बहराइच स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) में इस समय माली ट्रेनिंग प्रोग्राम चल रहा है. जिसके तहत प्रतिभागियों को फूल, फल व सब्जी की नर्सरी तैयार करने की ट्रेनिंग दी जा रही है. केवीके हेड डॉ केएम सिंह ने बताया कि ट्रेनिंग से प्रशिक्षणार्थी पौधे तैयार कर सकेंगे. जिसकी बिक्री कर वो स्वरोजगार प्राप्त करेंगे. यह ट्रेनिंग कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत हो रही है. यह ट्रेनिंग 18 अगस्त से चल रही है और 21 दिन की है. डॉ. सिंह ने बताया की रोजगार सृजन के लिए माली प्रशिक्षण भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. उद्यान वैज्ञानिक डॉ. पीके सिंह ने बताया कि इस ट्रेनिंग के बाद प्रतिभागी नर्सरी में निपुण होंगे और कम समय में अपना कारोबार स्थापित कर व्यवसाय शुरू कर सकते हैं. यह ट्रेनिंग स्वावलंबी जीवन की ओर ले जाएगी.
कृषि वैज्ञानिक डॉ. नंदन सिंह ने ट्रेनिंग के दौरान प्रशिक्षुओं को प्राकृतिक तरीके से पोषक तत्व प्रबंधन कर पौध व सब्जी उत्पादन के बारे में जानकारी दी. जबकि, डॉ. अरुण राजभर ने क्यारी बनाने के तरीके सिखाए. क्यारी बनाते समय रखी जाने वाली सावधानी बारे में बताया. इसी तरह सुनील कुमार ने प्रशिक्षुओं को बीज बोने का तरीका बताया. उन्होंने कहा कि तकनीक आधारित काम करने से बेहतर परिणाम मिल सकता है. इस ट्रेनिंग में 20 प्रशिक्षणार्थी हिस्सा ले रहे हैं. जिसमें संजीव, महेश, बलवंत, सचिन, मनोज, गुड्डू, राहुल कुमार निधि, साधना, अशोक और जियाउल हक शामिल हैं.
जिस केवीके में यह ट्रेनिंग हो रही है वो आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या से जुड़ा हुआ है. इस केवीके के अध्यक्ष डॉ. सिंह ने बताया कि 21 दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षुओं की सीखने की क्षमता का मूल्यांकन करने के आधार पर इन्हें प्रमाणपत्र दिया जाएगा. यह प्रमाण पत्र संबंधित विषय के अंतर्गत रोजगार सृजन में वित्तीय सहायोग दिलाने में मददगार साबित होगा. डॉ. सिंह ने प्रशिक्षुओं को बागवानी लगाने के लिए लेआउट बनाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
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ट्रेनिंग समन्वयक उद्यान वैज्ञानिक डॉ. पीके सिंह ने नेट हाउस और पॉली हाउस के उपयोग, सावधानियों और उसमें उगाए जाने वाली फसलों की विस्तृत जानकारी दी. पॉली हाउस के अंदर बीज अंकुरण के बारे में भी बताया गया. सुनील कुमार ने बताया कि बागवानी के लिए हमेशा उपयोग होने वाले औजार और मशीनें उत्तम क्वालिटी के होने चाहिए. कुमार ने नर्सरी इस्तेमाल होने वाले यंत्रों के बारे मे विस्तृत जानकारी दी. फिलहाल, देखना है कि इस तरह की ट्रेनिंग इन प्रशिक्षुओं के जीवन में कितना बदलाव ला पाती है.