खराब मॉनसून का नहीं होगा फसल पर असर! नीति आयोग ने पेश किया उम्मीद भरा आंकड़ा

खराब मॉनसून का नहीं होगा फसल पर असर! नीति आयोग ने पेश किया उम्मीद भरा आंकड़ा

वक्त के साथ हालात बदलते हैं, मगर आंकड़ों के बिना हालात की सच्चाई सामने नहीं आ पाती. नीति आयोग ने हाल ही में जो आंकड़े पेश किए हैं वह खेती-किसानी के बदलते हालातों की गवाही दे रहे हैं और एक उम्मीद भरे आने वाले कल की तरफ इशारा कर रहे हैं.

फसलों पर नहीं दिखेगा खराब मॉनसून का असर!फसलों पर नहीं दिखेगा खराब मॉनसून का असर!
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 29, 2023,
  • Updated May 29, 2023, 11:58 AM IST

कुछ आंकड़ें उम्मीद और राहत लेकर आते हैं. ऐसा ही एक आंकड़ा सामने आया है नीति आयोग की तरफ से. इस आंकड़ें के मुताबिक भारत में पहली बार ऐसा हुआ है कि 52% खेती योग्य भूमि को सिंचाई की सुविधा मिल चुकी है. 2022-23 के आधिकारिक आंकड़ों में भी सामने आया है कि पहली बार, भारत की आधे से अधिक खेती योग्य भूमि में सूक्ष्म परियोजनाओं की वजह से सुनिश्चित सिंचाई सुविधा पहुंच रही है. 2022-23 में देश में 141 मिलियन हेक्टेयर बुवाई क्षेत्र में, लगभग 73 मिलियन हेक्टेयर, यानी 52 फीसदी, में सिंचाई की सुविधा है. 2016 में यह आंकड़ा 41 फीसदी था. विशेषज्ञों का कहना है कि अब शुष्क भूमि वाले कृषि क्षेत्रों में, सूखे गर्मी और अनियमित मॉनसून के बढ़ते प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी. अब फसलों के खराब होने की गुंजाइश भी कम हो जाएगी.

फसलों को प्रभावित करता है खराब मॉनसून

जून से सितंबर तक रहने वाला मॉनसून आज भी हमारी कृषि व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. अभी भी खरीफ या गर्मियों में बोई जाने वाली फसलों को पानी इस मॉनसून से मिलता है. ऐसे में जब -जब मॉनसून खराब होता है, तो कृषि आय प्रभावित होती है. इसका बुरा असर देश की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलता है.  ऐसे में सिंचाई की सुविधा से इसको ठीक कर फसलों को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है. 

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जिस वजह से राज्यों को संसाधन जुटाने में मदद करने के लिए 2018-19 के दौरान राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के साथ 5000 करोड़ की धन राशि के साथ एक सूक्ष्म सिंचाई कोष (MIF) बनाया गया था. फंड के तहत, राज्यों को 12,696 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता जारी की गई है, जिसमें से 11,845 करोड़ रुपये पिछले वित्तीय वर्ष तक उपयोग किए गए थे.

भारत कृषि क्षेत्र में सिंचाई की भूमिका

  • देश की विविध जलवायु और वर्षा पैटर्न के कारण भारतीय कृषि में सिंचाई एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. 
  • भारत मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान देश है और सिंचाई किसानों को अपनी भूमि को अधिक प्रभावी ढंग से खेती करने में सक्षम बनाती है. लगातार पानी की आपूर्ति प्रदान करके, सिंचाई फसल के विकास को अनुकूलित करने में मदद करती है, जिससे पैदावार में बढ़त होती है और गुणवत्ता में सुधार होता है.
  • सिंचाई मॉनसूनी बारिश पर निर्भरता को कम करने में मदद करती है, सूखे, बाढ़ या अनियमित वर्षा के कारण फसल की विफलता या उपज में उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करती है.
  • सिंचाई के साथ, किसान अपने फसल पैटर्न में विविधता ला सकते हैं और साल भर फसलों को उगा सकते हैं. सिंचाई कई फसलों के मौसम की अनुमति देती है और नकदी फसलों, उच्च मूल्य वाली फसलों और सब्जियों की खेती का समर्थन करती है, जिससे कृषि आय और खाद्य सुरक्षा में वृद्धि होती है.
  • सिंचाई से गहन कृषि पद्धतियों जैसे कि दोहरी फसल या बहुफसली खेती की सुविधा मिलती है, जहां किसान एक वर्ष के भीतर एक ही भूमि पर दो या दो से अधिक फसलों की खेती कर सकते हैं. यह भूमि उपयोग का अनुकूलन करता है और समग्र कृषि उत्पादन को बढ़ाता है.

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