Manipur Violence: ऐसे तो 'भुखमरी' में समा जाएगा मणिपुर, खून ख़राबे में चौपट हुई खेती…डिटेल रिपोर्ट

Manipur Violence: ऐसे तो 'भुखमरी' में समा जाएगा मणिपुर, खून ख़राबे में चौपट हुई खेती…डिटेल रिपोर्ट

मणिपुर में हिंसा जारी है. पिछले तीन महीने से कुकी और मैतेई समुदाय के लोग एक दूसरे से लड़ रहे हैं. यह लड़ाई हिंसक हो चली है. इसका सबसे बुरा असर मणिपुर की खेती और बिजनेस पर देखा जा रहा है. किसान डर से खेतों में नहीं जा रहे हैं जिससे धान की खेती चौपट हो गई है.

पिछले तीन महीने से मणिपुर में जारी है हिंसक संघर्ष (फोटो साभार-India Today/PTI)पिछले तीन महीने से मणिपुर में जारी है हिंसक संघर्ष (फोटो साभार-India Today/PTI)
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  • Imphal,
  • Jul 26, 2023,
  • Updated Jul 26, 2023, 4:59 PM IST

मणिपुर में फैली हिंसा कई क्षेत्रों में बर्बादी लाई है. खेती-बाड़ी सबसे अधिक प्रभावित हुई है. बिजनेस चौपट है, दुकानें बंद हैं और कल-कारखानों पर तालाबंदी के हालात हैं. ऐसे बिगड़े हालात का प्रभाव मणिपुर के पूरे बिजनेस और खेती पर देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पिछले तीन महीने से इस पहाड़ी राज्य में हिंसा फैली हुई है. दो समुदायों के बीच की लड़ाई आज पूरे प्रदेश को घुटने पर लेकर आ गई है. खून-खराबे की वजह से किसान खेतों में नहीं जा पा रहे हैं. इससे धान की पैदावार गिरने की आशंका बढ़ गई है. अगर ऐसी हालत रही तो मणिपुर में लोग दाने-दाने को मोहताज हो जाएंगे.

मणिपुर में धान की खेती सबसे अधिक प्रभावित हुई है. इसकी वजह है बफर जोन में होने वाली खेती चौपट होना. यहां बफर जोन का मतलब उस इलाके से है जो मणिपुर के सबसे हिंसक जोन में पड़ता है. बफर जोन वही क्षेत्र है जहां कुकी और मैतेई समुदाय एक दूसरे के आमने-सामने हैं. इस बफर जोन में बंदूक के साये में लड़ाई चल रही है. इससे यहां खेती-किसानी पूरी तरह से चौपट है. इसका नतीजा है कि पिछले तीन महीने से मणिपुर में खाद्यान्नों का उत्पादन बहुत गिर गया है.      

धान की खेती बर्बाद

मणिपुर के हिंसाग्रस्त इलाकों में बहुत कम किसान अपने खेतों में दिख रहे हैं जबकि अभी का टाइम फसल कटाई का है. एक रिकॉर्ड से पता चलता है कि प्रदेश में 2-3 लाख किसान ऐसे हैं जो 1.95 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करते हैं. लेकिन ये किसान इस बार धान की खेती में नहीं लगे हैं बल्कि कोई और काम कर रहे हैं. वजह है कुकी और मैतेई समुदाय में फैली हिंसा. खून-खराबे का असर खेती पर ही नहीं बल्कि प्रदेश के बिजनेस पर भी देखा जा रहा है. इंफाल का इमा मार्केट बहुत मशहूर है जहां बिजनेस मुख्य रूप से महिलाएं ही संभालती हैं. लेकिन हिंसा की वजह से यहां का बिजनेस पूरी तरह से चौपट हो गया है. 

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इमा मार्केट की सेक्रेटरी असीम निर्मला ने 'इंडिया टुडे' को बताया अभी फू़ड सप्लाई की बहुत कमी है. चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. बिजनेस पूरी तरह से ठप है. धान के खेत खाली पड़े हैं. कोई भी किसान खेत में डर के मारे नहीं जा रहा है जिससे फूड सप्लाई लगातार गिरती जा रही है. यहां तक कि बाहर से आने वाला खाद्यान्न और मछलियों की सप्लाई भी हिंसा से प्रभावित हो गई है. हिंसा से होटल व्यवसाय भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है. इंफाल में अधिकांश होटल खाली हैं. होटलों में गेस्ट के नाम पर मीडियाकर्मी ठहरे हुए हैं जो बाहर से यहां के हालात को कवर करने आए हैं.

मणिपुर का बिजनेस चौपट

इंटरनेट पर पाबंदी और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन नहीं होने से हालात और भी बदतर हो गए हैं. मणिपुर सरकार ने बैंकों से कहा है कि वे कर्जदारों को लोन चुकाने में राहत दें. बैंकों से मोरेटोरियम पीरियड में एक साल तक की छूट देने की मांग की गई है. डॉ. पॉलिन खुंडोंगबम कई साल से इंफाल में एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल चलाते हैं, जो उस क्षेत्र में आता है जहां हिंसा फैली हुई है. उनके अस्पताल के कई डॉक्टर और कर्मचारी भाग गए हैं. वे सीआईआई, एनई हेल्थकेयर कोर कमेटी के अध्यक्ष पद के भी प्रमुख हैं.

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उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा सहित सभी कामकाज प्रभावित हैं. मेरे अस्पताल की इनकम में कटौती हो रही है. मई के महीने में 39 प्रतिशत की गिरावट रही. हमारे कई डॉक्टर और कर्मचारी चले गए हैं. हमने सरकार और आरबीआई के सामने चिंता जताई है.(रित्विक की रिपोर्ट)

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