गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (जीएडीवीएएसयू), लुधियाना में 27 फरवरी को मैकगिल विश्वविद्यालय, कनाडा, सस्केचेवान विश्वविद्यालय, कनाडा और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से "खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण स्थिरता के लिए जीनोम संपादन" पर पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला को शुरू की गई. कार्यशाला के संयोजक ने बताया कि डॉ. जेपी एस गिल, कार्यशाला के समन्वयक और अनुसंधान निदेशक, गडवासू ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया.
डॉ. गिल ने बताया कि विभिन्न संस्थाओं के 120 प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. मैकगिल यूनिवर्सिटी के जीनोम एडिटिंग फॉर फूड सिक्योरिटी एंड एनवायरनमेंटल सस्टेनेबिलिटी (जीईएफएसईएस) के निदेशक डॉ. जसविंदर सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम में जीएडीवीएएसयू और पीएयू प्रमुख अंतरराष्ट्रीय भागीदार हैं.
डॉ. एएस भट्ट, अनुसंधान निदेशक, पीएयू ने जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा से संबंधित मौजूदा चुनौतियों के बारे में बताया. डॉ. बलजीत सिंह, वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च, सस्केचेवान विश्वविद्यालय, कनाडा इस कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि थे. उन्होंने चल रहे जटिल वैश्विक मुद्दों को ठीक करने के लिए सहयोग और टीम वर्क की आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही कनाडा के महावाणिज्यदूत पैट्रिक हेबर्ट इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे. उन्होंने उल्लेख किया कि इस कार्यक्रम के हितधारकों के रूप में पीएयू और गडवासू द्वारा निभाई गई भूमिका सराहनीय है. इस कार्यशाला में भाग लेने वाले अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों में डॉ. शेरोन रेगन, डॉ. वर्नर ग्लान्जनर, डॉ. साजी जॉर्ज, डॉ. करुणा कपूर, गुयेन न्गक सांग, रोशनने सिहोटा और ल्यूक एंथोनी ओउलेट शामिल रहे.
उद्घाटन सत्र का समापन डॉ. आर एस सेठी ने किया. उन्होंने सभी गणमान्य अतिथियों, प्रतिभागियों, आयोजन टीम के साथ-साथ सह-संयोजकों को धन्यवाद दिया. उन्होंने डॉ. इंद्रजीत सिंह, वाइस चांसलर, गडवासू और इस कार्यशाला के मुख्य संरक्षक को भी इस कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया.
उद्घाटन सत्र के बाद डॉ. बलजीत सिंह, सस्केचेवान विश्वविद्यालय और डॉ. वर्नर ग्लैन्ज़नर, मैकगिल विश्वविद्यालय द्वारा मुख्य भाषण दिया गया. दोपहर के सत्र में, "जीन संपादन: क्या, कहां, कब और क्यों?" पर चर्चा हुई. इसमें संचालन डॉ. वर्नर ग्लान्ज़नर, डॉ. राज दुग्गवती, सह-समन्वयक, डॉ. परवीन छुनेजा निदेशक, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी, पीएयू, डॉ. आरएस सेठी और डॉ. वाईपीएस मलिक, डीन, कॉलेज ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी मौजूद रहे. कार्यशाला 1 मार्च को समाप्त होगी. इसमें आने वाले दिनों में इंटरैक्टिव सत्रों के साथ-साथ प्रशिक्षण मॉड्यूल भी शामिल होंगे.
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