसकी जरूरत नहीं है. सूक्ष्म सिंचाई का उपयोग करें तो बचत भी होगी और उत्पादन भी बढ़ेगी. सूक्ष्म सिंचाई अपनाएं तो आलू का उत्पादन कर सकते हैं, सरकार इस पर सब्सिडी भी दे रही है.
क्वारंटाइन पेस्ट आलू के निर्यात के लिए अच्छा होता है? आलू के सरताज प्रतियोगिता में यह सवाल पूछा गया जिसका जवाब किसानों को देना था. जिन किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, उन्हें इसका जवाब देने के लिए कहा गया. इस सवाल का जवाब 'नहीं' है और कुछ किसानों ने इसका सही जवाब दिया. इस सवाल को 70 लोगों ने अटेम्प्ट किया जिसमें 28 लोगों ने सही जवाब दिया और 42 लोगों ने गलत जवाब दिया. इस सवाल के विजेता है हिमांशु दीक्षित जिन्हें प्रथम पुरस्कार मिला है. दूसरा पुरस्कार निकेश सिंह को और तीसरा अभिषेक कटियार को मिला. इस सत्र के ये तीन विजेता हैं.
किसान राघवेंद्र सिंह अवधूत ने कहा, केवल आलू की खेती से काम नहीं चलेगा. हमें क्लस्टर बनाकर आगे बढ़ना होगा. तभी देश का किसान समृ्ध और प्रबल होगा. रायबरेली में एफपीओ चलाने वाले और किसान रामगोपाल तिवारी ने कहा कि हम अपने आलू को निरोग बनाएंगे तभी उत्पादन अच्छा होगा. सरकार हमें हर सुविधाएं दे रही है जिसका फायदा उठाना चाहिए. सही पानी, सही बीज और खाद का इस्तेमाल करें तो अच्छा उत्पादन मिलेगा. पानी के सही उपयोग के लिए नई तकनीक अपनानी चाहिए. इसमें ड्रिप और स्प्रिंकलर का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे आलू का अच्छा कंद बनता है. आलू पर चित्ती भी नहीं बनती. ड्रिप से दवा डालने में भी मदद मिलती है. हमें आलू में सहफसली खेती करनी चाहिए. आलू की अच्छी ग्रोथ 30-35 दिनों तक होती है उसके बाद कंदों को बढ़ाना होता है.
किसान कमल किशोर ने कहा कि पिताजी के रहने पर बिजनेस करते थे, बाद में उनके नहीं रहने पर खेती से जुड़ गए. पिताजी जितना आलू उगाते थे, उससे ज्यादा हम उत्पादन ले रहे हैं. इसके लिए कृषि विज्ञान विज्ञान केंद्र से जुड़े जहां से मदद मिली. कुफरी बहार किस्म से अच्छा उत्पादन मिला. इसमें रोग को लेकर थोड़ा सावधान रहना होता है, अगर कार्बेंडाजिम पहले ही छिड़क दें तो कोई नुकसान नहीं होता. उसी आलू के दम पर चार बेटे बेटियों को मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहे हैं.
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अयोध्या की महिला किसान और ड्रोन दीदी सबीना ने कहा कि फसल चक्र अपना कर ही अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. सबीना ने कहा, तीन साल से आलू की खेती करती हूं. जिले में कृषि विज्ञान केंद्र में गई जहां सीखने का मौका मिला. वहां बताया गया कि केवीके में आइए और नई तकनीक सीखिए. आलू की खेती के बारे में केवीके से जानकारी मिली. इस साल मैंने कुफरी नीलकंठ लगाया था जिसे प्राकृतिक तरीके से उगाया गया था. इसका उत्पादन भले ही कम हुआ है, लेकिन उसमें कोई पेस्टिसाइड नहीं डाला है. ड्रोन के बारे में उन्होंने कहा कि 300 एकड़ में अभी तक ड्रोन से छिड़काव कर चुकी हूं.
