मूंछ हो तो नत्थू लाल जेसी वरना ना हो. ये डायलॉग आपने फिल्मों में सुना होगा. लेकिन अब मूंछ हो तो राम सिंह जैसी डायलाग पुष्कर मेले से मिल गया है. डायलॉग यूं ही नहीं कहा गया है यह डायलॉग अभी तक भी पुष्कर मेले में सत्य उतर रहा है. प्रसिद्ध पुष्कर मेले में विदेशी पर्यटकों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराने के लिए मूंछ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. विदेशियों से खचाखच भरे इस मंडप में हजारों विदेशियों ने मूंछ प्रतियोगिता देखी. इस प्रतियोगिता में कुल 14 प्रतियोगियों ने भाग लिया. जिसमें 9 राजस्थान निवासी और दो विदेशी पर्यटक शामिल हुए.
मूंछ प्रतियोगिता का ताज राजस्थान के पाली जिले के मेल वास गांव निवासी राम सिंह के सिर सजा. जबकि पाली के नरसिंह चौहान दूसरे स्थान पर रहे. तीसरे स्थान पर सोजत निवासी धीरेंद्र सिंह रहे. इस प्रतियोगिता को देखकर विदेशी पर्यटक दंग रह गए. भारत में लोग अपनी मूंछों पर कितना ध्यान देते हैं यह देखकर हैरानी हुई, जो कि पुष्कर मेले में देखने को मिला.
मूंछ प्रतियोगिता देखकर खुश हुईं फ्रांस के पेरिस शहर की रहने वाली लावरा ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसी प्रतियोगिता कहीं नहीं देखी, जो उन्होंने कल ही पुष्कर मेले में देखी. ये देखकर बहुत खुशी हुई और पेरिस की इस महिला ने तो राम सिंह को पकड़कर सेल्फी भी क्लिक करवाई. इस प्रतियोगिता में वह प्रथम स्थान पर रहे. राम सिंह ने बताया कि वह एक छोटे बच्चे की तरह अपनी मूंछों का ख्याल रखते हैं और मूंछ और दाढ़ी का एक भी बाल गिरने नहीं देते हैं. मूंछों के रखरखाव के लिए और उन्हें तरोताजा बनाए रखने के लिए कई तरह के तेल और अन्य चीजों का इस्तेमाल करते हैं. अंत में विजेताओं को पर्यटन विभाग की ओर से नकद राशि और स्मृति चिन्ह भी प्रदान किया जाता है. राम सिंह मेडिकल विभाग में कंपाउंडर के पद पर काम करते है. उन्होंने कई बार पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिया है, जिसमें वे कई बार विजेता भी रहे हैं.
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दरअसल पुष्कर मेला राजस्थानी संस्कृति और त्योहारों का अद्भुत संगम माना जाता है. यहां पुष्कर मेला 18 नवंबर से शुरू हो चुका है और 27 नवंबर 2023 को समाप्त होगा. इस मेले की खासियत यह है कि यहां आप स्थानीय लोक नृत्य, संगीत और खेलों का आनंद ले सकते हैं. इतना ही नहीं, यहां आपको सितौलिया, लंगड़ी तांग, गिल्ली-डंडा और कबड्डी जैसे खेल देखने का मौका मिलता है. अगर आप शॉपिंग करना चाहते हैं तो आपको स्थानीय कलाकृतियां, रंग-बिरंगे कपड़े, आभूषण, आभूषण और राजस्थानी डिजाइन वाली घरेलू वस्तुएं आसानी से मिल जाएंगी.
ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने कार्तिक मास की एकादशी से पूर्णिमा तक 5 दिनों तक पुष्कर में यज्ञ किया था. इस दौरान 33 करोड़ देवी-देवता भी धरती पर मौजूद थे. इसी कारण से कार्तिक मास की एकादशी से पूर्णिमा तक 5 दिनों का पुष्कर में विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में सभी देवता पुष्कर में निवास करते हैं. इन्हीं मान्यताओं के चलते पुष्कर मेले का आयोजन किया जाता है. पुराने समय में संसाधनों की कमी के कारण श्रद्धालु अपने साथ जानवर भी लाते थे. धीरे-धीरे इसे पशु मेले के रूप में जाना जाने लगा.