बांग्लादेश ने राशन की दुकानों के माध्यम से वितरण के लिए सरकार से सरकार (G2G) के आधार पर लगभग 5 लाख टन उसना चावल के लिए भारत से संपर्क किया है. खबरों के मुताबिक, आपूर्ति के लिए बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त को शेख हसीना वाजेद सरकार द्वारा संपर्क किया गया है. वहीं, ढाका से खाद्य सचिव और खाद्य निदेशालय के महानिदेशक सहित एक प्रतिनिधिमंडल ने आपूर्ति के लिए पिछले महीने वियतनाम, थाईलैंड और कंबोडिया का दौरा किया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद बांग्लादेश ने भारत से संपर्क किया है.
खबरों के मुताबिक, बांग्लादेश ने भारत का रुख इसलिए किया है क्योंकि उसे इन तीन देशों से प्रतिस्पर्धी दर पर उसना चावल नहीं मिल रहा है. वहीं, NAFED, NCCF, Kendriya Bhandar और Kribhco Agri में से कोई एक एजेंसी G2G आधार पर बांग्लादेश को चावल भेज सकती है.
उसना चावल की कीमत में 1 डॉलर की गिरावट
थाइलैंड राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के डेटा के अनुसार, थाइलैंड द्वारा फिलहाल उसना चावल की कीमत 468 डॉलर प्रति टन की पेशकश की जा रही है, जबकि पाकिस्तान की पेशकश 453 डॉलर और 457 डॉलर के बीच है. वहीं, भारतीय पारबोल्ड चावल यानि उसना चावल 373 डॉलर और 377 डॉलर के बीच में उपलब्ध है. गौरतलब है कि पिछले एक पखवाड़े में थाईलैंड की पेशकश कीमत में 5-6 डॉलर प्रति टन की वृद्धि हुई है, जबकि पाकिस्तान की दर में मामूली गिरावट आई है. दूसरी ओर भारतीय कीमतों में 1 डॉलर की गिरावट आई है.
धान की फसल मौसम से हुई है प्रभावित
हालांकि वाजिद सरकार का कहना है कि उसके पास चावल का पर्याप्त भंडार है, उसने किसी भी संकट को रोकने के लिए G2G और निजी व्यापार के माध्यम से चावल का आयात शुरू कर दिया है. बांग्लादेश में, चावल की कीमतों में पिछले कुछ हफ्तों में उछाल आया है, क्योंकि शुरुआत में बाढ़ और फिर शुष्क मौसम के कारण यहां की धान की फसल मौसम से प्रभावित हुई है.
गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक
भारत को बांग्लादेश को उसना चावल की आपूर्ति करने में कोई समस्या नहीं हो सकती है, क्योंकि इसके निर्यात पर रोक नहीं लगाया गया है. वहीं, 9 सितंबर से चावल के निर्यात पर रोक लगाने के अपने आदेश में केंद्र ने गैर-बासमती सफेद चावल पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाते हुए पूरी तरह से टूटे चावल की खेप पर रोक लगा दी है.
उसना और बासमती चावल को मिली है छूट
उसना और बासमती चावल को किसी भी प्रतिबंध से छूट दी गई है. हालांकि, देश में चावल की कीमतें इस वजह से बढ़ रही हैं कि खरीफ धान की उपज कम हो सकती है, क्योंकि पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और ओडिशा के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं.
घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में वृद्धि
कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 9 दिसंबर को राज्यसभा में बताया कि खरीफ सीजन में उत्पादन कम होने की आशंका से घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में साल-दर-साल 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक, चावल का उत्पादन पिछले साल के 111.76 मिलियन टन के मुकाबले 104.99 मिलियन टन होने का अनुमान है.
गैर-बासमती चावल का बढ़ा निर्यात
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के अनुसार, पहली छमाही में गैर-बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 8.96 मिलियन टन हो गया है, जो एक साल पहले 8.23 मिलियन टन था, जिसमें शिपमेंट 2.97 बिलियन डॉलर के मुकाबले 3.03 बिलियन डॉलर था.