ओडिशा-झारखंड के गरमा धान में हो सकता है ब्लास्ट रोग का प्रकोप, बचाव के लिए पढ़ें IMD की एडवाइजरी

ओडिशा-झारखंड के गरमा धान में हो सकता है ब्लास्ट रोग का प्रकोप, बचाव के लिए पढ़ें IMD की एडवाइजरी

आईएमडी की सलाह में कहा गया है कि धूप, गर्मी और बारिश के कारण नमी पैदा होती है. इससे गरमा धान की खेती में बलास्ट रोग का प्रकोप हो सकता है. किसान अपने खेतों में इससे बचाव के लिए पर्याप्त उपाय करें. अगर गरमा धान के खेतों में ब्लास्ट रोग का प्रकोप दिखाई देता है तो फिर इससे बचाव के लिए ट्राइसाइक्लाजोल 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.

कृषि सलाह (सांकेतिक तस्वीर)
पवन कुमार
  • Noida,
  • May 07, 2024,
  • Updated May 07, 2024, 6:38 PM IST

झारखंड, ओडिशा, पश्चिम-बंगाल और बिहार में लंबे समय तक तेज धूप और गर्मी के बाद एक बार फिर बारिश के आसार बन रहे हैं. झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर बारिश भी हो रही है. ऐसे में खड़ी सब्जियों और फसलों को नुकसान पहुंच सकता है. झारखंड में कई जगहों पर ओलावृष्टि का भी अलर्ट जारी किया गया है. ऐसे मौसम में किसानों को मौसम के कारण नुकसान का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सलाह जारी की है. इस सलाह का पालन करके किसान मौसम के कारण होने वाले नुकसान से बच सकते हैं. आईएमडी की सलाह में कहा गया है कि कुछ स्थानों पर तेज बारिश होने की भी संभावना है. इसलिए किसान अपनी खड़ी फसल को बचाने के लिए खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें. इसके साथ ही मौसम को देखते हुए खाद का छिड़काव करें. 

आईएमडी की सलाह में कहा गया है कि धूप, गर्मी और बारिश के कारण नमी होती है. इससे गरमा धान की खेती में ब्लास्ट रोग का प्रकोप हो सकता है. किसान अपने खेतों में इससे बचाव के लिए पर्याप्त उपाय करें. दिन और रात के तापमान में अंतर होने पर यह रोग होता है. इस रोग के प्रबंधन के लिए किसान लगातार अपने खेत की निगरानी करें. अगर गरमा धान के खेतों में ब्लास्ट रोग का प्रकोप दिखाई देता है तो फिर इससे बचाव के लिए ट्राइसाइक्लाजोल 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. ओडिशा में गरमा धान को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि यदि चावल में ब्लास्ट रोग का संक्रमण दिख जाए तो टेबुकोनाजोल 50 प्रतिशत और ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन का छिड़काव करें. तापमान में वृद्धि से लाल बालों वाले कैटरपिलर में वृद्धि हो सकती है. 

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खेत में बनाएं रखें पर्याप्त नमी

सब्जियों की खेती को लेकर झारखंड और ओडिशा के किसानों को कहा गया है कि बारिश नहीं होने की स्थिति में सब्जियों के खेतों में नमी बनाए रखें. पौधौं को अधिक गर्मी से बचाने के लिए नर्सरी को पुआल से ढंक दें. इसके साथ ही ओडिशा के किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि ऐसे मौसम में मूंगफली के खेत में कैटरपिलर का संक्रमण हो सकता है. इसके नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफॉस 50 प्रतिशत ईसी को 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. ओडिशा में फिलहाल मौसम गर्म बने रहने की संभावना है. इसलिए किसानों से कहा गया है कि वे पकी हुई मूंग की फसलों की कटाई पूरी कर लें. अगर मूंग की फलियां 70-80 फीसदी पक गई हैं तो किसान उसकी कटाई कर सकते हैं. कटाई करने के बाद उसे भंडारण करने के लिए अच्छे से सूखा लें. 

नमी बनाए रखने के लिए करें मल्चिंग

तेज धूप और गर्मी के कारण टमाटर के फल में फटने की शिकायत हो सकती है. इसलिए इसके खेत में नमी बनाए रखें और पौधे के चारों ओर 5-7 सेमी मोटाई की जैविक गीली घास का उपयोग करें. ओडिशा के किसानों को कहा गया है कि लू और गर्मी की स्थिति को देखते हुए खड़ी फसलों की शाम के समय बार-बार सिंचाई करें. फलों के पौधों को उच्च तापमान से बचाने के लिए अस्थायी शेड नेट का प्रयोग करें. मिट्टी में उच्च नमी की स्थिति बनाए रखने के लिए मल्चिंग करें. मल्चिंग के लिए पुआल, गीली घास, सूखी पत्तियां और चूरा का उपयोग करें. दलहनी फसलों में माहू के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड का 0.3 मिली प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. 

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हल्दी की करें बुवाई

प्याज में पर्पल ब्लॉच रोग और थ्रिप्स को नियंत्रित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड का 0.3 मि.ली. या थियामेथोक्साम का 0.3 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. मल्चिंग से पौधों को पर्याप्त सिंचाई दें और गर्मी के कम होने तक पौधौं को नर्सरी से खेत में शिफ्ट नहीं करें. मशरूम इकाइयों में उचित नमी बनाए रखें और प्रामाणिक स्थानों से बीजाणु एकत्र करें. चना, बैंगन, ककड़ी और मिर्च की नियमित तौर पर सिंचाई करें. इसके साथ ही ओडिशा के किसान इस वक्त हल्दी की अच्छी किस्मों की बुवाई भी कर सकते हैं. इसके लिए खेत को पहले अच्छे से तैयार करें. 

 

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