i-CAS से मिलता है एक्‍सपोर्ट होने वाले हलाल मीट उत्‍पादों को सर्टिफिकेट, केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी

i-CAS से मिलता है एक्‍सपोर्ट होने वाले हलाल मीट उत्‍पादों को सर्टिफिकेट, केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी

भारत से दुनियाभर में मीट और मीट उत्‍पाद एक्‍सपोर्ट होते हैं. लेकिन, इस्‍लाम‍िक देशों में हलाल सर्टिफिकेशन की अनिवार्यता होती है. इस पर मंगलवार को केंद्रीय मंत्री लोकसभा में जानकारी दी. उन्‍होंने कहा कि जिन भी मी‍ट उत्‍पादों को उक्‍त देशों में एक्‍सपोर्ट किया जाता है, उन्‍हें i-CAS सर्टिफिकेट जारी करता है.

ICAS halal Meat CertificationICAS halal Meat Certification
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 18, 2024,
  • Updated Dec 18, 2024, 3:06 PM IST

इस्‍लामिक देशों में भारत से निर्यात किए जाने वाले मीट और मीट उत्‍पाद हलाल सर्टिफिकेशन के लिए भारत अनुरूप आकलन योजना (आई-सीएएस) से अनिवार्य रूप से होकर गुजरते हैं यानी अब आई-सीएएस इन उत्‍पादों को हलाल सर्टिफिकेट देता है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मंगलवार को लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि मलेशिया, इंडोनेशिया, मिस्र, ईरान, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों में मांस और मांस उत्पाद आयात करने के लिए अपने हलाल सर्टिफिकेशन के अपने नियम, मानक और प्रणाली मौजूद हैं.

'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, उक्‍त देशों में भारत और अन्य देशों से एक्‍सपोर्ट होने वाले मांस उत्पादों का हलाल सर्टिफिकेशन इन देशों की विशिष्ट जरूरतों के अनुसार होने की अन‍िवार्यता है. भारत से जि‍न विशिष्ट मांस उत्पादों का निर्यात किया जाता है, उन्‍हें आई-सीएएस के अनुसार हलाल प्रमाण पत्र अनुरूपता का प्रमाण पत्र दिया जाता है. यह प्रमरण पत्र इस बात की पुष्टि करता है कि उत्पाद, प्रक्रिया या सेवा हलाल मानकों/नियमों और इस्लामी शरिया कानून के अनुसार है.

हलाल और हराम में ये है फर्क

हलाल और हराम अरबी शब्द हैं. हलाल का मतलब ‘वैध’ होता है यानी जो खाद्य पदार्थ आप ले रहे हैं, उसका निर्माण इस्लामी कानून/प्रक्रिया के तहत किया गया है. इसी तरह इस्लाम में जिन कामों को करने की इजाजत नहीं है, उन्हें हराम कहा गया है. यानी जिन जानवरों का मांस खाना प्रतिबंधित है, उसे हराम कहा गया है. 

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FMD कंट्राेल होने से बढ़ेगा मीट एक्‍सपोर्ट 

भारत से बड़े पैमाने पर डेयर उत्‍पाद और मांस का निर्यात किया जाता है, लेकिन पशुओं की बीमारी खुरपका-मुंहपका (FMD) की वजह से एक्‍सपोर्ट पर असर पड़ता है. हालांक‍ि, सरकार एफएमडी को लेकर कदम उठा रही है. देश में एफएमडी डिसीज फ्री कंपार्टमेंट जोन बनाकर डेयरी एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया जा रहा है. 

इन राज्‍यों को चुना गया

इसके लिए देश के नौ राज्यों को चुना गया है. एफएमडी डिसीज़ फ्री कंपार्टमेंट जोन बनाने के लिए पहले देश के नौ राज्यों आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड को चुना है. ये वो राज्य हैं जहां एफएमडी को कंट्रोल करने के लिए तेजी से काम चल रहा है. इसमे ये भी शामिल है कि अब यहां एफएमडी का असरदार अटैक नहीं होता है, यहां एफएमडी का वैक्सीनेशन कार्यक्रम तेजी से चल रहा है. यहां बायो सिक्योरिटी पर काम होता है. 

इसके लिए कुछ ऐसे पाइंट भी तैयार किए गए हैं जिनका पालन कर एफएमडी को कंट्रोल किया जाएगा. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो सरकार के इस कदम का असर मीट एक्सपोर्ट पर भी पड़ेगा, क्योंकि यूरोपियन समेत कई ऐसे देश हैं, जो भारतीय बफैलो मीट को पसंद तो करते हैं, लेकिन एफएमडी के चलते उसकी खरीद नहीं करते हैं. 

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