आगरा पोटैटो सीड लिमिटेड के चेयरमैन पुष्पेंद्र जैन ने कहो किसान सेशन में कहा, उत्पादन अच्छा लेने के लिए मिट्टी की सेहत जरूर चेक करें. इसके लिए मिट्टी के सूक्ष्म तत्वों की जांच कराएं. सूक्ष्म तत्व हरी खाद से मिलेंगे. अगर सूक्ष्म तत्व कम हैं तो हरी खाद जरूर डालें. फसल की बीमारी कम करने के लिए फसल चक्र अपनाएं. दवाएं भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
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अधिक उत्पादन पाने और कमाई बढ़ाने के उपाय के बारे में रामशरण वर्मा ने कहा कि हम समय पर आलू की खेती करनी होगी. हमें फसल चक्र अपनाना है, विविधीकरण करना है. हमें बाजार की मांग को ध्यान में रखना है. गोबर की खाद खेत में डालनी है. हरी खाद डालें, प्रकृति के अनुरूप खेती करें तो हमारी लागत कम होगी जिससे हमारी कमाई बढ़ेगी.
बबीता चौधरी ने कहा कि सीपीआरआई ने कुफरी जमुनिया किस्म विकसित की है जो 90 दिनों में तैयार होती है. यह अंदर और बाहर दोनों ओर से पर्पल कलर का है. चिप्स के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का भविष्य उज्ज्वल है और भारत को देखें तो यह इस मामले में अमेरिका से पीछे नहीं है. कलर्ड पोटैटो की वैरायटी पर हम काम कर रहे हैं. हम लाल रतन वैरायटी पर भी काम कर रहे हैं जो लाल रंग की है.
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यूपी के किसान रामशरण वर्मा ने जो कि पहले केले की खेती करते थे, लेकिन बाद में आलू में उतर गए और वे बड़ी सफलता पा रहे हैं. उन्होंने आलू की खेती को लेकर कई बड़ी बातें बताईं. उन्होंने कहा कि सही ढंग से अगर खेती की जाए तो किसी भी किसान को नुकसान नहीं होगा. उन्होंने खुद के बारे में बताया कि उन्हें 30 साल से किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है.
हाइफन फूड्स के चीफ ऑफ सीड्स संदीप कुमार दास ने कहा, हाइफन अहमदाबाद की कंपनी है जिसका शुरू में फोकस फ्रेंच फ्राई पर था लेकिन अब स्टार्च में भी काम कर रहे हैं. अभी हमारा ऑपरेशन अधिकांश गुजरात में चल रहा है. अभी मुख्य काम फ्रेंच फ्राई का है, लेकिन आगे चिप्स में भी बढ़ेंगे. भारत अभी 6 करोड़ टन आलू तैयार करता है, 12 करोड़ टन 2050 तक आलू उत्पादन की उम्मीद है. यूपी में हम एक हजार एकड़ में कांट्रेक्ट फार्मिंग करा रहे हैं. अगर कोई किसान हाइफन फूड्स से जुड़ना चाहता है तो हमारी वेबसाइट पर क्वेरी डालनी होगी. उसके बाद हमारे प्रतिनिधि किसान से मिल कर अपनी बात रख सकेंगे. किसान से ज्यादा हम उनसे जुड़ने के लिए उत्सुक हैं. हम उनसे मिलकर खुद उनके साथ काम शुरू कर देंगे.
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सीपीआरआई, मेरठ की प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ बबीता चौधरी ने कहा, आलू का पुराना बीज खेत में लगाएंगे तो उत्पादन में कमी आएगी. अगर उन्नत किस्म लगाएंगे तो अधिक उत्पादन मिलेगा. बायोइथेनॉल भी आलू से बनने लगा है. इसमें ताजा आलू की जरूरत नहीं है. इसमें सड़ा आलू भी यूज होगा. इस दिशा में मेरठ में बड़ा काम हो रहा है. लगभग 36 कंपनियां आई हैं जो आलू से अपने उत्पाद बनाएंगी. इससे यूपी का आलू यहीं खप जाएगा. सीपीआरआई इन उत्पादों पर बहुत काम कर रहा है. किसान सीपीआरआई के बराबर संपर्क में रहते हैं और वे नई-नई जानकारी हासिल कर रहे हैं. नमकीन, भुजिया आदि आलू से बन रहे हैं. 1 अरब डॉलर का आलू का फ्रोजन फूड बाहर निर्यात किया गया है. आगे इसके 2.5 अरब डॉलर तक जाने की संभावना है. इसमें यूपी बड़ा रोल निभाएगा.
