देश में इन दिनों खाद्य तेलों(Edible oils) के दाम में गिरावट जारी है. बात करें उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और वाराणसी की थोक मंडी की तो यहां इन दिनों खाद्य तेल काफी सस्ते बिक रहे हैं. 3 माह पहले जहां ₹140 लीटर बिकने वाला रिफाइंड ऑइल इन दिनों ₹110 लीटर बिक रहा है. खाद्य तेलों में गिरावट ने जहां आम आदमी को राहत पहुंचाई है, वहीं इन दिनों मसालों के दाम में लगातार तेजी बनी हुई है जिससे आम आदमी की किचन का बजट बिगड़ रहा है. बेमौसम बारिश और जलवायु परिवर्तन के चलते हो जीरे की कीमतें ही नहीं बल्कि दूसरे मसालों की कीमतों में भी जबरदस्त उछाल आया है.
उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर और वाराणसी के थोक बाजारों में इन दिनों लगातार खाद्य तेलों के दाम में गिरावट का दौर जारी है. होलसेल बाजार में जहां पामोलिन के दाम 1600 रुपए प्रति टिन हैं वहीं सोयाबीन 1700 रुपए, सरसों का तेल ₹2060 प्रति टिन के भाव से बिक रहा है. कुछ दिनों पहले सरसों के तेल का दाम ₹200 लीटर तक पहुंच चुका था लेकिन इन दिनों 135 से ₹140 प्रति लीटर के भाव में है. कारोबारी सुरेश का कहना है कि आने वाले दिनों में खाद्य तेलों के दाम में और भी गिरावट आ सकती है . सितंबर 2019 के दौरान खाद्य तेलों की कीमतें इसी स्तर पर थी जिसके बाद अगले 2 वर्ष तक खाद्य तेलों के दाम में लगातार तेजी बनी हुई थी. बड़े व्यापारी खाद्य तेलों के दाम में गिरावट की प्रमुख वजह कच्चे सोयाबीन और सनफ्लॉवर तेल पर आयात शुल्क में छूट और कृषि सेस पर भी छूट को मान रहे हैं.
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मार्च महीने से ही मसाले की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हो गई थी. नई फसल के आने से मसाले की कीमतें नीचे आती हैं लेकिन इस बार बेमौसम बारिश के चलते मसाले की कीमतों में कमी नहीं बल्कि बढ़ोतरी हुई है. वाराणसी के थोक मसाला व्यापारी मनीष ने बताया कि जीरे की फसल को काफी बार नुकसान पहुंचा है जिसके चलते आवक कम हो गई. इनकी कीमत नीचे आने की बजाय बढ़ रही है. यही हाल दूसरे मसालों का भी है. इन दिनों काली मिर्च के दाम ₹650 प्रति किलो हैं जबकि 2 महीने पहले ₹560 प्रति किलो थे. इसी तरह अजवाइन के दाम में भी बढ़ोतरी है फिलहाल यह दाम ₹230 प्रति किलो तक पहुंच चुका है. सबसे ज्यादा बढ़ोतरी जीरे के दाम में है. जनवरी में जीरे की कीमत ₹325 प्रति किलो थी जो इन दिनों ₹525 किलो तक पहुंच चुकी है.