खाद्य महंगाई नीचे लाने में दालों की रहेगी बड़ी भूमिका, बजट के मद्देनजर सरकार का सप्लाई और कीमत पर फोकस बढ़ा 

खाद्य महंगाई नीचे लाने में दालों की रहेगी बड़ी भूमिका, बजट के मद्देनजर सरकार का सप्लाई और कीमत पर फोकस बढ़ा 

भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) के सेक्रेटरी ने बताया कि इस साल तुअर दाल की बुवाई सामान्य से कम रही है और सरकार का अनुमान है कि 35 लाख टन उत्पादन होगा. लेकिन, खपत 45 लाख टन तक रहने वाली है. मांग को पूरा करने के लिए केंद्र ने शुल्क मुक्त आयात को अगले साल तक के लिए बढ़ाया है.

तुअर उत्पादन से 10 लाख मीट्रिक टन अधिक घरेलू खपत का अनुमान. तुअर उत्पादन से 10 लाख मीट्रिक टन अधिक घरेलू खपत का अनुमान.
रिजवान नूर खान
  • Noida,
  • Jan 22, 2025,
  • Updated Jan 22, 2025, 1:16 PM IST

आगामी 1 फरवरी को केंद्र सरकार यूनियन बजट (Budget 2025) पेश करने जा रही है और 12 फरवरी को रिटेल महंगाई दर के आंकड़े जारी होंगे. ऐसे में बजट के बाद महंगाई आंकड़े ऊपर जाने से रोकने पर सरकार का खास ध्यान है. इसी क्रम में बीते दिन केंद्र सरकार ने 2026 तक तुअर दाल के आयात को शुल्क मुक्त बनाए रखने का निर्णय लिया है. खाद्य महंगाई दर में दालों की महंगाई दर की बड़ी भूमिका रहती है. जुलाई में दालों की महंगाई दर 14 फीसदी के पार चल रही थी, जो दिसंबर में घटकर 4 फीसदी के अंदर आ गई है. भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) के सेक्रेटरी ने कहा है कि तुअर दाल के शुल्क मुक्त आयात का फैसला दालों की महंगाई को कम बनाए रखने में मददगार साबित होगा. 

केंद्र सरकार ने 10 लाख टन कोटा तुअर दाल के शुल्क मुक्त आयात को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है. भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) के सेक्रेटरी सतीश उपाध्याय ने 'किसान तक' को बताया कि सरकार का फैसला उम्मीदों के मुताबिक है. क्योंकि इस साल तुअर दाल की बुवाई सामान्य से कम रही है और सरकार का अनुमान है कि 35 लाख टन तुअर उत्पादन होगा. लेकिन, खपत 45 लाख टन तक है. ऐसे में केंद्र ने संभावित मांग के हिसाब से घट रही 10 लाख टन तुअर दाल को आयात करने का फैसला लिया है.  

दालों की कीमतों में और गिरावट की संभावना 

भारतीय दलहन और अनाज संघ के सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले से उपभोक्ताओं को कम कीमतें बनी रहने का फायदा मिलेगा. वर्तमान में दाल की प्रतिस्पर्धी कीमतें पहले से ही थोड़े दबाव में हैं. इस फैसले से दाल के दाम घटेंगे. उन्होंने कहा कि पिछले दो महीने में दाल के दाम 15-20 फीसदी तक घट चुके हैं और आगे भी कीमतों में गिरावट का दबाव बना रहेगा. उन्होंने कहा कि मांग के अनुरूप आपूर्ति करने के लिए सरकार को आयात खोलना पड़ा है. 

किसानों को अधिक कीमत मिलने का रास्ता खुला 

उन्होंने कहा कि केंद्र के फैसले से किसानों को अच्छी कीमतें मिलने का रास्ता खुला रहेगा. बाजार में निजी खरीदारों से किसानों को एमएसपी से भी अधिक कीमत मिलने की संभावना बनी रहेगी. हालांकि, केंद्र पहले ही 100 फीसदी दालों की खरीद एमएसपी पर करने की घोषणा कर चुकी है. सहकारी समितियों नेफेड और एनसीसीएफ को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दालों की खरीद करने की जिम्मेदारी दी गई है. इसके लिए ऑनलाइन भी ई-समृद्धि पोर्ट के लिए किसानों के रजिस्ट्रेशन किए जा रहे हैं, ताकि उनकी दाल उपज को खरीदा जा सके और भुगतान तुरंत उनके बैंक खातों किया जा सके. 

खरीफ और रबी सीजन में दालों के रकबे में भारी उछाल 

केंद्र के एमएसपी पर दालों की खरीद करने की घोषणा के चलते किसानों ने खरीफ और रबी सीजन में सभी दालों की खूब खेती की है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन में 12 अगस्त 2024 तक सभी दालों का रकबा बीते साल की तुलना में 7 लाख हेक्टेयल बढ़कर 117.43 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है. इसमें से अरहर का रकबा बीते साल की तुलना में 6 लाख हेक्टेयर बढ़ा है तो मूंग दाल की खेती 3 लाख हेक्टेयर में अधिक की गई है. इसी तरह रबी सीजन में 20 जनवरी 2025 तक सभी दालों का रकबा बीते साल से करीब 3 लाख हेक्टेयर बढ़कर 142 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. 

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