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दूसरे सेशन के इनाम प्रतियोगिता में आलू सरताज के लिए सवाल पूछे गए जिसका जवाब किसानों ने दिया. किसानों को दो मिनट का समय दिया गया जिसमें उन्हें जवाब देना था. इसके लिए क्यूआर कोड स्कैन करना था जिसके बाद मोबाइल पर सवाल आया. सवाल था- देश में 6 करोड़ मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हो रहा है? पहले सेशन में जिन किसानों को पहले, दूसरे और तीसरे इनाम के लिए चुना गया, उनके नाम हैं- मोहमम्द अशद उस्मानी, डॉ. धीरेंद्र सिंह, आशिष बाजपेई. पहले विजेता को 5000 रुपये, दूसरे को 2000 और तीसरे विजेता को 1000 रुपये मिलेंगे. अधिवेशन की हर जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.
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कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए अगर सब्सिडी लेना है तो किसानों एकीकृत बागवानी मीशन योजना के तहत सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं. uphorticlture.in पर आवेदन कर सकते हैं.
भारत आलू के उत्पादन में चीन को पीछे छोड़कर पहले स्थान पर कैसे आ सकता है? इस सवाल के जवाब में शैलेंद्र तिवारी ने कहा कि भारत संभावनाओं का देश है, अगर हम आगे के 10 साल को टारगेट करें कि हमें नंबर बन है तो सबसे जरूरी है बीज, हमें हीट टोलरेंट बीज चाहिए. दूसरा है प्रोडक्शन. इसमें नई तकनीक अपनानी होगी. पानी के बारे में जानें, रोग के बारे में पहले पता कर लें, हमारे पास आज मोबाइल फोन है जहां हम खेती की जानकारी ले सकते हैं और उसे खेती में अपना सकते हैं. स्टोरेज भी बड़ा सवाल है. आलू को घर में न रखें, सरकार कोल्ड स्टोरेज बना रही है जहां रखना चाहिए जिससे वैल्यू एडीशन होता है.
आलू के दाम गिरने की समस्या बड़ी है जिससे किसान परेशान रहते हैं. क्या यूपी में ऐसी कोई योजना है जिसके माध्यम से किसानों को राहत दिलाई जा सके. इस बारे में कौशल कुमार नीरज ने कहा कि यूपी में ऐसी कोई समस्या अभी नहीं देखी जा रही है. इसमें कोल्ड स्टोरेज से मदद मिल रही है क्योंकि किसान अपनी उपज को रख सकते हैं और बाद में बेच सकते हैं. किसान इसमें अपनी उपज रख सकते हैं. आज यूपी 2230 कोल्ड स्टोरेज हो गए हैं. आज हम बड़ी मात्रा में आलू को भंडारित करने की क्षमता में हैं. कोल्ड स्टोरेज होने से किसान अपनी फसल को डिस्ट्रेस सेलिंग नहीं करते हैं. इसलिए यूपी में रेट का कोई इश्यू नहीं है. अगर रेट गिरता भी है तो फसल हस्तक्षेप योजना है जिसका फायदा किसान उठा सकते हैं.
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ध्रुव कुमार ने आलू में लगने वाली बीमारी के बारे में कहा, आलू में लगने वाले चेचक रोग को फसल चक्र अपना कर रोक सकते हैं. इसे किसी भी दवा या केमिकल नहीं रोका जा सकता है. किसानों को फसल चक्र अपनाकर और अन्य फसलों की खेती कर ही चेचक रोग से रोक सकते हैं. आलू की खेती में मैंकोजेब की मदद से झुलसा रोग से बचाया जा सकता है.
कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के हेड यश कुमार ने कहा, इस समय यूपी में 2200 को कोल्ड स्टोरेज हैं, जिसमें से अधिकांश कोल्ड स्टोरेज खाली हैं. सरकार की नीतियां बहुत अच्छी हैं सरकार कोल्ड स्टोरेज बना रही हैं. ऐसा नहीं है कि आलू का उत्पादन कम हुआ है इसलिए कोल्ड स्टोरेज खाली हैं बल्कि कोल्ड स्टोरेज अधिक बने हैं, इसलिए वे खाली हैं.कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के हेड यश कुमार ने कहा, इस समय यूपी में 2200 को कोल्ड स्टोरेज हैं, जिसमें से अधिकांश कोल्ड स्टोरेज खाली हैं. सरकार की नीतियां बहुत अच्छी हैं सरकार कोल्ड स्टोरेज बना रही हैं. ऐसा नहीं है कि आलू का उत्पादन कम हुआ है इसलिए कोल्ड स्टोरेज खाली हैं बल्कि कोल्ड स्टोरेज अधिक बने हैं, इसलिए वे खाली हैं.
