उत्तर प्रदेश के गांव-गांव में घर-घर स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए सरकार प्रयासरत है. पीने का स्वच्छ पानी स्वस्थ मानव जीवन का आधार है. वाराणसी के काशी विद्यापीठ विकासखंड के रमना ग्राम सभा में नीर निर्मल परियोजना के तहत सात करोड़ की लागत से पानी की टंकी और पाइप लाइन भी बिछाई गई. इस योजना को 3 साल पहले शुरू किया गया था लेकिन आज तक घरों तक बिछाई गई पाइप लाइनों में पानी नहीं पहुंचा है. सरकारी पानी के इंतजार में पाइप की टोटियां भी दम तोड़ती भी नजर आ रही हैं. ग्रामीणों की उम्मीद अब पूरी तरह टूट चुकी है क्योंकि उन्होंने पानी के लिए अधिकारियों से लेकर विधायकों तक गुहार लगाई है लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी विद्यापीठ विकासखंड में रमना गांव स्थित है. यह गांव शहर से लगा हुआ है यहां पर ग्रामीणों को घर-घर तक स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए 3 साल पहले नीर निर्मल परियोजना बैच दो के अंतर्गत सात करोड़ की लागत से पानी की टंकी बनाई गई और इसके लिए घरों तक पाइप लाइन भी बिछाई गई. जल निगम की पानी की टंकी पूरी तरीके से तैयार है लेकिन आज तक गांव की सैकड़ों बस्तियों में लगे हजारों नलों में पानी नहीं पहुंचा है. लोगों को नलों से पानी का इंतजार है. घरों में लगी पाइपों में टोटिया भी अब टूट गई हैं. गांव की ग्राम प्रधान आरती पटेल का कहना है कि इस समस्या की कई बार मौखिक और लिखित तौर पर उच्च अधिकारियों से शिकायत की गई है लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है.
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रमना गांव के ग्रामीण सतीश पटेल का कहना है कि भीषण गर्मी में बिजली कटौती के कारण पानी की बहुत बड़ी समस्या है. गांव में मल्लाह बस्ती, दलित बस्ती, पटेल बस्ती, यादव बस्ती और राजभर बस्ती में सैकड़ों कनेक्शन पानी के लगे हैं लेकिन यहां पानी नहीं पहुंचा है. वहीं ग्रामीणों को पानी के लिए दिन भर भटकना पड़ता है तब जाकर उनके घरों के लोगों की प्यास बुझती है. गांव की ग्राम प्रधान आरती पटेल ने बताया कि रोहनिया विधायक डॉ. सुनील पटेल से लेकर जिला अधिकारी और जल निगम के अधिकारियों से भी पानी की इस समस्या की शिकायत की गई है. अब तो हद हो गई है उनका फोन जल निगम के अधिकारी उठाते तक नहीं है.