फसल संस्था के फाउंडर शैलेंद्र तिवारी ने कहा कि तकनीक की मदद से आज हम दुनिया में आलू के दूसरे उत्पादक बने हैं. 20 साल पहले 2 करोड़ टन उत्पादन होता था जो आज 6 करोड़ टन से अधिक है. आलू की खेती में टेक्नोलॉजी का बहुत बड़ा रोल है और भारत में उत्तर प्रदेश में आलू की खेती में कई संभावनाएं हैं. आलू की खेती में एआई की भी मदद ले सकते हैं. इससे आलू की न्यूट्रिशिनल वैल्यू के बारे में आसानी से जान सकेंगे. एआई समझ सकता है कि जमीन में क्या है, क्लाइमेट में क्या है, बीज में क्या है, पानी कैसा है. इन सभी बातों को ध्यान में रखकर हम खेती में बड़ी मदद ले सकते हैं. एआई इलाज की खेती में मदद कर सकता है. खेत में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी वह पहले ही ले सकता है.
आलू का जादू: घाटे से मुनाफे तक, कैसे होगा कमाल! में चार मेहमानों ने हिस्सा लिया. इस सेशन में डॉ ध्रुव कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर-सीपीआरआई ने कहा कि आलू के प्रोसेसिंग के लिए बिहार, बंगाल, गुजरात, बंगाल आदि राज्य उपयुक्त हैं. यूपी में प्रोसेसिंग के लिए आलू उपयुक्त नहीं है, इसलिए उसे नहीं उगाते हैं. आलू के बीज की उपलब्धता को लेकर यूपी सरकार के प्रयासों के बारे में डॉ. कौशल कुमार नीरज, जॉइंट डायरेक्टर, बागवानी, यूपी, ने कहा कि प्रजनक बीजों को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है जिसे किसान भाई तीन-चार साल इस्तेमाल करते हैं. आलू के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कुशीनगर में बनाया गया है. आलू बीज उत्पादन में नई टेक्नोलॉजी लाई जा रही है. सरकार ने आलू विकास नीति 2014 चलाया गया है जिसमें प्रावधान किया गया है कि कोई किसान बीज उत्पादन करता है तो उसे 25000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. आलू बीज का अर्थ है बीमारी मुक्त आलू का बीज पैदा करना. यह काम बहुत सावधानी से करना होता है.
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पहले सेशन के इनाम प्रतियोगिता में आलू सरताज के लिए तीन सवाल पूछे गए जिसका जवाब किसानों ने दिया. किसानों को दो मिनट का समय दिया गया जिसमें उन्हें जवाब देना था. इसके लिए क्यूआर कोड स्कैन करना था जिसके बाद मोबाइल पर सवाल आया. पहला सवाल था- क्या भारत दुनिया का नंबर वन आलू उत्पादक है? पहले सेशन में जिन किसानों को पहले, दूसरे और तीसरे इनाम के लिए चुना गया, उनके नाम हैं-रोशन जी, फलजी चौधरी और दिलीप. पहले विजेता को 5000 रुपये, दूसरे को 2000 और तीसरे विजेता को 1000 रुपये मिलेंगे.
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कार्यक्रम में एक किसान ने कहा कि उनके बाजरे की फसल को सही दाम नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि बाजरा का समर्थन मूल्य 2600 रुपये है, लेकिन किसान को 2000 रुपये भी नहीं मिल रहा है. उन्होंने सरकार से मांग की कि सही दाम दिलाने में मदद की जाए. इसपर उपकार के महानिदेशक ने कहा कि सरकार ने समर्थन मूल्य पर बिक्री के लिए एक सिस्टम बना हुआ है जिसका फायदा उठाना चाहिए. उपकार महानिदेशक संजय कुमार सिंह ने कहा कि आपके क्षेत्र में कृषि विज्ञान केंद्र है, समर्थन मूल्य पर खरीद के सेंटर हैं जहां किसान अपनी फसलों की बिक्री कर सकते हैं. संजय कुमार सिंह ने कहा कि अभी विकसित कृषि संकल्प अभियान भी शुरू हुआ है जिसमें समर्थन मूल्य के बारे में भी जानकारी दी जाएगी.
संजय कुमार सिंह ने कहा कि आलू किसानों को बेहतर दाम दिलाने के लिए काम हो रहा है. हालांकि आलू किसानों को अच्छा दाम मिल भी रहा है, लेकिन इसे और अधिक दिलाने की कोशिश हो रही है. संजय कुमार सिंह ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री ने देश में विकसित कृषि संकल्प अभियान शुरू किया है जिसमें किसानों से आईसीएआर के वैज्ञानिक गांवों में जाएंगे और किसानों से मिलेंगे. इस दौरान किसानों को खेती की कई जानकारी मिलेगी. इस पहल में लैब के कार्यों को किसानों तक पहुंचाया जाएगा. इसमें आलू पर भी विशेष काम हो रहा है. इस पहल से किसानों को वैज्ञानिक खेती करने में मदद करेगी. आलू ऐसी फसल है जो किसानों को बहुत मदद करती है.
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संजय कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आलू के भंडारण में बड़ी समस्या है. इस पर हम काम कर रहे हैं और इसमें देखा जा रहा है कि कितने दिन तक आलू की गुणवत्ता बनाए रख सकते हैं. इस काम पर शोध चल रहा है. जब शोध हो जाएगा तो इससे फायदा होगा. शोध हो जाएगा तो इससे किसानों को फायदा होगा. सरकार की कोशिश है कि आलू को कैसे दुनिया में एक्सपोर्ट किया जाए. आगरा में इसके लिए एक सेंटर खोला जा रहा है जहां आलू के बीज उत्पादन पर काम होगा.
यूपीसीएआर के महानिदेशक संजय कुमार सिंह ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की. मंच पर उनका स्वागत इंडिया टुडे ग्रुप के कंसल्टिंग एडिटर बीवी राव ने किया. उन्हें पुष्प गुच्छ और शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया.
आलू अधिवेशन का फोकस देश में आलू की खेती, आलू का बिजनेस, आलू का एक्सपोर्ट, आलू किसानों की दशा आदि विषयों पर रहेगा. दुनिया में देखें तो अनाजों के बाद सबसे अधिक उगाई जाने वाली सब्जी आलू है. यहां तक कि स्पेस में रिसर्च के लिए नासा ने आलू को ही चुना था. संयुक्त राष्ट्र ने आलू की महत्ता को देखते हुए 30 मई को विश्व आलू दिवस घोषित किया. आलू उत्पादन की बात करें तो भारत दुनिया में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है जबकि उत्तर प्रदेश आलू उत्पादन में पहला राज्य है.
किसान तक का आलू अधिवेशन शुरू हो गया है. यह लखनऊ के गोमती नगर में आयोजित हो रहा है. आलू अधिवेशन में एक इनाम प्रतियोगिता भी है जिसका नाम है आलू सरताज. इसके लिए किसानों से सवाल पूछे जाएंगे. सत्र के हिसाब से सवाल पूछे जाएंगे. जिन किसानों का जवाब सही होगा, उन्हें आलू सरताज का इनाम दिया जाएगा. इसके लिए किसानों को पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा. जिन किसानों ने आलू अधिवेशन के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया होगा, उन्हें इनाम प्रतियोगिता में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा. हर सत्र के लिए तीन किसानों को इनाम मिलेगा. पहला पुरस्कार 5 हजार, दूसरा 2000 और तीसरे विजेता को 1000 रुपये का इनाम मिलेगा.
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लखनऊ में आयोजित किसान तक के आलू अधिवेशन में शामिल होने के लिए किसानों का रजिस्ट्रेशन जारी है. कई किसान रजिस्ट्रेशन के लिए लाईनों में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
किसान तक के आलू अधिवेशन के लिए किसानों और अन्य आगंतुकों का रजिस्ट्रेशन जारी है. इस खास प्रोग्राम में किसानों के अलावा कई विशेष मेहमान जुटेंगे.
लखनऊ में किसान तक का आलू अधिवेशन, बस कुछ ही देर में शुरू होने वाला है.
किसान तक के मंच पर कृषि क्षेत्र के कई दिग्गज जुटेंगे और अपनी जानकारी साक्षा करेंगे.
पैनल चर्चा में डॉ. राजेश कुमार सिंह, प्रमुख, सीपीआरआई, मेरठ, डॉ. वी.बी.द्विवेदी, निदेशक, उद्यान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, डॉ. बबीता चौधरी, प्रधान वैज्ञानिक, सीपीआरआई, मेरठ, समीप कुमार दास - बीज प्रमुख, हाईफन फूड्स हिस्सा लेंगे. डॉ. कौशल कुमार नीरज, संयुक्त निदेशक, उद्यान, आलू, उत्तर प्रदेश, राजीव कुमार वर्मा, संयुक्त निदेशक, उद्यान, लखनऊ, वी के गुप्ता, प्रधान वैज्ञानिक, सीपीआरआई, मेरठ, डॉ. संजय रावल, प्रधान वैज्ञानिक, सीपीआरआई, मेरठ और भवर पाल सिंह, प्रगतिशील किसान शामिल होंगे.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी ।MD ने अगले दो दिनों के मौसम अपडेट में अनुमान लगाया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा-पंजाब, मध्य प्रदेश में तेज हवाओं और बारिश के साथ आंधी तूफान आ सकता है. इस दौरान कई इलाकों में बारिश और बूंदाबांदी के आंधी की संभावना है. IMD का अनुमान है कि ये बारिश होगी तो पिछले कुछ दिनों से जारी झुलसा देने वाली गर्मी से लोगों को राहत मिलेगी.
30 मई सुबह 9 बजे रजिस्ट्रेशन के साथ इस खास प्रोग्राम की शुरुआत होगी जिसमें किसान, वैज्ञानिक, पॉलिसीमेकर्स, आंत्रप्रेन्योर आदि अपना पंजीकरण करा सकते हैं. 9.30 बजे स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत होगी और दीप प्रज्ज्वलन भी होगा. 9.50 बजे यूपीसीएआर यानी उपकार के महानिदेशक डॉ. संजय कुमार सिंह का उद्घाषण भाषण होगा जिसका टॉपिक होगा आलू इकोसिस्टम: मिट्टी से मंडी तक, आलू की चुनौतियां! इस प्रोग्राम में उत्तर प्रदेश के उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी भाग लेंगे. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार सिंह अपना विशेष संबोधन देंगे.
पैनलिस्टी की बात करें तो इसमें डॉ. ध्रुव कुमार, प्रधान वैज्ञानिक, आईसीएआर-सीपीआरआई, मेरठ, डॉ. कौशल कुमार नीरज, संयुक्त निदेशक, बागवानी, उत्तर प्रदेश, डॉ. तेजपाल सिंह तोमर, महाप्रबंधक - कृषि संचालन, मेरिनो इंडस्ट्रीज लिमिटेड, हापुड़, अरविंद अग्रवाल, अध्यक्ष, कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन उत्तर प्रदेश, डॉ. प्रभात कुमार, बागवानी आयुक्त, भारत सरकार और शैलेंद्र तिवारी, संस्थापक, फसल शामिल होंगे.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज जम्मू के दौरे पर रहेंगे
शिवराज सिंह जम्मू के आरएसपुरा में "विकसित कृषि संकल्प अभियान" के अंतर्गत किसानों से संवाद करेंगे, कार्यक्रम में वैज्ञानिक, किसानों से उनकी जिज्ञासाओं, समस्याओं पर चर्चा करेंगे.
'किसान तक' 30 मई को लखनऊ में 'आलू अधिवेशन' आयोजित कर रहा है. 30 मई को विश्व आलू दिवस के अवसर पर 'किसान तक' यह कार्यक्रम करने जा रहा है. लखनऊ के गोमती नगर में सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक आलू अधिवेशन चलेगा जिसमें खेती-किसानी से लेकर कृषि विज्ञान की दुनिया के गणमान्य भी उपस्थित होंगे.
पूरे प्रोग्राम में कई पैनल परिचर्चा बैठकें होंगी और एक से बढ़कर एक सत्र आयोजित किए जाएंगे. प्रोग्राम की खास बात ये है कि इसमें आलू की दुनिया के महारथियों को सम्मानित भी किया जाएगा. इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए मरकरी ऑडिटोरियम, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, साइबर हाइट्स, कठौता रोड चौराहा, विभूति खंड, गोमती नगर में आप भी पधार सकते हैं.